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शैतान की मां TATP... कितना खतरनाक है वो विस्फोटक, जिसका इस्तेमाल दिल्ली ब्लास्ट में आतंकियों ने किया

10 ग्राम TATP विस्फोटक का ब्लास्ट छोटा लेकिन घातक होता है. इस विस्फोटक को शैतान की मां कहा जाता है. घातक रेडियस 22 सेमी (मौत), 45 सेमी तक चोट (कान फटना), 1 मीटर में खिड़कियां टूटेंगी. टीएनटी से कम ताकत, लेकिन अस्थिर विस्फोटक है. आसानी से फट जाता है. आतंकी जूतों में छिपाते हैं. साथ में अमोनियम नाइट्रेट मिलाकर बड़ा विस्फोट कर सकते हैं.

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 इस फोटो में वैज्ञानिक बेहद कम मात्रा में TATP विस्फोटक दिखाते हुए. ये एसीटोन, परऑक्साइड और नींबू का जूस मिलाने से बन जाता है. पेपर पर छोटी मात्रा रखकर जब उसे आग दिखाया गया तो कितना विस्फोट हुआ. (Photo: Getty)
इस फोटो में वैज्ञानिक बेहद कम मात्रा में TATP विस्फोटक दिखाते हुए. ये एसीटोन, परऑक्साइड और नींबू का जूस मिलाने से बन जाता है. पेपर पर छोटी मात्रा रखकर जब उसे आग दिखाया गया तो कितना विस्फोट हुआ. (Photo: Getty)

लाल किला धमाके की जांच में सुरक्षा एजेंसियों को बहुत बड़ा सुराग मिला है. जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी उमर मोहम्मद एक 'शू बॉम्बर' हो सकता है. उसके कार से एक जूते में विस्फोटक का पदार्थ मिला है, जिससे ब्लास्ट हुआ लगता है. TATP नाम का खतरनाक विस्फोटक इस्तेमाल किया गया, जो दुनिया भर के आतंकी हमलों में यूज होता है.

TATP क्या है? 'मदर ऑफ शैतान' का राज

TATP (ट्रायएसीटोन ट्राइपेरोक्साइड) एक घरेलू विस्फोटक है, जो बहुत अस्थिर और खतरनाक होता है. इसे 'मदर ऑफ शैतान' कहते हैं, क्योंकि थोड़ी सी गर्मी, घर्षण या स्टैटिक बिजली से भी ये जोरदार धमाका कर देता है. इसके केमिकल आसानी से मिल जाते हैं, इसलिए अकेले आतंकी या स्लीपर सेल इसे पसंद करते हैं.

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लंदन, पेरिस और मिडिल ईस्ट के कई हमलों से TATP जुड़ा है. इसके धमाके की ताकत बहुत ज्यादा है, लेकिन ब्लास्ट के बाद ज्यादा निशान नहीं छोड़ता. इसलिए जांच मुश्किल हो जाती है. जैश जैसे ग्रुप इसे बड़े हमलों के लिए इस्तेमाल करते हैं.

TATP Explosive Delhi Blast

10 ग्राम TATP विस्फोटक का ब्लास्ट: कितना नुकसान? छोटा धमाका, लेकिन जानलेवा खतरा

सवाल ये है कि सिर्फ 10 ग्राम TATP का ब्लास्ट कितना तबाही मचा सकता है? विशेषज्ञों के अनुसार, ये बहुत छोटा धमाका होता है, लेकिन करीब खड़े व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकता है.

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TATP क्यों इतना खतरनाक?

TATP की विस्फोट गति लगभग 5300 मीटर प्रति सेकंड है, जो टीएनटी (TNT) से थोड़ी कम है. टीएनटी के मुकाबले TATP की ताकत 55% से 70% तक मानी जाती है. यानी 10 ग्राम TATP का असर 6 से 7 ग्राम टीएनटी जितना होता है. ये छोटी मात्रा लगती है, लेकिन आतंकी इसे जूतों या बैग में छिपाकर इस्तेमाल करते हैं.

10 ग्राम TATP ब्लास्ट का असर: कितनी दूर तक पहुंचेगा?

वैज्ञानिक फॉर्मूले से गणना करने पर पता चलता है कि 10 ग्राम TATP का ब्लास्ट बहुत सीमित इलाके में ही असर दिखाता है. ये हवा में या सतह पर फटे तो...

TATP Explosive Delhi Blast

  • घातक रेडियस (15 psi दबाव - फेफड़े की चोट, मौत): सिर्फ 0.22 मीटर. यानी ब्लास्ट सेंटर से 22 सेंटीमीटर दूर तक इंसान को गंभीर चोट लग सकती है. जो व्यक्ति इसे हाथ में पकड़े या जूते में छिपाए, वो तुरंत मर सकता है. फेफड़े फट सकते हैं, आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है.
  • चोट का रेडियस (5 psi दबाव - कान फटना, हल्की चोट): 0.45 मीटर. यानी 45 सेंटीमीटर दूर तक खड़े व्यक्ति को कान में चोट, सिरदर्द या हल्की जलन हो सकती है. कांच या छोटे सामान उड़ सकते हैं.
  • नुकसान का रेडियस (1 psi दबाव - खिड़की टूटना): 0.91 मीटर. यानी लगभग 1 मीटर दूर तक खिड़कियां या हल्के दरवाजे टूट सकते हैं. लेकिन कोई बड़ी इमारत को नुकसान नहीं.

ये गणना हॉपकिंसन स्केलिंग लॉ पर आधारित है, जो छोटे ब्लास्ट के लिए इस्तेमाल होती है. ग्राम रेंज (1-10 ग्राम) के ब्लास्ट में धमाके की लहर तेजी से कमजोर पड़ जाती है. 1 मीटर से ज्यादा दूर जाकर ये सामान्य हवा की लहर जैसी हो जाती है.

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कितना विनाश? उदाहरण और तुलना

10 ग्राम TATP का ब्लास्ट एक छोटे पटाखे या ग्रेनेड के टुकड़े जितना होता है. लेकिन अगर शेल (धातु के टुकड़े) डाले जाएं, तो चोट ज्यादा फैल सकती है. 

TATP Explosive Delhi Blast

  • इंसानों पर: सीधे संपर्क में मौत निश्चित. पास खड़े 1-2 लोगों को गंभीर चोट. लेकिन भीड़ में ये 5-10 लोगों को प्रभावित कर सकता है, अगर शेल हो. 2001 के शू बॉम्बर रिचर्ड रीड ने जूतों में TATP भरा था (लगभग 100 ग्राम), लेकिन धमाका अधूरा रहा. अगर पूरा फटता, तो प्लेन में 10-20 लोग मर सकते थे.
  • सामान पर: छोटे कमरे में खिड़कियां टूटेंगी, फर्नीचर उड़ सकता है. लेकिन कार या इमारत को ज्यादा नुकसान नहीं. लाल किला ब्लास्ट में छोटी मात्रा से सिर्फ आसपास की चीजें प्रभावित हुईं.
  • तुलना टीएनटी से: 10 ग्राम टीएनटी का घातक रेडियस 0.26 मीटर होता, जबकि TATP का 0.22 मीटर. लेकिन TATP ज्यादा संवेदनशील है, इसलिए दुर्घटना का खतरा ज्यादा है. 

विशेषज्ञ कहते हैं, TATP छोटे हमलों के लिए बेस्ट है क्योंकि इसे छिपाना आसान है, लेकिन बड़ी तबाही के लिए सैकड़ों ग्राम लगते हैं.

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कार से, जूते और विस्फोटक के सबूत

सुरक्षा एजेंसियों ने ब्लास्ट स्पॉट पर तफ्तीश की. उमर मोहम्मद की I-20 कार की ड्राइविंग सीट के नीचे, राइट फ्रंट टायर के पास से एक जूता बरामद हुआ. इस जूते में एक धातु जैसा पदार्थ मिला, जो ब्लास्ट का कारण हो सकता है. जांच में पता चला कि TATP के निशान ब्लास्ट वाली जगह, टायर और जूते से भी मिले.

जैश के आतंकियों ने बड़े धमाके की प्लानिंग के लिए भारी मात्रा में TATP जमा किया था. ये बात भी पक्की हो गई. लाल किला ब्लास्ट में अमोनियम नाइट्रेट के साथ TATP विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ. कार की पिछली सीट के नीचे भी विस्फोटक के सबूत मिले. ये सबूत बताते हैं कि साजिश कितनी सोची-समझी थी.

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