संविधान की प्रस्तावना से 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्दों को हटाने पर देश में विमर्श तेज है. ये शब्द आपातकाल के दौरान जोड़े गए थे. संविधान निर्माता बाबा साहब ने इन्हें मूल प्रस्तावना में आवश्यक नहीं समझा था. एक पक्ष का तर्क है कि ये तुष्टिकरण की राजनीति के तहत जोड़े गए.