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उद्धव ठाकरे को फडणवीस से मिले ऑफर में राज ठाकरे की कितनी भूमिका है?

महाराष्ट्र की राजनीति में हर रोज नए समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को लेकर जो बयान दिया है, वो लगता तो कटाक्ष है लेकिन उसके राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं - महत्वपूर्ण ये है कि ये सब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के मंच साझा करने के बाद हो रहा है.

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देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे एक दूसरे को ‘पहले आप’ वाले अंदाज में सम्मान देते हुए. | Photo: PTI
देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे एक दूसरे को ‘पहले आप’ वाले अंदाज में सम्मान देते हुए. | Photo: PTI

उद्धव ठाकरे हाल फिलहाल देवेंद्र फडणवीस पर नये सिरे से तीखे हमले कर रहे हैं. हमले के मुख्य तौर पर दो कारण समझ में आ रहे हैं. एक, स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर शामिल करने का आदेश, जिसे वापस भी ले लिया गया है. दूसरा, करीब दो दशक बाद चचेरे भाई राज ठाकरे का मराठी मानुष के मुद्दे पर साथ आना. हालांकि, संजय राउत और राज ठाकरे को ध्यान से देखें तो लगता है कि दोनों भाई अब भी पूरी तरह साथ नहीं आए हैं. 

महाराष्ट्र में विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान वहां मौजूद लोग एक पल के लिए अवाक रह गये जब देवेंद्र फडणवीस ने अचानक उद्धव ठाकरे का नाम लिया, और उनके साथ सत्ता में हिस्सेदारी जैसी बात कर डाली. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे की विदाई के मौके पर बोल रहे थे. 

देवेंद्र फडणवीस की बातों से ऐसा लगा जैसे वो उद्धव ठाकरे को ये समझाने की कोशिश कर रहे हों कि इधर-उधर हाथ पैर मारने से कोई फायदा नहीं होने वाला है. उनके मुख्यमंत्री के पूरे कार्यकाल तक तो किसी को भी सत्ता हासिल करने के सपने देखने की भी रत्ती भर गुंजाइश नहीं है - और ये मैसेज सिर्फ उद्धव ठाकरे के लिए ही नहीं लगता है. और भी हैं, कतार में जो देवेंद्र फडणवीस की नजर में पहले से ही गड़े हुए हैं. 

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देखा जाये तो उद्धव ठाकरे ने भी उसी अंदाज में रिएक्ट किया है - लेकिन ये महज ‘मजाक’ नहीं, ये तो दोनों तरफ से राजनीतिक बयानबाजी हुई है. 

फडणवीस आखिर कहना क्या चाहते हैं

उद्धव ठाकरे को देवेंद्र फडणवीस से मिले ऑफर के एक साथ कई मतलब निकलते हैं. अव्वल तो वो उद्धव ठाकरे को उनकी हदें समझा रहे हैं. ये भी जताने की कोशिश लगती है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के हाथ मिला लेने भर से भी कुछ नहीं होने वाला है - लेकिन, ये सब राज ठाकरे से उद्धव ठाकरे के हाथ मिलाने के बाद हो रहा है, इसीलिए मामला काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. 

हंसते हंसते ही देवेंद्र फडणवीस ने कहा है, ‘2029 तक तो कोई स्कोप नहीं है… लेकिन उद्धवजी, आपको यहां (महाराष्ट्र्र सरकार) में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है.’

और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान के बारे में जब मीडिया ने उद्धव ठाकरे से पूछा, तो उनका भी अंदाज करीब करीब वैसा ही था. बोले, ‘ये सब जाने दीजिए… ये सब हंसी-मजाक की बातें हैं.’

उद्धव ठाकरे ही नहीं, उनके बेटे आदित्य ठाकरे के साथ भी देवेंद्र फडणवीस को हंसी-मजाक और गर्मजोशी भरी बातचीत देखी गई. 

2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद से फडणवीस और ठाकरे के बीच चल रही तल्खी के बाद ऐसा सुहाना और दोस्ताना माहौल कम ही देखने को मिला है. राजनीति में कुछ भी यूं ही नहीं होता. हर बात का मतलब होता है, और ये जरूरी नहीं कि मतलब तत्काल सामने आ जाये. कभी कभी काफी वक्त लगता है.
 
देवेंद्र फडणवीस के मुंह से ऐसी बात निकली है, जो दूर तक जाती हुई लग रही है. देवेंद्र फडणवीस ने जो बात कही है, उसके शब्दों पर ध्यान दें, तो लगता है जैसे वो उद्धव ठाकरे को सत्ता में शामिल होने का ऑफर दे रहे हों. लेकिन, लहजा कुछ और ही बता रहा है, जैसे तंज कस रहे हों. और, 2029 का जिक्र तो ये भी बता रहा है कि ये कोई ऑफर नहीं, बल्कि उद्धव ठाकरे की हदें बताने की कोशिश हो रही है. 

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देवेंद्र फडणवीस नाम भले ही उद्धव ठाकरे के ले रहे हों, मैसेज तो एकनाथ शिंदे के लिए भी है, और राज ठाकरे के लिए भी. राज ठाकरे से भी उनकी मुलाकात हो चुकी है. हाल ही में दिल्ली आकर एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. उस मुलाकात के भी कई मायने निकाले गये हैं. 

उद्धव और राज का साथ पक्का क्यों नहीं लगता?

उद्धव ठाकरे से तो लंबे समय से तकरार चल रही है, लेकिन देवेंद्र फडणवीस को गुस्सा तो राज ठाकरे के परिवार की तरफ कदम बढ़ाने पर भी आया होगा. संपर्क तो उनसे भी बना हुआ था - लेकिन, ज्यादा बुरा लगा होगा उद्धव और राज ठाकरे का एक मंच से रैली करना.  

उद्धव ठाकरे की शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत तो दोनों भाइयों के मंच शेयर करने को गठबंधन जैसी गफलत न पालने की बात बोल चुके हैं. अब तो राज ठाकरे की तरफ से भी उद्धव ठाकरे के साथ राजनीतिक रिश्ते का स्टेटस अपडेट आ चुका है. 

राज ठाकरे की तरफ से भी ये साफ करने की कोशिश की गई है कि अगर उनको कोई राजनीतिक बयान देना होगा, तो वो प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ही देंगे. राज ठाकरे का ये भी कहना है कि मीडिया के साथ अनौपचारिक बातचीत को कोई मतलब न निकाला जाये. 

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राज ठाकरे का कहना है, जब पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत हो रही थी, तब मुझसे पांच जुलाई को मुंबई में हुई विजय रैली के बारे में पूछा गया… मैंने कहा… ये कार्यक्रम मराठी मानुष की जीत का जश्न था, और इसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं था… फिर पूछा गया कि शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन को लेकर क्या विचार है, तो मेरा जवाब था - क्या मैं अभी आपसे गठबंधन पर चर्चा करूं?

राज ठाकरे की बातें तो संजय राउत के उद्गार की ही पुष्टि कर रही हैं. अभी कोई ये न समझे कि गठबंधन हो ही गया है - अभी तो बस मुलाकात भर हुई है. 

महाराष्ट्र की राजनीति में जो नये समीकरण बन रहे हैं, देवेंद्र फडणवीस के बयान को उसी परिप्रेक्ष्य में रख कर ही समझा जा सकता है - देवेंद्र फडणवीस ने नाम भले ही उद्धव ठाकरे का लिया हो, लेकिन निशाने पर राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे भी लगते हैं.

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