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न सोना, न हीरा... ये है दुनिया की सबसे महंगी वस्तु, कीमत- 62 लाख करोड़ प्रति ग्राम

दुनिया में सबसे महंगा न सोना है न हीरा. एक चीज ऐसी है जिसकी कीमत बहुत ज्यादा है. अगर ये एक ग्राम मिल जाए तो पूरे भारत को 10-12 दिन बिजली सप्लाई हो सकती है. एक ग्राम 4 हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के बराबर ऊर्जा रखता है. इसकी कीमत है- 62.5 लाख करोड़ रुपए प्रति ग्राम.

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CERN के MEDICIS लैब में एंटीमैटर को कैप्चर किया जाता है. (Photo: Getty)
CERN के MEDICIS लैब में एंटीमैटर को कैप्चर किया जाता है. (Photo: Getty)

आपके हाथ में एक बहुत छोटा सा चूर्ण है – सिर्फ एक ग्राम. अगर यह फट जाए तो जितनी ऊर्जा निकलेगी, उससे 4 हिरोशिमा जैसे परमाणु बम फटने जितना धमाका होगा. और इसकी कीमत? 

लगभग 62.5 लाख करोड़ रुपये (62.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) प्रति ग्राम. यानी भारत का सालाना बजट (लगभग 50 लाख करोड़) से भी ज्यादा कीमत सिर्फ एक ग्राम की.

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नाम है – एंटीमैटर (Antimatter)

हमारा पूरा ब्रह्मांड सामान्य पदार्थ (matter) से बना है – आप, मैं, हवा, पानी, पत्थर, सूरज, सब. एंटीमैटर इसके कणों का बिल्कुल उल्टा रूप है.

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सामान्य इलेक्ट्रॉन का चार्ज नेगेटिव (−) होता है - एंटी-इलेक्ट्रॉन (पॉजिट्रॉन) का चार्ज पॉजिटिव (+) होता है. सामान्य प्रोटॉन का चार्ज पॉजिटिव (+) - एंटी-प्रोटॉन का नेगेटिव (−). जब ये दोनों मिलते हैं – तो 100% द्रव्यमान शुद्ध ऊर्जा में बदल जाता है. कोई राख नहीं, कोई धुआं नहीं, सिर्फ भयानक रोशनी और गर्मी.

अभी तक कितना एंटीमैटर बना है?

1995 से 2025 तक पूरी दुनिया के सारे प्रयोग मिलाकर सिर्फ 10 नैनोग्राम (यानी 0.00000001 ग्राम) के करीब एंटीमैटर बन पाया है. इतने से एक बल्ब भी 1 सेकंड नहीं जलेगा, लेकिन इसे बनाने में अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं.

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कहां बनता है?

  • CERN (स्विट्जरलैंड-फ्रांस बॉर्डर) – दुनिया की सबसे बड़ी मशीन LHC (27 किलोमीटर लंबी गोल सुरंग).  
  • अमेरिका में Fermilab.  
  • जर्मनी में GSI हैल्महोल्ट्ज सेंटर.

इन जगहों पर कणों को प्रकाश की गति के 99.999% तक तेज करके आपस में टकराया जाता है. टक्कर से कुछ देर के लिए एंटीमैटर के कण पैदा होते हैं.

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इसे कैसे पकड़कर रखते हैं?

एंटीमैटर को किसी भी चीज को छूने नहीं दे सकते, वरना तुरंत फट जाएगा. इसलिए...

  • बहुत ठंडा किया जाता है – लगभग −273 डिग्री सेल्सियस (absolute zero के करीब).
  • शक्तिशाली चुंबकीय और विद्युत क्षेत्र (Penning Trap) से हवा में तैरता हुआ रखा जाता है.
  • एक सेकंड में लाखों बार चेक किया जाता है कि कहीं कोई कण दीवार से न टकरा जाए.

2011 में CERN ने 309 एंटी-हाइड्रोजन परमाणु को 16 मिनट 40 सेकंड तक जिंदा रखने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था.

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भविष्य में क्या-क्या हो सकता है?

अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति ... आज मंगल जाने में 7-9 महीने लगते हैं. एंटीमैटर रॉकेट से सिर्फ 1 महीने में मंगल और कुछ सालों में दूसरे तारों तक पहुंच सकते हैं. नासा की गणना है कि सिर्फ 10 मिलीग्राम एंटीमैटर से पूरा अंतरिक्ष यान प्लूटो तक जा सकता है.

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बिजली का अथाह स्रोत... 1 ग्राम एंटीमैटर + 1 ग्राम सामान्य पदार्थ = 43 किलो टन TNT जितनी ऊर्जा. यानी पूरे भारत को 10-12 दिन बिजली दे सकता है सिर्फ 1 ग्राम.

कैंसर का इलाज... PET स्कैन में पहले से ही थोड़ा पॉजिट्रॉन (एंटी-इलेक्ट्रॉन) इस्तेमाल होता है. भविष्य में एंटी-प्रोटॉन से कैंसर कोशिकाओं को और सटीक निशाना बनाया जा सकता है.

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इतना महंगा क्यों?

1 ग्राम बनाने में 10 लाख साल तक LHC को लगातार चलाना पड़ेगा. एक सेकंड का प्रयोग लाखों रुपये खर्च करता है. अभी तक जितना बना, उसकी लागत अरबों डॉलर में है.

फन फैक्ट

बिग बैंग में बराबर मात्रा में मैटर और एंटीमैटर बना था. लेकिन आज एंटीमैटर लगभग गायब है. वैज्ञानिक आज भी ढूंढ रहे हैं कि बचा हुआ एंटीमैटर कहां गया? अगर 1 ग्राम एंटीमैटर धरती पर गिर जाए तो पूरा शहर उड़ जाएगा.

आज एंटीमैटर सिर्फ प्रयोगशाला की शान है, लेकिन कल यह पूरी मानव सभ्यता को बदल सकता है. जिस दिन हम इसे सस्ते में और सुरक्षित तरीके से बना और स्टोर करने लगेंगे, उस दिन सचमुच ऊर्जा मुफ्त हो जाएगी. तब सोना-हीरा नहीं, बल्कि एक छोटी सी शीशी में तैरता हुआ चमकता एंटीमैटर दुनिया का सबसे कीमती खजाना होगा.

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