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Japan का साइलेंट किलर... पहली बार सबसे खतरनाक हथियार की टेस्टिंग, बिना आवाज दुश्मन को देता है मौत

Japan की नौसेना ने बेहद तेज, बिना आवाज वाली और घातक Railgun का सफल परीक्षण किया है. ऐसा रूस, चीन और उत्तर कोरिया की मिसाइल ताकत का सामना करने के लिए किया जा रहा है. इस गन की मदद से किसी भी मिसाइल को गिराया जा सकता है. साथ ही युद्धपोत को उड़ाया जा सकता है.

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ये है जापान की रेलगन, जिसकी टेस्टिंग उसकी नौसेना ने की है.
ये है जापान की रेलगन, जिसकी टेस्टिंग उसकी नौसेना ने की है.

जापान ने पहली बार रेलगन फायरिंग की. यह एक परीक्षण था, जिसमें दुनिया के सबसे खतरनाक हथियार को एक युद्धपोत से चलाया गया. जापानी मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स (JMSDF) ने यह टेस्टिंग की. यानी वहां की नौसेना ने. यह एक फ्यूचर वेपन (Future Weapon) है. जिसमें किसी गोले-बारूद की जरूरत नहीं होती. 

जापान ने इस खतरनाक हथियार का परीक्षण इसलिए किया है, ताकि वह चीन के हाइपरसोनिक हथियारों, मिसाइलों को आसमान में ही उड़ा देगा. यह एक मीडियम कैलिबर की नौसैनिक रेलगन है. यह हथियार जापान की राजधानी टोक्यो को दुश्मन के हमलों से बचाने का काम करेगी. इसके बाद जापानी नौसेना ने इसका Video भी जारी किया. 

इस वीडियो में अलग-अलग एंगल से रेलगन की फायरिंग को दिखाया जा रहा है. रेल गन के जरिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी को मिसाइल की तरफ फेंकता है. इसकी गति बहुत ही ज्यादा होती है. यह हाइपरसोनिक स्पीड से भी तेज चला जाता है. माना जा रहा है कि जापान ऐसे कई रेलगन देश की समुद्री और जमीनी सीमा पर तैनात करने जा रहा है. 

320 ग्राम की स्टील की गोली बिना आवाज के निकलती है

जापान की रेलगन मीडियम साइज की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गन है. जो 40 मिलिमीटर के स्टील प्रोजेक्टाइल को दागता है. असल में यह स्टील की गोलियां हैं, जिनका वजन 320 ग्राम का होता है. इस गन को एक बार चलाने पर 20 मेगाजूल्स की ऊर्जा लगती है. ऐसा माना जा रहा है कि जापान इन बंदूकों को अपने विध्वंसक युद्धपोतों और मिसाइल डिफेंस वेसल पर लगाए. 

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Japan Railgun

जापान द्वारा इस तकनीक का विकास होने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति बनी रहेगी. खासतौर से चीन और उत्तर कोरिया के बढ़ते मिसाइल जखीरे और हाइपरसोनिक मिसाइलों से बचाव की उम्मीद बढ़ेगी. चीन 2018 से ही रेलगन तकनीक को विकसित करने की कोशिश में लगा है. उसने अपने टाइप 072 लैंडिंग शिप को मॉडिफाई करके यह हथियार लगाया है. 

जापान 2031 तक अपने युद्धपोतों पर इसे करेगा तैनात

इस गन को मल्टीपरपज अनमैन्ड सरफेस वेसल (USV), अनमैन्ड असॉल्ट व्हीकल्स (AAV), एंटी-टॉरपीडो टॉरपीडोस (ATT) और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम पर लगा सकते हैं. जापान फिलहाल नए शिप टू एयर मिसाइल (N-SAM) भी बना रहा है ताकि हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स को मार सके. जापान इन तकनीकों और हथियारों को अपने युद्धपोतों पर 2031 तक तैनात कर देगा. इसके बाद उसकी नौसेना की ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी. 

Japan Railgun

अमेरिका ने इस प्रोजेक्ट को कर दिया बंद

अमेरिका ने रेलगन प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है. इस प्रोजेक्ट को अमेरिकी नौसेना चला रही थी. अमेरिकी नौसेना इस प्रोजेक्ट पर 500 मिलियन डॉलर्स यानी 3667 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, इसके बाद भी इसे बंद कर दिया गया. इस प्रोजेक्ट का नाम है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेलगन डेवलपमेंट प्रोग्राम (Electromagnetic Railgun Development Programme). 

Japan Railgun

क्या होती है रेलगन?

रेलगन से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ताकत से स्टील या धातु के गोले या गोलियां निकलती है. जो अपने निशाने को बुरी तरह बर्बाद कर देती हैं. रेलगन आम तोपों से अलग है. आम तोप के बैरल से बारूद की आग के दबाव से गोला निकल कर जाता था. लेकिन रेलगन में बारूद की जगह इलेक्ट्रिसिटी और चुंबकीय शक्ति का उपयोग किया जाता है. बारूद का नहीं. इन दोनों शक्तियों के मिलने और प्रतिक्रिया से गोला कई गुना ज्यादा गति से निकलता है. रेलगन पारंपरिक तोपों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं. बारूद का उपयोग नहीं होने पर वजन कम हो जाता. रेलगन का गोला 80 km से 160 km तक जाता था. हालांकि इससे निकलने वाले गोले की गति का खुलासा फिलहाल किसी भी देश ने नहीं किया है.  

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