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83 Movie: रणवीर सिंह को कपिल देव बनाने में खर्च हुई सारी मेहनत, बाकी किरदार बने पहेली!

‘बजरंगी भाईजान’ जैसी शानदार फिल्म बनाने वाले कबीर खान ने भारत के उस सपने को एक फिल्म में उतारने की कोशिश की है, जिसे पूरे देश ने 38 साल पहले जिया था. फिल्म में क्रिकेट, मसाला, किस्से और एक्शन (क्रिकेट वाला) पर बहुत सही तरीके से फोकस किया गया है, लेकिन अगर एक क्रिकेट फैंस के दिल से पूछें तो ऐसा काम किरदारों पर हो ही नहीं पाया. 

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Kapil Dev, Ranveer Singh
Kapil Dev, Ranveer Singh
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 1983 वर्ल्डकप जीत पर बनी फिल्म '83'
  • कपिल देव का किरदार निभा रहे हैं रणवीर सिंह
  • कबीर खान ने किया है फिल्म का निर्देशन

साल 1983 में क्रिकेट वर्ल्डकप जीतकर इतिहास रचने वाली टीम इंडिया की कहानी अब पर्दे पर आने को है. ‘बजरंगी भाईजान’ जैसी शानदार फिल्म बनाने वाले कबीर खान ने भारत के उस सपने को एक फिल्म में उतारने की कोशिश की है, जिसे पूरे देश ने 38 साल पहले जिया था. फिल्म उस वक्त अंडरडॉग माने जाने वाली टीम इंडिया के पूरे सफर को दिखाती है, जिसमें रणवीर सिंह तब के कप्तान कपिल देव की भूमिका निभा रहे हैं. 

हमने ये फिल्म देखी, उस लम्हे को जीने की कोशिश की. लेकिन पूरी फिल्म में कपिल देव यानी रणवीर सिंह के किरदार से अलग हटकर देखें तो काफी कम ही ऐसे क्रिकेटर्स के कैरेक्टर्स हैं, जिन्हें आप बिना किसी सबटाइटल के पहचान पाएंगे. फिल्म में क्रिकेट, मसाला, किस्से और एक्शन (क्रिकेट वाला) पर बहुत सही तरीके से फोकस किया गया है, लेकिन अगर एक क्रिकेट फैंस के दिल से पूछें तो ऐसा काम किरदारों पर हो ही नहीं पाया. 

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क्रिकेट वर्ल्डकप की जर्नी पर बनी ये पूरी फिल्म सिर्फ और सिर्फ एक कमर्शियल मूवी है, जिसका मकसद कोरोना के बाद सुनसान पड़े थियेटर में भीड़ लाना और उन्हें स्टेडियम में तब्दील कर बिजनेस बढ़ाने से है. क्रिकेट के चाहने वाले इस फिल्म को ज़रूर देखेंगे, शायद वो भावुक भी हो क्योंकि जो किस्से आपने सुने, पढ़े, कुछ हदतक यू-ट्यूब पर देखे, वो सब आपके सामने है.

किरदारों पर सबसे ज्यादा फोकस हर हिन्दी फिल्म की तरह यहां भी कहानी के हीरो रणवीर सिंह यानी कपिल देव पर किया गया है. कपिल देव का हेयरस्टाइल, बाहर निकले दांत, हरियाणा हरिकेन की इमेज वाला शरीर, अंग्रेज़ी बोलते हुए शरमा जाना, शरमाते हुए गर्दन को हल्के से घुमाना, आप जितना बारीक जाना चाहें रणवीर सिंह ने हर चीज़ को बेहतरीन तरीके से पकड़ा है. ना सिर्फ कपिल देव का कैरेक्टर बल्कि उनका क्रिकेट भी रणवीर सिंह ने अपने में उतारा है, हल्का-टेढ़े होते हुए बॉल फेंकना, नटराज शॉट या फिर बल्लेबाजी का तरीका, रणवीर सिंह पूरी तरह किरदार में उतर चुके हैं, जो वो अपनी हर फिल्म में करते भी आए हैं.

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बस, फिल्म की सारी दिक्कत यही है कि सारी मेहनत कपिल देव पर कर दी गई है. बाकी कई किरदार सहूलियत के हिसाब से मिलते दिखाई पड़ते हैं. कपिल देव के बाद जिन किरदारों को पहचानना सबसे आसान है, वो सैयद किरमानी (साहिल खट्टर), संदीप पाटिल (चिराग पाटिल) या फिर बलविंदर सिंह संधू (एमी विर्क) हैं. तीनों को आसानी से पहचानने का कारण भी है, क्योंकि किरमानी के सिर पर बाल नहीं हैं, संदीप पाटिल की दाढ़ी का स्टाइल अलग है साथ ही चिराग असल में संदीप के बेटे ही हैं. और बलविंदर सिंह संधू सरदार हैं. 

बलविंदर सिंह संधू के किरदार के साथ एक दिक्कत और भी है, वो ये कि एमी विर्क पूरी तरह से बलविंदर सिंह संधू का बॉलिंग एक्शन भी पकड़ने में पीछे रह गए हैं. कबीर खान ने यहां एक सिख का किरदार निभा रहे कलाकार का इस्तेमाल उसी तरह किया है, जैसा कि हिन्दी फिल्मों में किया जाता है. हंसाने वाला शख्स, फिल्म में सबसे बेहतरीन और ज्यादा कॉमिक पंच एमी वर्क के पास ही हैं, उनके पास एक इमोशनल स्टोरी भी है. 

फिल्म में सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन मोहिंदर अमरनाथ (साकिब सलीम), यशपाल शर्मा (जतिन सरना) और हार्डी संधू (मदन लाल) के साथ पैदा होता है. तीनों ही असल में पंजाबी कैरेक्टर हैं, फिल्म में तीनों एक-जैसे ही नज़र भी आ रहे हैं. लेकिन साकिब सलीम के साथ दिक्कत ये रही कि वो पूरी तरह से उस पंजाबियत को अंदर ला ही नहीं पाए, साथ ही मोहिंदर अमरनाथ तब इतने हेल्दी तो बिल्कुल भी नहीं थे जैसा कि पुरानी तस्वीरों से देखकर पता चलता है. (ऐसा कई दूसरे किरदारों के साथ भी हुआ है)  साकिब से इतर जतिन ने यशपाल शर्मा का किरदार निभाते हुए वो काम बखूबी किया है. 

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कुछ ऐसा ही सुनील गावस्कर का किरदार निभा रहे ताहिर के साथ हुआ है, जहां वो सुनील गावस्कर नहीं बल्कि सिर्फ एक साउथ बॉम्बे के लड़के का रोल प्ले करते दिख रहे हैं जिसे क्रिकेट खेलना आता है. वर्ल्डकप 1983 के फाइनल में आउट होकर वापस लौटते सुनील गावस्कर का असली वीडियो अगर आप यू-ट्यूब पर देखें, तो आपको उनकी चाल पता चलेगी. ताहिर उसमें उतना ही कम रह जाते हैं, जितना चाय में चीनी. इनके अलावा कीर्ति आज़ाद, रवि शास्त्री, दिलीप वेंगसरकर, सुनील वॉल्सन के किरदारों की स्क्रीन टाइमिंग काफी कम है. 

खिलाड़ियों के किरदार से इतर एक कैरेक्टर और है, जिसपर काफी फोकस किया गया है. टीम इंडिया के मैनेजर पीआर मानसिंह का किरदार निभा रहे पंकज त्रिपाठी. पंकज त्रिपाठी ने पिछले कुछ वक्त में साबित किया है कि वो अपनी सीमाओं में रहकर भी किरदार को बाउंड्री पार पहुंचा सकते हैं. फिल्म में पंकज त्रिपाठी ने भी पीआर मानसिंह के किरदार को जिया है, वक्त-वक्त पर बातों में आने वाली हैदराबादी, गंभीर एक्सप्रेशन के साथ-साथ डायलॉग की टाइमिंग, आपको फिल्म देखने के बाद असली पीआर मानसिंह को यू-ट्यूब पर सर्च करने के लिए मज़बूर कर देगी.

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फिल्म में दीपिका पादुकोण भी हैं, जो कपिल देव की पत्नी रोमी के किरदार में हैं. उनके बारे में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है, बाकि त्वरित टिप्पणी के लिए आप हमारा 83 पर लिखा रिव्यू भी पढ़ सकते हैं. 

 

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