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महाराष्ट्र में BJP को क्या सच में CM की कुर्सी से मोह भंग हो गया है? फडणवीस का इशारा बहुत कुछ कहता है

महाराष्ट्र में 40 विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे हैं, और 103 विधायकों वाली बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम. देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भी बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी मुख्यमंत्री पद पर दावा नहीं करने वाली है - सबसे बड़ा सवाल है कि ऐसा क्यों?

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क्या देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद भी बीजेपी की सरकार में मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे?
क्या देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद भी बीजेपी की सरकार में मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे?

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के तीन-चार महीने बाद ही विधानसभा के लिए भी चुनाव होने वाले हैं. लोकसभा चुनाव तो बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ रही है, विधानसभा चुनाव की क्या रणनीति होगी देखना होगा. 

अगर 2023 में हुए सारे ही विधानसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी के संसदीय बोर्ड ने पहले से ही तय कर दिया था कि मोदी के चेहरे पर ही लड़े जाएंगे, और वैसा ही हुआ भी. ये व्यवस्था उन राज्यों में भी लागू रही जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता में भी थी. 

2019 की तरह इस बार भी महाराष्ट्र में बीजेपी की ही सरकार है. चुनाव बाद बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़कर उद्धव ठाकरे ने MVA यानी महा विकास आघाड़ी की सरकार बना ली थी. MVA में शिवसेना के साथ साथ कांग्रेस और एनसीपी भी शामिल थे. तीनों दल शामिल तो अब भी हैं, लेकिन फर्क ये आया है कि शिवसेना और एनसीपी टूट चुकी हैं. अब MVA में उद्धव ठाकरे के हिस्से वाली शिवसेना और शरद पवार के हिस्से वाली एनसीपी ही रह गई हैं. 

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लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में फिलहाल दो गठबंधन आमने सामने हैं. MVA और महायुति. महाराष्ट्र में फिलहाल महायुति की ही सरकार है, जिसमें बीजेपी के साथ साथ एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना और अजीत पवार वाली एनसीपी भी शामिल है - जाहिर है, लोकसभा की ही तरह विधानसभा चुनाव में भी ये दोनों गठबंधन ही आमने सामने होंगे, बशर्ते कोई इधर-उधर न हो जाये. 

महायुति की सरकार में बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी ने शिवसेना तोड़ कर साथ आये मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बनाया हुआ है - और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके देवेंद्र फडणवीस को उनके नीचे डिप्टी सीएम बना रखा है.

और मुद्दे की बात ये है कि देवेंद्र फडणवीस कह रहे हैं कि आगे भी बड़ा दल होने के बावजूद बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाने की जिद नहीं करेगी - और सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर बीजेपी ऐसा क्यों नहीं करेगी? 

क्या महाराष्ट्र में भी बीजेपी बिहार वाले फॉर्मूले के साथ ही राजनीति करेगी? बिहार के लिए तो बीजेपी नेता अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि 2025 में बीजेपी का ही मुख्यमंत्री होगा, लेकिन महाराष्ट्र में ऐसा क्यों है?

महाराष्ट्र में बीजेपी अपना मुख्यमंत्री क्यों नहीं चाहती?

एक इंटरव्यू में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से पूछा गया है, क्या विधानसभा चुनाव में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में रहेगी?

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देवेंद्र फडणवीस का जवाब होता है, 'निश्चित रूप से, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है... और इसके चलते हम लोग चुनाव भी अपने सहयोगी दलों के मुकाबले ज्यादा सीटों पर ही लड़ेंगे... लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी दावा ठोक देंगे.' 

ऐसी सूरत में सबसे बड़ा सवाल भी यही बनता है कि आखिर सब कुछ होते हुए भी बीजेपी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा क्यों नहीं करने जा रही है?

आखिर ये मुख्यमंत्री की कुर्सी ही तो है, जिसकी वजह से शिवसेना के साथ बीजेपी का गठबंधन टूट गया - और सब कुछ होते हुए भी बीजेपी को काफी दिनों तक सत्ता से बाहर रहना पड़ा. असल में उद्धव ठाकरे का कहना था कि चुनाव से पहले बीजेपी से ढाई-ढाई साल तक अपना अपना मुख्यमंत्री रखने की बात हुई थी, लेकिन बीजेपी ने उद्धव ठाकरे के इस दावे को साफ साफ खारिज कर दिया. बोल दिया कि बीजेपी और तब की शिवसेना के बीच ऐसी कोई शर्त तय नहीं हुई थी - और इसी बात पर बीजेपी-शिवसेना गठबंधन टूट गया था.  

एक रात की मेहनत में सुबह सुबह शपथ लेकर 72 घंटे के लिए देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बन भी गये थे, लेकिन इस्तीफा देकर भागना पड़ा - और फिर महाराष्ट्र में MVA की सरकार बन सकी, लेकिन बाद में एकनाथ शिंदे की बगावत के कारण उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई और शिवसेना भी दो टुकड़ों में बंट गई.

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देवेंद्र फडणवीस को जब डिप्टी सीएम बनाया गया था, तब बीजेपी के अंदर से भी नाराजगी का इजहार किया गया. किसी नेता ने खुल कर तो ऐसा कुछ नहीं कहा, लेकिन दबी जबान में नेताओं का का यही कहना था कि वे लोग हैरान थे, और कोई खुश नहीं था.

तो क्या देवेंद्र फडणवीस आगे भी ऐसे ही उप मुख्यमंत्री बने रहेंगे? 
क्या 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद भी बीजेपी देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी? 

आखिर बीजेपी को किस बात का डर है? कहीं बीजेपी को ये डर तो नहीं लगता कि मराठी मानुष ने जैसे एकनाथ शिंदे को स्वीकार किया है, उनको हटा देने के बाद मुश्किल हो सकती है?

या, सहयोगियों को खुश करने के लिए फणवीस की ओर से आया यह ताजा हवा का झोंका, सिर्फ लोकसभा चुनाव होने तक ही कायम रहेगा? विधानसभा चुनाव आने पर कहीं ऑफर के साथ भारी-भरकम नियम और शर्तें तो नहीं जोड़ दी जाएंगी?

क्या महाराष्ट्र में भी बीजेपी की स्थिति बिहार जैसी हो गई है?

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें जेडीयू से काफी ज्यादा थीं, फिर भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को ही सीएम बनने दिया. सिर्फ दो बदलाव किये थे. नीतीश कुमार के लंबे समय से साथी रहे सुशील कुमार मोदी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया, और एक के बदले दो नये डिप्टी सीएम नीतीश कुमार के अगल बगल बिठा दिये, और INDIA ब्लॉक बनाकर लौटने के बाद भी बीजेपी ने खुद को डिप्टी सीएम तक ही सीमित रखा है - आगे की बात और है.

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तो क्या महाराष्ट्र में भी बीजेपी को लगता है कि एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के मुकाबले कोई बेहतर मराठा चेहरा नहीं है? जैसे बिहार में बीजेपी को अब तक नीतीश कुमार का विकल्प नहीं मिल सका है? ये ठीक है कि सम्राट चौधरी को बड़ी भूमिका के लिए अघोषित तौर पर तैयार किया जा रहा है.

ऐसा तो नहीं कि बीजेपी मराठा आंदोलन की वजह से हिम्मत नहीं जुटा पा रही हो? 

क्योंकि गैर-मराठा फडणवीस महाराष्ट्र के 34 फीसदी मराठी मानुष की भी पसंद हों, जरूरी तो नहीं है. शिवसेना के साथ पुराने गठबंधन में तो ये चल भी जाता था, लेकिन बीजेपी अब तो नहीं ही चाहेगी कि लोगों में उद्धव ठाकरे के प्रति सहानुभूति पैदा हो.

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