कोटा के सांगोद विधानसभा क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में हुए निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं. ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विजिलेंस जांच के निर्देश दिए हैं. उन्होंने जिला कलेक्टर को कहा है कि PWD को नोडल एजेंसी बनाकर विजिलेंस टीम गठित की जाए, जो पिछले कुछ सालों में हुए सभी स्कूल भवन निर्माण कार्यों की जांच करेगी.
इनमें खासतौर पर वे स्कूल शामिल होंगे, जिनकी इमारतें सिर्फ 5-7 साल में ही जर्जर हो चुकी हैं. मंत्री ने कहा कि सरकारी धन के दुरुपयोग और घटिया निर्माण में लिप्त ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
38 लाख से बन रहा था स्कूल, निरीक्षण में खुली पोल
ऊर्जा मंत्री नागर ने हाल ही में उरना, नरसिंहपुरा, खोदियाखेड़ी, खजूरना, जांगलियाहेड़ी, मोहनपुरा, कोटबावड़ी, बंजारा बस्ती, मंगलपुरा, आवां, किशोरपुरा, लाडपुरा, गुजरियाहेड़ी, जुगलपुरा और गोपालपुरा सहित कई गांवों का दौरा किया. खजूरना गांव में मंत्री ने एक स्कूल का निरीक्षण किया, जहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अनुशंसा पर पावर ग्रिड के CSR फंड से करीब 38 लाख की लागत से भवन का निर्माण कराया जा रहा था.
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निरीक्षण के दौरान मंत्री नागर ने पाया कि पुराने स्कूल का फर्श एक फीट तक धंस चुका था, और जब फर्श हटाया गया तो सीमेंट का प्रयोग ही नहीं किया गया था. वहीं, नए भवन में भी कॉलम की सीसी में गैप और फ्लोर में दरारें मिलीं.
उन्होंने मौके पर ही ठेकेदार को फटकार लगाई और काम रोकने के निर्देश दिए.
4 इंच की छत, कमजोर सरिया – मंत्री ने बताया ‘खुला भ्रष्टाचार’
मंत्री नागर ने उरना गांव में भी स्कूल भवन का निरीक्षण किया, जहां की छत लटकी हुई और टूटने की स्थिति में थी. जांच में सामने आया कि 6 इंच की जगह 4 इंच की स्लैब, और 12 एमएम की जगह 8 एमएम के सरिए का प्रयोग किया गया था. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार और लापरवाही का मामला है.
विजिलेंस टीम करेगी जांच, दोषियों पर होगी कार्रवाई
ऊर्जा मंत्री ने कहा,“सरकारी पैसों से बच्चों का भविष्य नहीं, भवनों का मलबा बनाया गया है. अब विजिलेंस टीम हर स्तर पर जांच करेगी. जो भी जिम्मेदार मिलेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
जिले के कई स्कूलों में हालात ऐसे हैं कि बच्चे बाहर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं, जबकि भवनों पर लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं. इसी तरह आंगनबाड़ी भवनों में भी निर्माण अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं.
अब बड़े पैमाने पर जांच की तैयारी
मंत्री के निर्देश के बाद अब सभी पुराने निर्माण कार्यों की तकनीकी जांच विजिलेंस टीम द्वारा की जाएगी. रिपोर्ट के आधार पर ठेकेदारों, इंजीनियरों और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है.