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राजस्थान में मोदी बनाम गहलोत की लड़ाई को राहुल गांधी के आने से नुकसान

वोटिंग से ठीक पहले राहुल गांधी ने राजस्थान में मोर्चा संभाल लिया है. पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अकेले अशोक गहलोत दो-दो हाथ कर रहे थे. बीजेपी की तरफ से कन्हैयालाल हत्याकांड को मुद्दा बनाने की कोशिश की गयी, लेकिन राहुल गांधी का जोर OBC वोटर पर ज्यादा लगता है - कौन सा मुद्दा भारी पड़ेगा?

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राहुल गांधी राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर क्यों चाहते हैं?
राहुल गांधी राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर क्यों चाहते हैं?

राजस्थान की लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए करीब करीब एक जैसी ही लगती रही है. और ऐसा समझने के पीछे दोनों ही दलों का अंदरूनी झगड़ा है. जैसे बीजेपी नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से परेशान रहा है, बिलकुल वैसे ही कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की खुलेआम चल रही लड़ाई से. हालांकि, वोटिंग की तारीख नजदीक आते आते दोनों ही तरफ से एकजुट होने का संदेश देने की कोशिश हुई है. 

जैसे वसुंधरा राजे को पहले दरकिनार करने की कोशिश हुई, लेकिन बाद में उनका सम्मान और दिखावे के लिए ही बीजेपी की तरफ से ख्याल रखे जाने का संदेश दिया गया, सचिन पायलट को भी अशोक गहलोत के साथ कुछ पोस्टर में देखा जाने लगा. बीजेपी खेमे से एक खबर ये भी आयी राजस्थान बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को वसुंधरा राजे के सम्मान में कोई कमी नहीं रखनी है, लेकिन उनसे निर्देश लेने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है. 

काफी दिनों से राहुल गांधी के राजस्थान से दूरी बना लेने की भी खासी चर्चा रही. ऐसा होने के पीछे अशोक गहलोत से उनकी नाराजगी मानी जा रही थी. उम्मीदवारों के टिकट बंटवारे के तौर तरीके पर भी कांग्रेस आलाकमान खफा बताया जा रहा था - बहरहाल, मतदान से ठीक पहले राहुल गांधी राजस्थान पहुंच गये. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोट डाले जाने हैं. 

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19 नवंबर को राजस्थान के अलग अलग इलाकों में राहुल गांधी के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी भी रही. प्रधानमंत्री मोदी का भाषण जहां राजस्थान की कांग्रेस सरकार के कामकाज और अशोक गहलोत पर फोकस दिखा, राहुल गांधी का पूरा जोर जातिगत जनगणना की मांग के साथ ओबीसी वोटर पर केंद्रित दिखा. वैसे वो अपना फेवरेट टॉपिक अडानी ग्रुप का कारोबार नहीं भूले. और प्रधानमंत्री मोदी को भारत माता की जय की जगह अडानी की जयजयकार की सलाह दे रहे थे.

राजस्थान का चुनावी चरम पर पहुंचने के पहले से ही बीजेपी की तरफ से उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड को मुद्दा बनाने की काफी कोशिश की गयी, लेकिन धीरे धीरे नेताओं के भाषण में दूसरे मुद्दों पर जोर देखा जाने लगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में भी लाल डायरी के बहाने भ्रष्टाचार का जिक्र सुनने को मिला. 

लेकिन राहुल गांधी शुरू से ही जिस मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उसी पर पूरी ताकत झोंक रहे हैं. राजस्थान चुनाव में भी राहुल गांधी का जोर जातिगत जनगणना पर देखने को मिला है, और ध्यान ओबीसी वोटर पर.

OBC के बहाने मोदी पर निशाना

राजस्थान की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही ने बराबर ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं. कांग्रेस ने 72 सीटों पर ओबीसी नेताओं को टिकट दिया है, जिनमें 34 जाट बिरादरी से आते हैं. बीजेपी ने 70 ओबीसी उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं, जिनमें 33 जाट बिरादरी से आते हैं. 

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ये भी ध्यान देने वाली बात है कि राहुल गांधी जाटों का सीधे सीधे जिक्र नहीं कर रहे हैं, बल्कि सिर्फ ओबीसी समुदाय की बात कर रहे हैं. असल में राजस्थान में राजपूत और जाट दोनों ही ओबीसी हैं. ऐसा माना जा रहा है कि राजपूतों का झुकाव अब भी बीजेपी के पास है, लेकिन जाट परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहे हैं. राहुल गांधी बार बार जोर देकर केंद्र के 90 सचिवों में से सिर्फ 3 ओबीसी का मुद्दा जरूर उठा रहे हैं. 

ओबीसी के बहाने राहुल गांधी जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उठा रहे हैं. वो अपनी मांग पर जोर दे रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार आते ही ऐसा करेंगे, ठीक वैसा ही केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद करेंगे - दूसरी तरफ, बीजेपी अभी ओबीसी सर्वे की तैयारी कर रही है. लेकिन ऐसा लगता है विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर ही बीजेपी फैसला लेगी. 

और फिर राहुल गांधी अचानक प्रधानमंत्री मोदी के ओबीसी होने पर ही सवाल खड़ा कर देते हैं. असल में, बिहार में हुई जातिगत गणना की रिपोर्ट आने पर मोदी ने कहा था कि सबसे बड़ी जाति गरीब की है. अब राहुल गांधी पूछ रहे हैं कि अगर ओबीसी कोई जाति नहीं तो मोदी ओबीसी कैसे हो गये?

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राजस्थान की एक चुनावी सभा में राहुल गांधी कहते हैं, 'जब लोगों को बांटने की बात आती है तो मोदी जातियों का सहारा लेते हैं... और जब लोगों को अधिकार और लाभ देने की बात आती है, तो दावा करते है कि भारत में गरीबों को छोड़ कर कोई जाति मौजूद नहीं है.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राहुल गांधी का सवाल है - अगर भारत में कोई जाति नहीं है तो आप ओबीसी कैसे हैं? 

कन्हैयालाल हत्याकांड का चुनाव में कितना असर

कन्हैयालाल हत्याकांड के साथ साथ राजस्थान की कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए बीजेपी की तरफ से भ्रष्टाचार और खास तौर पर पेपर लीक का मामला भी जोर शोर से उठाया गया है. बीजेपी के मैनिफेस्टो में तो सरकार बनने पर पेपर लीक केस की जांच के लिए एसआईटी के गठन की भी घोषणा की गयी है. 

जब राहुल गांधी ओबीसी को लेकर सवाल पूछ रहे थे, तो प्रधानमंत्री मोदी एक चुनावी रैली में कांग्रेस शासन में भ्रष्टाचार का मुद्दा उछाल रहे थे. मोदी लोगों को समझा रहे थे कि अशोक गहलोत की जादूगरी अब लाल डायरी में दिखने लगी है. कांग्रेस के ही एक बागी नेता की तरफ से चुनावों से कुछ पहले सामने लायी गयी लाल डायरी को बीजेपी भ्रष्टाचार के लॉग-बुक के तौर पर पेश किया जा रहा है.

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मोदी लोगों से कह रहे हैं कि अगर वे बीजेपी की सरकार बनवाते हैं तो राजस्थान से भ्रष्टाचारियों की जमात को खत्म कर दिया जाएगा. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी कन्हैयालाल हत्याकांड के बहाने राजस्थान में कानून-व्यवस्था से लेकर आतंकवाद तक का मुद्दा उठाते रहे हैं. 

कन्हैयालाल हत्याकांड का असर उदयपुर के उन्हीं कुछ इलाकों में है, जहां कन्हैयालाल का परिवार रहता है, लेकिन बाकी जगह कोई खास असर नहीं लग रहा है. यहां तक कि कन्हैयालाल का परिवार भी उनके नाम पर राजनीति से दुखी है - क्योंकि वे लोग इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं.

कन्हैयालाल के परिवार के लोग उनकी हत्या को राजनीतिक मुद्दा बना कर चुनाव में भुनाये जाने से बहुत नाखुश हैं. परिवार के लोगों का कहना है कि कन्हैयालाल का नाम उछाल कर सियासी फायदा उठाने की कोशिश हो रही है. परिवार की ये भी शिकायत है कि शुरू में तो कई नेता और मंत्री उन लोगों से मिलने पहुंचे ही रहते थे, लेकिन अब तो कोई भी नहीं पूछता. कन्हैयालाल के दोनों बेटों ने पिता को इंसाफ मिलने तक अस्थियां विसर्जित न करने के साथ साथ बाल नहीं कटवाने और नंगे पांव चलने संकल्प ले रखा है. 

राहुल गांधी कांटे की टक्कर कराने पर तो नहीं तुले हैं

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हाल के चुनाव प्रचार को देखें तो प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बोलते वक्त राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या तो नैतिकता की बात कर रहे थे, या फिर अपनी तरफ से तथ्य पेश करके अपनी बात रख रहे थे - और कन्हैयालाल केस इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है.
 
जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार करने का श्रेय NIA को दे दिया था, तो अशोक गहलोत ने सामने आकर दावा किया कि किस तरह राजस्थान पुलिस ने चार घंटे के भीतर ही आरोपियों को पकड़ लिया था. एनआईए को मामला सौंपे जाने की बात भी सरकारी आदेश की कॉपी के साथ की थी - और बीजेपी नेतृत्व के दावों पर बस इतना ही कहा कि जैसी बातें वे कर रहे हैं, वैसा नहीं करना चाहिये.
 
अशोक गहलोत अपनी तरफ से जवाब तो देते रहे, लेकिन राहुल गांधी की तरफ आक्रामक नहीं दिखे. उतने आक्रामक तो कभी नहीं जितना उनको सचिन पायलट के नाम पर कई बार देखा जा चुका है. वो अपने तरीके से अपने लोगों को अपनी बात समझाते रहे. 

राहुल गांधी तो सीधे मोदी पर हमला बोल देते हैं. कांग्रेस नेता का भाषण सुन कर कभी कभी तो लगता है जैसे वो विधानसभा के लिए नहीं, बल्कि राजस्थान में लोक सभा के लिए वोट मांग रहे हों. अगर वास्तव में ऐसा कुछ है तो मान कर चलना होगा, अशोक गहलोत से राहुल गांधी की नाराजगी कम नहीं हुई है. 

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राजस्थान को लेकर राहुल गांधी के एक बयान पर भी कांग्रेस के भीतर और बाहर काफी हैरानी जतायी जा रही थी, जब उन्होंने चार राज्यों में तो कांग्रेस की जीत का दावा किया, लेकिन राजस्थान में बीजेपी के साथ कांटे की टक्कर बता डाला था. ये ऐसी बात रही जो राजस्थान में अशोक गहलोत की पोजीशन को कमजोर बता रही थी. 

अब राजस्थान पहुंच कर जिस तरीके से राहुल गांधी नैरेटिव को अडानी और ओबीसी की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, सवाल ये उठता है कि क्या इसमें भी अशोक गहलोत के प्रति कोई नाराजगी का असर है? मध्य प्रदेश में तो मल्लिकार्जुन खड़गे बीजेपी को पांडव बता कर कांग्रेस को कौरव साबित कर ही चुके हैं - आखिर राहुल गांधी का इरादा क्या है?

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