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देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी के अग्रिम पंक्ति के नेताओं में जगह बना ली है, लेकिन अभी काफी सफर बाकी है | Opinion

बीजेपी को महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत दिलाकर देवेंद्र फडणवीस बीजेपी के सबसे बड़े नेताओं में शुमार हो चुके हैं. ताजा प्रदर्शन से देवेंद्र फडणवीस ने आगे की राह आसान तो कर ली है, लेकिन मंजिल अभी बहुत दूर है.

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देवेंद्र फडणवीस के लिए दिल्ली भले बहुत दूर न हो, लेकिन वक्त का फासला लंबा है.
देवेंद्र फडणवीस के लिए दिल्ली भले बहुत दूर न हो, लेकिन वक्त का फासला लंबा है.

महाराष्ट्र का 5 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद डिप्टी सीएम बनना देवेंद्र फडणवीस के लिए कितना मुश्किल रहा होगा, वही बेहतर जानते हैं. लेकिन, बीजेपी आलाकमान की बात मानकर देवेंद्र फडणवीस ने एक अनुशासित कार्यकर्ता होने का सबूत पेश किया है - और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आंखों के भी तारे बन गये हैं.

संघ की पसंद तो देवेंद्र फडणवीस पहले से ही रहे, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज कर बीजेपी में भी कई पायदान की छलांग लगा चुके हैं - और अब देवेंद्र फडणवीस उन नेताओं की कतार में शामिल हो चुके हैं, जिनमें से आने वाले दिनों में कोई बीजेपी अध्यक्ष बनेगा, तो केंद्र की सत्ता में बीजेपी के होने पर प्रधानमंत्री. 

जेपी नड्डा बीजेपी के अध्यक्ष जरूर हैं, लेकिन उनको कभी मोदी शाह के उत्तराधिकारी के तौर पर नहीं देखा गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तो दूर, जेपी नड्डा कभी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी नहीं पछाड़ पाये - लेकिन लगता है देवेंद्र फडणवीस आज की तारीख में जेपी नड्डा से आगे निकल गये हैं. 

फडणवीस ने साबित किया है कि वो समंदर हैं

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले देवेंद्र फडणवीस को जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जा रहा था. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बेहतरीन प्रदर्शन का पूरा क्रेडिट तो देवेंद्र फडणवीस को ही मिल रहा है, और जेपी नड्डा तो हिमाचल प्रदेश में भी बीजेपी की हार नहीं टाल पाये. बाद में भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको गुजरात की जीत का भी श्रेय दे डाला था.  

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देवेंद्र फडणवीस के लिए फिर से मुख्यमंत्री बनना सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी. जून, 2022 में महाराष्ट्र में तख्तापलट के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कोशिश तो की ही होगी कि एकनाथ शिंदे को किसी तरह मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए मनाया जा सके, लेकिन तब संभव नहीं था. जो भी पोजीशन बीजेपी ऑफर करती, एकनाथ शिंदे को शिवसेना में भी मिला ही हुआ था, उनकी नजर तो सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी. 

डील के तहत एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया, लेकिन देवेंद्र फडणवीस अपनी तरफ से दूरी बनाकर चल रहे थे. तभी दिल्ली से फरमान पहुंचा कि डिप्टी सीएम बनना है. देवेंद्र फडणवीस की कौन कहे, महाराष्ट्र में उनके विरोधियों को छोड़कर किसी भी बीजेपी नेता को ये बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी. महाराष्ट्र बीजेपी के कार्यकर्ता भी मायूस थे - भारी मन से ही सही, लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने दुनिया के सामने हंसते हंसते डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लिया. 

ऐसा नहीं कि ये कोई पहला मामला था. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र सिंह गौर के साथ भी ऐसा ही हुआ था. पंजाब की मुख्यमंत्री रहीं राजिंदर कौर भट्टल भी मिसाल हैं - लेकिन चुनावों में देवेंद्र फडणवीस की तरह बाउंस बैक करना अपनेआप में मिसाल है. 

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देवेंद्र फडणवीस ने कहा था, समंदर हूं... लौटकर फिर आऊंगा. और, वो आये भी. और, शानदार तरीके से आये. 

ऐसा शानदार तरीका कि तमाम उछल कूद के बावजूद एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनने की जिद छोड़नी ही पड़ी. और इस काम में देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार का भी सपोर्ट पहले ही हासिल कर लिया था. एकनाथ शिंदे अभी मुख्यमंत्री पद पर दावा जता ही रहे थे कि अजित पवार ये बोल कर थोड़ी हवा निकाल दी कि वो तो बीजेपी के फैसले का ही स्वागत करेंगे. 

मोदी-योगी वाली फ्रंट लाइन में फडणवीस भी

अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में अमित शाह और योगी आदित्यनाथ को ही शामिल किया जाता रहा, लेकिन अब उस जमात में देवेंद्र फडणवीस का नाम भी शामिल हो चुका है. 

आने वाले दिनों में होने वाले सर्वे में अब देवेंद्र फडणवीस के प्रधानमंत्री पद को लेकर भी लोगों की पसंद जरूर पूछी जाएगी - और जिस तरह बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे को देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र चुनाव में प्रोजेक्ट किया है, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ को कड़ी टक्कर मिलने वाली है, अभी से ऐसा लग रहा है. 

योगी आदित्यनाथ की ही तरह देवेंद्र फडणवीस को भी संघ में पहले से ही पसंद किया जाता है, और अब तो वो संघ के आंखों के तारे बन चुके हैं. लेकिन, सिर्फ ये काफी नहीं है. 

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देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र से बाहर निकल कर अपना प्रभाव छोड़ने की कोशिश करनी होगी. जैसे यूपी का बुलडोजर मॉडल चल पड़ा है, ठीक वैसे ही देवेंद्र फडणवीस को गवर्नेंस का महाराष्ट्र मॉडल भी पेश करना होगा, जो बीजेपी को आने वाले दिनों में केंद्र की सत्ता में बनाये रखने में अहम साबित हो सके. 

अब बहुत कुछ ट्रैक पर आ चुका है, लेकिन देवेंद्र फडणवीस के लिए बीजेपी के भीतर भी और बाहर की राजनीति में भी लंबा सफर तय करना बाकी है. 

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