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क्या भारत को 'महान हिमालयी भूकंप' के लिए तैयार रहना चाहिए?

जापान की मेगाक्वेक चेतावनी से हिमालय में 'महान भूकंप' की चर्चा तेज हो गई है. वैज्ञानिक बताते हैं कि छोटे भूकंपों से दबाव निकाल रहे हैं इसलिए अभी खतरा नहीं. लेकिन नया सीस्मिक मैप पूरे हिमालय को जोन VI में डाला गया है. भारत तैयारी बढ़ा रहा – मजबूत इमारतें, अर्ली वॉर्निंग को लेकर काम चल रहा है.

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ये है भारत का भूगोल का थ्रीडी मैप जिसमें हिमालय उठा हुआ दिखाया गया है. (File Photo: Getty)
ये है भारत का भूगोल का थ्रीडी मैप जिसमें हिमालय उठा हुआ दिखाया गया है. (File Photo: Getty)

जापान में मेगाक्वेक (बहुत बड़े भूकंप) की चेतावनी ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. जापान पैसिफिक रिंग ऑफ फायर पर है, जहां बड़ा भूकंप आने की आशंका हमेशा रहती है. अब ये खबर भारत में भी चर्चा का विषय बन गई है. लोग पूछ रहे हैं – क्या हिमालय में 'महान भूकंप' (Great Himalayan Earthquake) आने वाला है? वैज्ञानिक कहते हैं कि घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन तैयारी जरूरी है. आइए, इसकी पूरी कहानी समझते हैं.

महान हिमालयी भूकंप क्या है?

हिमालय के नीचे एक बड़ी फॉल्ट लाइन है, जिसे 'मेन हिमालयन थ्रस्ट' कहते हैं. यहां भारतीय टेक्टॉनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धीरे-धीरे धंस रही है. इससे सदियों से दबाव जमा हो रहा है. जब ये दबाव एक झटके में निकलेगा, तो मैग्नीट्यूड 8 या उससे ज्यादा का भूकंप आ सकता है.

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ऐसा भूकंप उत्तर भारत, नेपाल और पड़ोसी इलाकों में भयंकर तबाही मचा सकता है. लाखों लोग प्रभावित होंगे. पहाड़ खिसकेंगे. भूस्खलन होंगे. इमारतें गिरेंगी. हिमालय में आबादी ज्यादा है. घर-इमारतें कमजोर हैं इसलिए नुकसान बहुत होगा.

पहले भी ऐसे भूकंप आए हैं...

  • 1934 का बिहार-नेपाल भूकंप (मैग्नीट्यूड 8.0) – हजारों मौतें.
  • 2015 का नेपाल भूकंप (मैग्नीट्यूड 7.8) – 9,000 से ज्यादा लोग मारे गए.
Great Himalayan Earthquake
जापान में आए भूकंप से धंसी सड़क में फंसी कार. (Photo: AFP)

जापान की चेतावनी से भारत में क्यों चिंता?

जापान ने हाल ही में मेगाक्वेक की बड़ी चेतावनी जारी की. वहां नांकाई ट्रफ पर बड़ा भूकंप आने की आशंका है. ये खबर सुनकर भारत में लोग हिमालय को याद कर रहे हैं. दोनों जगह टेक्टॉनिक प्लेट्स की टक्कर से भूकंप आते हैं. लेकिन भारत और जापान के हालात अलग हैं.

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भारत को अभी चिंता करने की जरूरत नहीं: वैज्ञानिक

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा कहते हैं कि अभी हिमालय हमें बचा रहा है. यहां छोटे-छोटे भूकंप (मैग्नीट्यूड 2.5-3.5) आते रहते हैं, जो जमा दबाव को धीरे-धीरे निकालते हैं. ये ज्यादा नुकसान नहीं करते, लेकिन बड़ा भूकंप आने से रोकते हैं. इसलिए अभी 'महान हिमालयी भूकंप' की चिंता करने की जरूरत नहीं.

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ये प्रक्रिया 'एसीस्मिक क्रीप' कहलाती है – यानी दबाव बिना बड़े झटके के निकलता रहता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय अभी 'सेफ्टी वॉल्व' की तरह काम कर रहा है. लेकिन लंबे समय में खतरा बना हुआ है. टेक्टॉनिक प्लेट्स की गति नहीं रुकी है. कभी भी बड़ा दबाव जमा हो सकता है.

भारत ने बढ़ाया खतरे का लेवल: नया सीस्मिक जोन मैप

भारत सरकार ने हाल ही में भूकंप जोन मैप को बड़ा बदलाव किया है. ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) के नए अर्थक्वेक डिजाइन कोड में पूरे हिमालय को सबसे ऊंचे रिस्क जोन – 'जोन VI' में डाला गया है. ये दशकों में सबसे बड़ा बदलाव है. 

अब देश के 61% इलाके मध्यम से उच्च भूकंप जोखिम में हैं. उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तर-पूर्व और गुजरात जैसे इलाके सबसे ज्यादा खतरे में. नई इमारतें अब ज्यादा मजबूत बनानी होंगी.

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भारत क्या कर रहा है तैयारी में?

  • लगातार मॉनिटरिंग: पूरे हिमालय में सीस्मोग्राफ लगे हैं.
  • अर्ली वॉर्निंग सिस्टम: कुछ सेकंड पहले चेतावनी देने की तकनीक पर काम.
  • जागरूकता: लोगों को बताया जा रहा है कि भूकंप आए तो क्या करें.
  • मजबूत बिल्डिंग कोड: नई बिल्डिंग्स भूकंप रोधी बनानी जरूरी. 

सतर्क रहें, घबराएं नहीं

जापान की चेतावनी से सबक लेना चाहिए, लेकिन भारत में अभी बड़ा भूकंप आने के संकेत नहीं हैं. छोटे भूकंप अच्छी बात हैं – ये बड़ा खतरा टाल रहे हैं. फिर भी, प्रकृति का खेल कोई नहीं जानता. वैज्ञानिक कहते हैं – खतरा कभी खत्म नहीं होता, बस तैयारी से नुकसान कम किया जा सकता है.

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