'आतंकवादी, सिर्फ आतंकवादी होता है, और आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता' - पहलगाम हमले के बाद ये बहस काफी उलझ गई है. क्योंकि, हमलावरों ने लोगों से उनका धर्म पूछकर गोली मारी है.
और, लोगों से सिर्फ उनके धर्म का नाम ही नहीं पूछा है, अपने तरीके से ये भी चेक किया है कि कहीं वे झूठ तो नहीं बोल रहे हैं.. और, अपने धार्मिक पैमाने पर तौलने के लिए आतंकवादियों ने लोगों का टेस्ट भी लिया है, कलमा पढ़वाकर - लेकिन, फिर भी वे गच्चा खा गये. क्योंकि, कलमा पढ़ने वाले उस धर्म के नहीं थे जिनको वे छोड़ रहे थे.
मूर्खों को हड़बड़ी में ये नहीं समझ आया कि कलमा पढ़ने वाला किसी और धर्म का भी हो सकता है. और इसी चक्कर में हमलावरों ने एक मुस्लिम को भी मार डाला है. मालूम नहीं हमले के शिकार मुस्लिम शख्स को कलमा पढ़ने का मौका भी दिया गया या नहीं? वैसे एक शख्स पर भरोसा नहीं हुआ तो आतंकियों ने कपड़े भी उतरवा कर देखा, और देखते ही गोली मार दी.
मजहब के नाम पर सरेआम कत्ल
पहलगाम हमले के बारे में सारे ही चश्मदीद आतंकियों के बारे में एक ही बात बता रहे हैं, 'पहले तो धर्म पूछा, फिर कलमा पढ़ने को कहा और फिर गोली मार दी.'
1. असम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की जान इसलिए बच गई क्योंकि आतंकवादियों को देखकर वो कलमा पढ़ने लगे. मीडिया से बातचीत में प्रोफेसर ने बताया है, अपने परिवार के साथ मैं एक पेड़ के नीचे लेटा हुआ था... तभी देखा कि मेरे आसपास के लोग कलमा पढ़ रहे हैं... मैंने भी पढ़ना शुरू कर दिया... कुछ देर बाद ही एक आतंकी मेरी तरफ बढ़ा और मेरे बगल में लेटे व्यक्ति के सिर में गोली मार दी.
2. पुणे से पहलगाम घूमने गईं आसावरी के मुताबिक, 'आतंकवादी लोकल पुलिस की वर्दी में थे, और मास्क भी पहने हुए थे... हमलावरों ने सिर्फ पुरुषों को निशाना बनाया... खास तौर पर हिंदुओं से कलमा पढ़वाया... जो नहीं पढ़ पाये, उनको गोली मार दी गई... मेरे सामने मेरे पापा को तीन गोलियां मारी गईं.
3. एक चश्मदीद का तो ये भी दावा है कि शख्स का दावा है कि आतंकवादियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए भी धमका रहा था. एक चश्मदीद के मुताबिक आतंकवादी बोला, 'तुम लोगों ने मोदी को सिर पर चढ़ा रखा है... उसकी वजह से हमारा मजहब खतरे में है.'
मुस्लिम मुल्क भी हमले के खिलाफ भारत के साथ
पहलगाम हमले पर यूएई के विदेश मंत्रालय ने भारत सरकार और हमले के पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना और सहानुभूति जाहिर की है.
भारत में ईरानी दूतावास ने भी एक बयान जारी कर पहलगाम हमले की निंदा की है. दूतावास के बयान में कहा गया है, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान का दूतावास जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले की घोर निंदा करता है, जिसमें कई बेकसूर लोग मारे गये हैं.
रॉबर्ट वाड्रा की राय भी जान लीजिये
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने भी पहलगाम हमले की भर्त्सना की है, लेकिन रॉबर्ट वाड्रा ने अलग ही लाइन ले ली है. सोनिया गांधी के दामाद और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने ये तो कहा है कि पहलगाम में मारे गये लोगों के लिए उनको बहुत बुरा लग रहा है, और गहरी संवेदना भी व्यक्त की है.
लेकिन न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में रॉबर्ट वाड्रा कहते हैं, 'अगर आप इस आतंकवादी घटना को देखें... अगर वे लोगों की पहचान देख रहे हैं, तो वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हमारे देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक विभाजन आ गया है...'
रॉबर्ट वाड्रा की राय में, 'ये सब ऐसे संगठनों को महसूस कराता है कि हिंदू सभी मुसलमानों के लिए समस्या पैदा कर रहे हैं... पहचान देखकर और फिर किसी को मारना, यह प्रधानमंत्री को एक संदेश है... क्योंकि मुसलमान कमजोर महसूस कर रहे हैं... अल्पसंख्यक कमजोर महसूस कर रहे हैं...'
देखा जाये तो रॉबर्ट वाड्रा का नजरिया भी सैम पित्रोदा के 'हुआ तो हुआ' टाइप ही है. वैसे रॉबर्ट वाड्रा गांधी परिवार के रिश्तेदार जरूर हैं, लेकिन अभी तक वो कांग्रेस के नेता नहीं बन सके हैं.