भारत का संविधान (Constitution of India) न केवल देश की सबसे महत्वपूर्ण विधिक दस्तावेज है, बल्कि यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान भी है. यह संविधान न केवल भारत के शासन तंत्र की रूपरेखा तय करता है, बल्कि नागरिकों के अधिकारों, कर्तव्यों और मूलभूत सिद्धांतों को भी स्पष्ट करता है.
भारतीय संविधान का निर्माण 26 नवंबर 1949 को पूरा हुआ और 26 जनवरी 1950 को यह लागू हुआ. इस दिन को हम हर वर्ष "गणतंत्र दिवस" के रूप में मनाते हैं. संविधान को बनाने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे. संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे और इसके प्रमुख शिल्पकार डॉ. भीमराव अंबेडकर माने जाते हैं.
यह एक विस्तृत और लिखित संविधान है जिसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 12 अनुसूचियां शामिल हैं (मूल संविधान में).
भारत एक संघीय देश है जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन होता है. भारत में ब्रिटिश मॉडल पर आधारित संसदीय लोकतंत्र है.
भारतीय संविधान नागरिकों को छह प्रकार के मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जैसे समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, आदि. वहीं भारतीय नागरिकों को संविधान के भाग 3 में 6 प्रकार के मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) दिए गए हैं, जो इस तरह हैं-समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24), धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-28), संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30), संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) और मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties).
1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से संविधान में 11 मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया. ये नागरिकों को राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों की याद दिलाते हैं.
संविधान को समय-समय पर बदलते परिस्थितियों के अनुसार संशोधित किया जाता है. अभी तक 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं. 42वां, 44वां और 73वां संशोधन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं (Amendments).
आज संविधान दिवस है. सरकार हो या विपक्ष दोनों का lamp-post है संविधान. दोनों को राह दिखाने वाली पुस्तक है हमारा संविधान. लेकिन, संविधान दिवस का मौका भी आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति से बच नहीं सका. कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने RSS का नाम लेकर फिर से सरकार को घेरा है. उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि मनुस्मृति को मानने वाले आज मजबूरी में संविधान की बात कर रहे.
संविधान दिवस पर संसद से सड़क तक सियासी भिड़ंत तेज हो गई. पीएम मोदी ने देशवासियों को चिट्ठी लिखकर संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, तो कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे, ममता बनर्जी और दिग्विजय सिंह ने RSS, संस्थागत निष्पक्षता और मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर सरकार पर सवाल उठाए. सरकार ने पलटवार किया और विपक्ष की आलोचना को राजनीतिक एजेंडा बताया.
संविधान दिवस 2025 के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष रूप से आयोजित कार्यक्रम में संबोधन दिया. इस दिन देश ने 76वां संविधान दिवस मनाया. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति, लोकसभा स्पीकर और अन्य प्रमुख नेता मौजूद थे. राष्ट्रपति ने संविधान के महत्व और लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर दिया और देशवासियों से इसके प्रति सम्मान बनाए रखने की अपील की. संविधान का उद्देश्य देश के नागरिकों को समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करना है.
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने अपने आखिरी दिन कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम फैसले दिए लेकिन असली चुनौती उन्हें जमीन पर लागू कराने की है. दिल्ली प्रदूषण से लेकर आरक्षण और गवर्नर की भूमिका तक, गवई ने माना कि कोशिश तो की है… पर अमल कमजोर रहा. महिलाओं की नियुक्ति, कॉलिजियम और सोशल मीडिया पर भी उन्होंने खुलकर कहा.
दिल्ली हाई कोर्ट ने रूपा पब्लिकेशंस को EBC की याचिका पर भारतीय संविधान के पॉकेट साइज़ संस्करण का प्रकाशन और बिक्री रोकने का आदेश दिया है. कोर्ट ने रूपा पर EBC के लाल-काले कवर डिजाइन की नकल करने का आरोप माना है.
'जेल से सरकार न चलाने देने के मकसद' से लाए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर जेपीसी का गठन विपक्ष में आम सहमति न होने के कारण अटक गया है. अब संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू गतिरोध तोड़ने के लिए कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों से बात करेंगे.
सोनम वांगचुक के समर्थन में लद्दाख में बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स सड़कों पर उतर आए हैं. इस बीच प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई ये प्रोटेस्ट environmentalist सोनम वांगुचक की भूख हड़ताल के सपोर्ट में हुआ, जो लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी Schedule में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
गृहमंत्री अमित शाह ने संविधान (130वां संशोधन) बिल पर विपक्ष को घेरा. कहा- कोई PM, CM या मंत्री जेल से सरकार नहीं चला सकता. कांग्रेस और राहुल गांधी पर दोहरे मानदंड का आरोप.
विधेयक के जरिए संविधान में संशोधन करके 30 दिन तक जेल में रहने पर वर्तमान प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य के मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान शामिल है. विपक्षी दलों ने इस प्रस्तावित विधेयक पर आपत्ति जताई है और उनका कहना है कि इस बिल से केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को किसी भी मौजूदा मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने की इजाजत मिल जाएगी.
संविधान के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सिर्फ सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर ही शुरू की जा सकती है. पद से हटाने के किसी भी प्रस्ताव को अंतिम आदेश के लिए राष्ट्रपति के सामने पेश करने से पहले संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत हासिल करना होगा.
मार्च 1947 की दोपहरी थी. रावी नदी के किनारे थोआ खालसा गांव में 90 सिख औरतें एक साथ निकलकर गांव के कुएं के पास इकट्ठा हो गईं. भीड़ नारे लगाते हुए पास आ रही थी. इन औरतों के पास दो रास्ते थे, जीवित रहकर अपहरण और बलात्कार का शिकार हो जाएं या फिर अस्मित बचाते हुए मर जाएं. फिर क्या था- सभी ने एक-एक कर कुएं में छलांग लगा दी. थोड़ी ही देर में पानी में लाशें तैर रही थीं.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सलाह है कि भारत को 'इंडिया' नहीं कहना चाहिए, क्योंकि इससे देश की सांस्कृतिक पहचान कमजोर होती है. संघ असल में भारत को शक्ति संपन्न बनाकर दुनिया में एक महाशक्ति के रूप में सम्मान दिलाने का पक्षधर है.
संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने पर संघ और सरकार का नजरिया अलग-अलग है. आरएसएस सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने पिछले दिनों दोनों शब्दों को हटाने की वकालत की थी, लेकिन कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में साफ कर दिया कि सरकार का फिलहाल ऐसी कोई राय नहीं है.
संविधान की प्रस्तावना से 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्द हटाने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है. आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले की मांग पर ऑर्गनाइजर पत्रिका ने एक लेख लिखा है. इस लेख में बताया गया है कि 'सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द संविधान में जोड़े गए वैचारिक बारूदी सुरंग है जिनका असली उद्देश्य था धार्मिक मूल्यों को कमजोर करना और राजनैतिक तुष्टीकरण को बढ़ावा देना.'
संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्दों को हटाने पर देश में विमर्श तेज है. ये शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे. संविधान निर्माता बाबा साहब ने इन्हें मूल प्रस्तावना में आवश्यक नहीं समझा था. एक पक्ष का तर्क है कि ये तुष्टिकरण की राजनीति के तहत जोड़े गए.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्दों को हटाने की बहस छेड़ी है. संघ की पत्रिका 'ऑर्गनाइजर' में कहा गया है कि ये शब्द वैचारिक बारूदी सुरंग हैं और इन्हें हटाकर संविधान की मूल प्रस्तावना बहाल की जानी चाहिए. दंगल में इसी पर देखिए पार्टी प्रवक्ताओं की बहस.
स्कूलों में गीता पाठ का आदेश नई बहस का केंद्र बन गया है. उत्तराखंड सरकार ने अपने विद्यालयों में गीता पाठ अनिवार्य करने का निर्णय लिया है. इस फैसले पर विपक्ष के भीतर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. विरोध करने वालों का तर्क है कि यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है. अंजना के साथ देखें हल्ला बोल.
संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को लेकर बहस जारी है. आरएसएस के ऑर्गनाइजर में कहा गया है कि इन शब्दों का प्रयोग धार्मिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश है. यह भी कहा गया कि धार्मिक मूल्यों को कमजोर करने का प्रयास 70 साल से हो रहा है. 1976 में 42वें संशोधन के तहत इन शब्दों को संविधान में जोड़ा गया था, जिसे मिनी कॉन्स्टिट्यूशन भी कहा जाता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने संविधान की प्रस्तावना से 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्दों को हटाने की मांग एक बार फिर उठाई है. संघ की साप्ताहिक पत्रिका ऑर्गनाइजर में लिखा गया है कि "सेक्युलर और जैसे शब्द संविधान में जोड़े गए व्याचारिक बारूदी सुरंग है." यह मांग संघ के सर कार्यवाहक दत्तात्रेय होसबले के एक बयान के बाद तेज हुई है.
वक्फ कानून को लेकर देश में राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है. बीते रविवार को पटना के गाँधी मैदान में 'वक्त बचाओ संविधान बचाओ' नाम से एक रैली आयोजित की गई थी, जिसमें कानून को कूड़ेदान में फेंकने की बात कही गई. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि विपक्ष बाबा साहेब के बनाए संविधान को चोट पहुंचाने की सोच रखता है और शरिया को संविधान से ऊपर रखने की कोशिश कर रहा है.
आरएसएस के बयान के बाद संविधान से सेक्युलरिज़्म और सोशलिज्म हटाने को लेकर देश में सियासत तेज हो गई है. बीजेपी नेता इस बयान का समर्थन कर रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे आरक्षण के खिलाफ एक साजिश बता रहा है. विपक्ष का कहना है कि "ये आरक्षण के खिलाफ है, ये भाईचारा के खिलाफ़ है. ये हमारे आपके सबकी एकता के खिलाफ़ है.