Google को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा है. गूगल और Epic मामले में सैन फ्रांसिस्को बेस्ड 9वीं अमेरिकी सर्किट अपील कोर्ट ने साल 2023 के फैसले को बदलने से इनकार कर दिया है. 2023 के फैसले में गूगल के ऐप स्टोर और पेमेंट सिस्टम को गैरकानूनी मोनोपोली का दोषी माना गया था.
कोर्ट के फैसले के बाद Epic के CEO टिम स्वीनी ने ट्वीट किया, 'Epic vs Google मामले में टोटल विक्ट्री!' उन्होंने बताया कि इस फैसले के बाद Epic Games स्टोर एंड्रॉयड यूजर्स के लिए उपलब्ध होगा. लोग इस स्टोर को Epicgames.com से एक्सेस कर सकते हैं.
गूगल और Epic के मामले में कोर्ट ने जो फैसला दिया है, उसका असर सिर्फ इस मामले तक सीमित नहीं रहेगा. इस फैसले के बाद गूगल को अपना ऐप स्टोर दूसरे कंपटीशन के लिए अगले तीन साल के लिए खोलना पड़ सकता है. गूगल को Play Store में थर्ड पार्टी ऐप स्टोर्स को एक्सेस देना होगा.
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इससे कंपटीशन को गूगल प्ले स्टोर के फुल कैटलॉग का एक्सेस मिल जाएगा. साथ ही कई ऐसी प्रैक्टिसेस पर रोक लग जाएंगी, जो कंपटीशन को आगे बढ़ने से या फिर प्ले स्टोर के मुकाबले मजबूत होने से रोकती थी. इसमें एक बड़ा मुद्दा गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम का इस्तेमाल है, जिसे नॉन-गूगल ऐप्स को इस्तेमाल करना ही पड़ता है.
कोर्ट के फैसले पर गूगल की रेगुलेटरी मामलों की प्रमुख Lee-Anne Mulholland ने लिखा, 'इस फैसले से यूजर्स की सेफ्टी को नुकसान पहुंचेगा, उनके विकल्प सीमित होंगे और इनोवेशन भी घटाएगा, जो एंड्रॉयड के इकोसिस्टम का केंद्र हुआ करता था.'
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उन्होंने लिखा, 'हमारी प्राथमिकता यूजर्स, डेवलपर्स और पार्टनर्स को सुरक्षित रखना है. साथ ही अपने प्लेटफॉर्म को सुरक्षित बनाए रखना है और हम अपनी अपील जारी रखेंगे.' इस पूरे मामले की शुरुआत 2020 में हुई थी, जब Epic ने गूगल और ऐपल दोनों पर उसके गेम Fortnite को ऐप स्टोर से रिमूव करने की वजह से केस किया था.
Epic अपने गेम Fortnite में एक सीक्रेट कोड का इस्तेमाल करता था, जो गूगल के पेमेंट सिस्टम को बायपास करता था. इसके बाद ही गूगल ने इस गेम को अपने प्ले स्टोर से रिमूव कर दिया था. मामले की जांच में गूगल का इंटरनल मेल सामने आया, जिसमें पता चला कि Epic ने दूसरे गेम डेवलपर्स के साथ मिलकर एक अलग ऐप स्टोर बनाने की प्लान की थी.
ये ऐप स्टोर गूगल के लिए कंपटीशन बन सकता था. हालांकि, गूगल ने ऐसा होने नहीं दिया और Fortnite को रिमूव कर दिया. इस मेल क के सामने आने के बाद गूगल को मोनोपोली क्रिएट करने का दोषी माना गया. फिलहाल गूगल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा सकता है.