संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को लेकर बहस जारी है. आरएसएस के ऑर्गनाइजर में कहा गया है कि इन शब्दों का प्रयोग धार्मिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश है. यह भी कहा गया कि धार्मिक मूल्यों को कमजोर करने का प्रयास 70 साल से हो रहा है. 1976 में 42वें संशोधन के तहत इन शब्दों को संविधान में जोड़ा गया था, जिसे मिनी कॉन्स्टिट्यूशन भी कहा जाता है.