एक तरफ अरावली पर्वत श्रृंखला को बचाने को लेकर अभियान चल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव के संसदीय क्षेत्र अलवर में अरावली को खुलेआम नुकसान पहुंचाया जा रहा है. दिल्ली सहित पूरे एनसीआर में ग्रेप की पाबंदियां लागू हैं, जिनके तहत क्रेशर और खनन कार्य पर पूरी तरह रोक है. इसके बावजूद अलवर जिले के रामगढ़, राजगढ़ और टहला क्षेत्र में दिन रात खनन गतिविधियां चल रही हैं.
नियमों के अनुसार ब्लास्टिंग रात के समय की जानी चाहिए, लेकिन रामगढ़ थाना क्षेत्र के ललावंडी गांव में खनन माफिया दिन के समय पहाड़ों में ब्लास्टिंग कर रहे हैं. चार से पांच दिन पुराना एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जब टीम गांव पहुंची, तो हालात बेहद चिंताजनक नजर आए. खनन माफिया के डर से ग्रामीण दहशत में हैं और खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं.
जिलेभर से दिन रात खनन गतिविधियां जारी
ग्रामीणों ने बताया कि भारी ब्लास्टिंग के कारण घरों में दरारें आ रही हैं. जल जीवन मिशन के तहत करोड़ों रुपये की लागत से बनी जलदाय विभाग की पानी की टंकी में भी जगह जगह दरारें पड़ गई हैं. चार दिन पहले हुई हैवी ब्लास्टिंग से पूरे गांव की नींव हिल गई. अब ग्रामीण अपने ही घरों को सुरक्षित नहीं मान रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि वे सालों से ब्लास्टिंग की मार झेल रहे हैं. कई बार विरोध किया, लेकिन उनकी आवाज दबा दी गई. कुछ साल पहले गांव की महिलाओं ने विरोध किया तो उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर करीब 15 महिलाओं को जेल भेज दिया गया. इसी वजह से अब गांव का हर व्यक्ति डर और दबाव में जी रहा है.
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
ग्रामीणों का आरोप है कि पैसों की ताकत के आगे उनकी सुनवाई नहीं होती. खनन कंपनियां अधिकारियों को प्रभावित कर देती हैं. उनका कहना है कि प्रशासन के लिए उनकी जान से ज्यादा खदानों की कीमत है. माइंस विभाग के माइनिंग इंजीनियर मनोज शर्मा ने बताया कि ग्रेप की पाबंदियों के चलते खनन पर रोक है. यदि इसके बावजूद खनन हो रहा है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी.