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OPINION| भारत के लिए वर्ल्ड कप से पहले खतरे की घंटी... नहीं संभले तो घर में होगी किरकिरी

भारत ने अपने घर में द्विपक्षीय वनडे सीरीज गंवा दी. ऑस्ट्रेलियाई रणनीति के आगे भारतीय खिलाड़ी बेबस दिखे. इसी साल भारत में होने वाले वर्ल्ड कप से पहले इस घरेलू सीरीज में हार ने रोहित ब्रिगेड को संभलने का एक मौका दिया है. यह हार ऐसे ही नहीं भुलाई जा सकती, टीम को अपनी कमजोरियों पर सोचना ही होगा.

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Rohit Sharma and Rahul Dravid (Getty)
Rohit Sharma and Rahul Dravid (Getty)

ऑस्ट्रेलिया का भारत दौरा ऐसी जीत के साथ संपन्न हुआ, जिसे टीम इंडिया के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता. दौरे के आखिर में तीन मैचों की वनडे सीरीज के अंतिम दो मुकाबले जीतकर कंगारुओं ने न सिर्फ सीरीज पर कब्जा किया, बल्कि वनडे रैंकिंग में भारतीय टीम को नंबर-1 से नंबर-2 पर उतार दिया. और सबसे बढ़कर अपने घर में द्विपक्षीय सीरीज के 'किंग' कहे जाने वाले भारत को आईना दिखा दिया. पिछले 10 साल की बात करें तो टीम इंडिया ने इससे पहले तक अपने घर में 20 में से 2 ही द्विपक्षीय सीरीज गंवाई थी और अब इस हार ने भारत की श्रेष्ठता पर सवालिया निशान लगा दिया है.

अपनी ही पिचों पर भारतीय बल्लेबाजों का बुरा हाल

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यह हार इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि भारत की पिचों पर ही इसी साल वनडे वर्ल़्ड कप खेला जाना है. ऐसे में टीम अपनी परिस्थितियों का फायदा उठाने में नाकाम साबित हो रही है, जिसे निश्चित तौर पर निराशाजनक माना जा सकता है. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि टीम इंडिया स्पिन भी नहीं खेल पा रही. चेन्नई में खेले गए सीरीज के निर्णायक मैच में नई गेंद को भारतीय बल्लेबाजों ने अपने पर हावी नहीं होने दिया, लेकिन जैसे ही गेंद टर्न हुई... टीम के लिए खतरनाक साबित हुई. इससे पहले मुंबई के वानखेड़े और विशाखापत्तनम की पिचों पर ऑस्ट्रेलियाई स्विंग ने परेशान किया था.

तो अब IPL में खो जाएंगे और यह हार भूल जाएंगे?

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इन दिनों ऑस्ट्रेलिया से मिली इस हार का लगातार विश्लेषण किया जा रहा है, जबकि दूसरी तरफ इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के मुकाबले शुरू होने वाले हैं. ऐसे में दिग्गज सुनील गावस्कर की चेतावनी टीम की आखें खोलनी वाली है. उन्होंने कहा है कि भारतीय टीम को 31 मार्च से शुरू हो रही लुभावनी इंडियन प्रीमियर लीग के उत्साह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे सीरीज में मिली हार को भूलने की गलती नहीं करनी चाहिए, क्योंकि विश्व कप में हम फिर से ऑस्ट्रेलिया से भिड़ सकते हैं. जाहिर है वर्ल्ड कप में मिली एक हार किसी भी टीम का समीकरण बिगाड़ सकती है.

द्विपक्षीय सीरीज में भी दबाव... बिखर रही टीम इंडिया 

अब तक कहा जाता रहा है कि भारतीय टीम आईसीसी टूर्नामेंट्स के नॉकआउट का दबाव नहीं झेल पाती और बिखर जाती है. लेकिन अब इस द्विपक्षीय सीरीज के मुकाबलों में भी यही बात देखी गई. दरअसल, तीसरे वनडे में हार ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा बनाए गए दबाव की वजह से मिली. बाउंड्री लगना बंद हो गया था और भारतीय बल्लेबाज एक रन भी नहीं बना पा रहे थे. जीत के लिए 270 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 49.1 ओवरों में 248 रनों पर सिमट गई, जिससे उसने मैच के साथ सीरीज भी गंवा दी.

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इंग्लैंड की तरह निडर क्रिकेट खेलने की जरूरत

ऑस्ट्रेलिया ने साबित कर दिया है कि वह वर्ल्ड कप का असली दावेदार है. इस हार के बाद कप्तान रोहित शर्मा और मुख्य कोच राहुल द्रविड़ जरूर सोच में पड़ गए होंगे, यह अच्छा भी है. भारतीय टीम मैदान ऑस्ट्रेलियाई कमजोरियों का फायदा नहीं उठा पाई और स्टीव स्मिथ की चतुर कप्तानी भारी पड़ी. अक्टूबर-नवंबर में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप से पहले टीम इंडिया के पास अब कुछ ही मैच बचे हैं. ऐसे में बेहतर टीम बनाने की ओर एक और पहल की बहुत जरूरी है. सबसे बढ़कर अब यह कहा जा सकता है कि भारत को वनडे और टी20 वर्ल्ड कप चैम्पियन इंग्लैंड की तरह निडर क्रिकेट खेलने की जरूरत है. 

...रक्षात्मक चाल से नहीं बनने वाली बात

टीम इंडिया की रणनीति की बात करें, तो उसकी इस रक्षात्मक चाल पर जरूर सवाल उठाया जा सकता है. लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल पर अक्षर पटेल को तरजीह देने की रणनीति का परिणाम नहीं निकला. चहल विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं और भारत को बीच के ओवरों में विकेट लेने के लिए उन्हें और कुलदीप यादव दोनों को मैदान में उतारने की जरूरत है. अक्षर की गेंदबाजी में काफी गिरावट आई है और कुछ अतिरिक्त रन बनाने की उम्मीद में उन्हें खिलाना रक्षात्मक चाल ही मानी जाएगी. 

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वर्ल्ड कप के लिए 15 खिलाड़ियों का स्क्वॉड चाहे जो भी हो, आईसीसी ट्रॉफी के लिए 10 साल के इंतजार को खत्म करने के लिए सर्वश्रेष्ठ 11 चुनने की जरूरत है. अब जिम्मेदारी रोहित और द्रविड़ पर है. दोनों को लचीला रुख अपनाना होगा, वरना टीम इंडिया आईसीसी टूर्नामेंट जीतने का एक और मौका गंवा देगी और घर में ही किरकिरी होगी.

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