Paris Paralympics 2024: भारतीय तीरंदाज शीतल देवी (Sheetal Devi Paralympic athlete) गुरुवार (29 अगस्त) को पेरिस पैरालंपिक में खेलने उतरीं. उन्होंने अपने डेब्यू पैरालंपिक में धांसू प्रदर्शन किया लेकिन वह वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने से चूक गईं. शीतल की उम्र महज 17 साल है. महिलाओं की व्यक्तिगत कम्पाउंड प्रतियोगिता में भारत की आर्मलेस (बिना हाथ की) पैरा एथलीट शीतल देवी ने जिस तरह का प्रदर्शन किया, उसकी खूब वाहवाही हो रही है. वह जन्मजात बीमारी फोकोमेलिया से ग्रस्त हैं. उनके हाथ भी नहीं हैं, इसके बावजूद उनका प्रदर्शन पिछले कुछ सालों में शानदार रहा है.
शीतल ने रैंकिंग राउंड में भाग लेते हुए पैरा गेम्स और वर्ल्ड रिकॉर्ड को ध्वस्त करते किया और 703 अंक बनाए, लेकिन क्वालिफिकेशन राउंड के अंतिम शॉट में उनकी प्रतिद्वंद्वी ने उन्हें पीछे पछाड़ दिया. तुर्की की ओजनूर गिर्डी क्यूर ने 704 अंकों के साथ रैंकिंग राउंड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. देवी के स्कोर ने इस महीने की शुरुआत में ग्रेट ब्रिटेन की फोबे पाइन पीटरसन द्वारा बनाए गए 698 के वर्ल्ड रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया.
Target 1: Oznur Cure – 704. 🇹🇷
— World Archery (@worldarchery) August 29, 2024
Target 2: Sheetal Devi – 703. 🇮🇳
One decisive arrow to set the WORLD RECORD. 🔥#ArcheryInParis #ParaArchey pic.twitter.com/jMAJJjsfNT
इन दोनों खिलाड़ियों ने जेसिका स्ट्रेटन (पैरा गेम्स में 694 अंक) और फोबे पैटरसन (डब्ल्यूआर में 698 अंक) के पहले के रिकॉर्ड को तोड़ दिया और राउंड ऑफ 32 के लिए क्ववालिफाई किया. पिछली रिकॉर्डधारी पीटरसन 688 अंकों के साथ सातवें स्थान पर रहीं, जो इस सीजन में उनका बेस्ट अटैम्प्ट था.
शीतल देवी की ऐसी है कहानी
भारत की शीतल देवी फोकोमेलिया नामक एक दुर्लभ जन्मजात बीमारी के साथ जन्मी थीं. इसके बाद उन्होंने पैरा तीरंदाजी की दुनिया में चैंपियन बनने के लिए सभी बाधाओं को पार किया है. फोकोमेलिया या एमीलिया एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें हाथ पैर बहुत छोटे रह जाते हैं. यह एक प्रकार का जन्मजात विकार है.
17 साल की शीतल जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ से ताल्लुक रखती है. बचपन में उनको पेड़ों पर चढ़ने का जुनून था. जहां उन्होंने अपनी फिजिकल लिमिटेशन को भी चुनौती दी. साल 2021 में एक यूथ इवेंट में भारतीय सेना के कोचों ने उनकी जन्मजात एथलेटिक क्षमता को परखा और उनमें अपार क्षमता देखी.
कृत्रिम अंगों का उपयोग करने के शुरुआती प्रयासों के बावजूद, शीतल के कोच मैट स्टुट्जमैन की कहानी से प्रेरित थे. जो बिना हाथ के तीरंदाज थे. उन्होंने लंदन 2012 पैरालिंपिक में रजत पदक जीता था. उन्होंने शीतल को उसके पैरों और पंजों का उपयोग करके ट्रेनिंग करने का फैसला किया, इसके बाद जो रिजल्ट आए वह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं थे.
पिछले साल चीन के हांगझोऊ एशियन पैरा गेम्स के दौरान वह सनसनी बन गई थीं, जहां वह खेलों के एक ही सीजन में दो गोल्ड मेड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. उन्होंने खेलों में सिल्वर मेडल भी जीता था. देवी पिछले साल पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली बिना हाथ वाली महिला भी बनी थीं.