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World Environment Day: धरती पर हो रहे ऐसे बदलाव कि करोड़ों लोगों को छोड़ना पड़ रहा घर-बार... कुदरती तबाही पर डराने वाली रिपोर्ट

प्रकृति का गुस्सा, खासकर जलवायु परिवर्तन भारत और दुनिया के लिए बड़ी चुनौती है. 10 साल में भारत में 3.2 करोड़ और दुनिया में 26.48 करोड़ विस्थापन हुए. 2024 में 4.58 करोड़ बार लोग बेघर हुए. बेहतर डेटा, मजबूत ढांचा और जल्द चेतावनी सिस्टम से इस जोखिम को कम किया जा सकता है.

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प्रयागराज में 2023 अगस्त में हुई बाढ़ के बाद गंगा का पानी बढ़ा. निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को जगह बदलनी पड़ी. (फाइल फोटोः AFP/PTI)
प्रयागराज में 2023 अगस्त में हुई बाढ़ के बाद गंगा का पानी बढ़ा. निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को जगह बदलनी पड़ी. (फाइल फोटोः AFP/PTI)

प्रकृति का गुस्सा हर साल लाखों लोगों को बेघर कर रहा है. इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर (IDMC) की नई रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2024 तक दुनिया भर में बाढ़, तूफान, भूकंप और जंगल की आग जैसी आपदाओं ने 26.48 करोड़ लोगों को उनके घरों से विस्थापित किया. भारत में इस दौरान 3.2 करोड़ लोग विस्थापित हुए. 2024 में अकेले 4.58 करोड़ बार लोग बेघर हुए, जो दशक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. 

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IDMC की रिपोर्ट Countdown to 2030: Achieving Global Targets on Disaster Displacement के अनुसार, 2015-2024 के बीच 210 देशों और क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं ने लोगों को बेघर किया. इनमें से 89% विस्थापन बाढ़ और तूफानों के कारण हुए.

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Natural disasters in India

वैश्विक आंकड़े

  • 2015-2024 में 26.48 करोड़ बार लोग विस्थापित हुए.
  • 2024 में 4.58 करोड़ विस्थापन, जो पिछले 10 साल की औसत (2.65 करोड़) से दोगुना है.
  • 2023 के अंत तक 98 लाख लोग आपदाओं के कारण आंतरिक विस्थापन (IDP) में रह रहे थे.
  • निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में 60% से ज्यादा विस्थापन हुए.

भारत में स्थिति

  • भारत में 10 साल में 3.2 करोड़ लोग बाढ़, तूफान और अन्य आपदाओं से विस्थापित हुए.
  • 2024 में दक्षिण एशिया में 92 लाख विस्थापन हुए, जिनमें भारत का बड़ा हिस्सा था.
  • 2019 में भारत में साइक्लोन फानी और बुलबुल ने 40 लाख से ज्यादा विस्थापन किए.

Natural disasters in India

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प्रमुख कारण

जलवायु परिवर्तन: बाढ़, तूफान और जंगल की आग की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ रही है.

कमजोर तैयारी: खराब बुनियादी ढांचा और जोखिम वाले क्षेत्रों में बस्तियां विस्थापन को बढ़ाती हैं.

डेटा की कमी: कई विस्थापनों का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता, जिससे मदद में देरी होती है.

IDMC निदेशक एलेक्जेंड्रा बिलक कि विस्थापन आज की समस्या है, जो बार-बार हो रही है. गरीब देश सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. बेहतर डेटा, नीतियां और निवेश से जोखिम कम किया जा सकता है. 

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किन आपदाओं ने मचाया सबसे ज्यादा कहर?

  • बाढ़ और तूफान: 89% विस्थापन इनके कारण. 2023 में साइक्लोन फ्रेडी (दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका) ने 14 लाख और साइक्लोन मोचा (हिंद महासागर) ने लाखों को बेघर किया.
  • भूकंप: 2023 में तुर्की और सीरिया के भूकंप ने 47 लाख विस्थापन किए.
  • जंगल की आग: कनाडा में 2023 की आग ने 1.85 लाख लोगों को विस्थापित किया.
  • सूखा: हॉर्न ऑफ अफ्रीका में 2023 में सूखे ने 21 लाख विस्थापन किए, जिनमें सोमालिया में 11 लाख शामिल हैं.

भारत में प्रभाव

2019: साइक्लोन फानी और बुलबुल ने भारत और बांग्लादेश में 40 लाख से ज्यादा विस्थापन किए.

2024: दक्षिण एशिया में बाढ़ और तूफानों ने 92 लाख लोगों को प्रभावित किया, जिसमें भारत में भारी बारिश और बाढ़ प्रमुख थीं.

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जलवायु परिवर्तन की भूमिका

जलवायु परिवर्तन ने प्राकृतिक आपदाओं को और खतरनाक बना दिया है. IDMC की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 10 साल में 21.9 करोड़ विस्थापन मौसम-संबंधी आपदाओं (बाढ़, तूफान, सूखा) से हुए, औसतन 2.24 करोड़ प्रति वर्ष. अगर जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण नहीं हुआ, तो भविष्य में हर साल 5.5 करोड़ से 10 करोड़ लोग विस्थापित हो सकते हैं. भारत जैसे देश, जहां घनी आबादी और कमजोर बुनियादी ढांचा है, सबसे ज्यादा जोखिम में हैं.

उदाहरण

  • 2023 में भारत में मॉनसून बाढ़ ने 82 लाख विस्थापन किए.
  • 2024 में ब्राजील में बाढ़ ने 7.75 लाख लोगों को बेघर किया.

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विस्थापन का प्रभाव

  • आर्थिक नुकसान: विस्थापन से हर साल अरबों डॉलर का नुकसान होता है, जिससे देशों का आर्थिक विकास प्रभावित होता है.
  • सामाजिक प्रभाव: विस्थापित लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित हो जाते हैं.
  • खाद्य असुरक्षा: 2022 में विस्थापन ने खाद्य संकट को और बढ़ाया, खासकर हॉर्न ऑफ अफ्रीका में. 
  • गरीब देशों पर बोझ: 60% से ज्यादा विस्थापन निम्न-आय वाले देशों में हुए, जहाँ संसाधन पहले से कम हैं।

भारत में बाढ़ और तूफान ने लाखों लोगों को अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर किया. खेती और आजीविका पर निर्भर ग्रामीण आबादी सबसे ज्यादा प्रभावित हुई.

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समाधान और सुझाव

IDMC और सेंडाई फ्रेमवर्क फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (2015-2030) के तहत कुछ समाधान सुझाए गए हैं...

  • बेहतर डेटा संग्रह: विस्थापन का सटीक डेटा नीतियां बनाने में मदद करेगा.
  • जलवायु-रोधी ढांचा: मजबूत घर, सड़कें और बांध विस्थापन को कम कर सकते हैं.
  • जल्द चेतावनी सिस्टम: भारत में मौसम विभाग की चेतावनियां पहले से बेहतर हुई हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ानी होगी.
  • दीर्घकालिक निवेश: जलवायु अनुकूलन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण में निवेश जरूरी है.
  • राष्ट्रीय योजनाएं: सेंडाई फ्रेमवर्क के तहत 131 देशों ने 2023 तक आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियां बनाईं. 

भारत की स्थिति

भारत ने सेंडाई फ्रेमवर्क के तहत राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीति बनाई है. 2023 तक भारत के 110 स्थानीय प्रशासनों ने ऐसी रणनीतियां अपनाईं.

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