तेजस्वी यादव बिहार में विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, लेकिन आज की तारीख में आने वाले चुनाव के लिए महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं हैं. महागठबंधन से कोई अलग हाल एनडीए का नहीं है. नीतीश कुमार बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं, लेकिन एनडीए के सीएम फेस नहीं हैं.
नीतीश कुमार का भी आत्मविश्वास थोड़ी देर के लिए तो कम पड़ ही जाता होगा, जब महाराष्ट्र चुनाव के दौरार अमित शाह का बयान याद आता होगा. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बारे में पूछा गया था, और अमित शाह ने कहा था, 'अभी तो एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं.' बिहार के मामले में भी अमित शाह कह चुके हैं कि ऐसे फैसले बीजेपी का संसदीय बोर्ड लेता है. मतलब, जब तक संसदीय बोर्ड की मुहर नहीं लग जाती,नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी पक्की नहीं मानी जा सकती.
कांग्रेस ने भी तेजस्वी यादव का मामला वैसे ही फंसा रखा है, जैसे बीजेपी ने नीतीश कुमार का. अब सवाल ये हो सकता है कि अगर दोनों तरफ मामला एक जैसा ही है, तो किसी एक पर असर कहां से होगा. न किसी को फायदा होगा, न किसी को नुकसान होगा - लेकिन राजनीति में कई बार मैथ की तरह चीजें सीधी और सपाट बिल्कुल नहीं होतीं.
ये ठीक है कि तेजस्वी यादव की भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में नीतीश कुमार जैसा ही पेच फंसा हुआ है, लेकिन जरूरी नहीं कि मुश्किलें और चुनौतियां भी बराबर ही हों. और, तेजस्वी यादव के मामले में चुनौतियां ज्यादा लगती हैं. बीजेपी के पास तो नीतीश कुमार से हाथ खींच लेने का विकल्प फिलहाल नहीं लगता, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो तेवर दिखाया है - कुछ भी असंवभव नहीं लगता.
तेजस्वी के नाम पर महागठबंधन में असहमति क्यों?
तेजस्वी यादव 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का चेहरा रहे हैं. फिलहाल बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. विपक्ष से आशय यहां सत्ताधारी बीजेपी-जेडीयू वाले एनडीएक के खिलाफ महागठबंधन में शामिल पार्टियों से है, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है.
मुद्दे की बात ये है कि तेजस्वी यादव के महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होने को लेकर कई बार सवाल पूछा जा चुका है, लेकिन कांग्रेस नेता हमेशा ही टाल जाते रहे हैं. कांग्रेस और आरजेडी नेताओं की कई बार मुलाकात भी हो चुकी है, और करीब करीब हर मुलाकात के बाद मीडिया की तरफ से ये सवाल पूछा ही जाता है - लेकिन हर कांग्रेस नेता टाल जाते हैं.
महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पूछे जाने पर आरजेडी नेता मनोज झा कहते हैं, आज जो परिस्थितियां हैं, उनमें तेजस्वी यादव ही सीएम का चेहरा हैं… वो चाहकर भी इसे छोड़ नहीं सकते… क्योंकि, बिहार की जनता ये स्वीकार नहीं करेगी… ये नैरेटिव घर घर पहुंच गया है.
अब तक तो कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ये ही बताते रहे हैं कि इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है. कभी ये भी बोलते हैं कि अभी जरूरी मुद्दों पर जोर है, ये सब बाद में देख लिया जाएगा.
और, अब इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में जब तेजस्वी यादव के नेतृत्व का सवाल उठता है, तो कृष्णा अल्लावरु फिर से एक राजनीतिक बयान जारी कर देते हैं. न सीधे सीधे हां कह रहे हैं और न सीधे सीधे खारिज करते हैं. न ही अपनी तरफ से कोई दावा पेश करते हैं.
तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता मानने के सवाल पर कृष्णा अल्लावरु कहते हैं, INDIA ब्लॉक सहयोगियों में सभी की अपनी अपनी खासियत है... हमें एक-दूसरे के साथ और समर्थन में रहना होगा… समन्वय समिति सभी मुद्दों, जैसे संयुक्त रैलियों से लेकर सीट बंटवारे तक, चर्चा करने वाली सबसे बड़ी कमेटी है. तेजस्वी यादव समन्वय समिति के नेता हैं… कांग्रेस के पास ये मैंडेट नहीं है कि वो किसी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करे… सभी गठबंधन सहयोगियों सामूहिक दायित्व है कि वे सही समय पर अपने नेता का ऐलान करें.
सुनने में तो ये बातें अच्छी लगती हैं, लेकिन राजनीतिक मायने बिल्कुल अलग हो जाते हैं. कृष्णा अल्लावरु सारी बातें बोल दे रहे हैं, लेकिन अपने बयान में ये समझने भी नहीं दे रहे हैं कि कांग्रेस को तेजस्वी यादव को महागठबंधन के मुख्यमंत्री का चेहरा बनाये जाने से कोई ऐतराज नहीं है.
और ये हाल तब है जब इंडिया टुडे और सीवोटर के सर्वे में तेजस्वी यादव काफी दिनों से लोकप्रियता के मामले में नीतीश कुमार को भी काफी पीछे छोड़ दे रहे हैं.
NDA से मुकाबले के लिए के लिए तेजस्वी का चेहरा कितना महत्वपूर्ण
कृष्णा अल्लावरु से जब ऑपरेशन सिंदूर के बाद बिहार के राजनीतिक माहौल के बारे में सवाल किया जाता है, तो वो अपनी तरफ से खारिज कर देते हैं. कहते हैं, ऑपरेशन सिंदूर के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की बात बोल देने के बाद नरेंद्र मोदी के राष्ट्रवाद का मिथक सामने आ चुका है.
बिहार कांग्रेस प्रभारी का इस बयान के बाद भी तेजस्वी यादव के सामने खड़ी चुनावी चुनौतियां कम नहीं होने वाली हैं. और, जब तेजस्वी यादव की चुनौतियां खत्म नहीं हो सकतीं, तो कांग्रेस की स्थिति का तो आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है.
नीतीश कुमार अगर एकनाथ शिंदे की तरह एनडीए के मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं भी घोषित किये जाते तब भी तेजस्वी यादव के लिए चुनौतियां वैसे ही बरकरार रहेंगी. हां, अगर कांग्रेस की सहमति के बाद तेजस्वी यादव को महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया जाता है, तो चीजें काफी आसान हो जातीं.