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भगवान श्रीकृष्ण

भगवान श्रीकृष्ण

भगवान श्रीकृष्ण

भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं. वे विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं और उनकी जीवन गाथा अद्भुत, प्रेरणादायक और बहुआयामी है. श्रीकृष्ण केवल एक धार्मिक व्यक्तित्व ही नहीं बल्कि एक महान राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ, योद्धा, मित्र, प्रेमी और दार्शनिक भी थे. उनकी लीलाएं, शिक्षाएं और जीवन आज भी लोगों को मार्गदर्शन और भक्ति का मार्ग दिखाते हैं.

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में माता देवकी और पिता वासुदेव के यहां हुआ था. उनके जन्म का उद्देश्य कंस जैसे अत्याचारी राक्षस का विनाश करना था. जन्म के बाद वासुदेव उन्हें यमुना नदी पार कर गोकुल ले गए, जहां उनका पालन-पोषण नंद और यशोदा ने किया. गोकुल में उनके बाल-लीलाओं ने सबको मोहित कर लिया. माखन चोरी, गोपियों संग रासलीला, और कालिया नाग पर विजय जैसी कथाएं अत्यंत प्रसिद्ध हैं.

युवावस्था में श्रीकृष्ण ने वृंदावन और मथुरा में कई चमत्कारी कार्य किए. उनका राधा के प्रति प्रेम अलौकिक और आत्मिक माना जाता है. रासलीला के माध्यम से उन्होंने प्रेम, भक्ति और आत्मा की परम चेतना का संदेश दिया. राधा-कृष्ण का संबंध केवल लौकिक प्रेम नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है.

भगवान श्रीकृष्ण की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका महाभारत में रही. वे पांडवों के सखा, मार्गदर्शक और सारथी बने. युद्ध भूमि में अर्जुन को दिया गया उनका उपदेश ही श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में संकलित है, जो आज भी जीवन का मार्गदर्शन करने वाला महान ग्रंथ है. गीता में उन्होंने कर्म, धर्म, आत्मा, भक्ति और मोक्ष के रहस्यों को स्पष्ट किया.

श्रीकृष्ण ने हमेशा धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने की शिक्षा दी. वे कहते हैं-

"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽअत्मानं सृजाम्यहम्।"

(अर्थ: जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब मैं अपने को प्रकट करता हूं।)

 

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