बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को एक कड़ा संदेश भेजा है. वकार ने यूनुस से कहा है कि वो शीघ्र चुनाव कराएं, सैन्य मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करें और प्रस्तावित रखाइन कॉरिडोर जैसे प्रमुख मुद्दों की जानकारी सेना को देते रहें.
बुधवार को ढाका के सेनाप्रंगन में तीनों सेना के सेना दरबार में जनरल वकार ने घोषणा की कि अंतरिम सरकार को इस साल दिसंबर तक राष्ट्रीय चुनाव कराने होंगे. पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हिंसक तरीके से हटाए जाने के बाद जनरल वकार ने "स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव" के लिए परिस्थितियां तैयार करने की खातिर अंतरिम सरकार की स्थापना की थी.
शेख हसीना के जाने के बाद बांग्लादेश के सैन्य प्रमुख ने सत्ता पर सीधा कब्जा करने के लालच से खुद को दूर रखा क्योंकि ऐसा लगता है कि वो इतिहास को भूले नहीं हैं. वो अपने दोस्तों से कहते रहते हैं कि बंगाली देश में सत्ता पर कब्जा करने वाले जनरलों को मृत्यु या अपमान का सामना करना पड़ा.
सत्ता पर कब्जा करने के बजाय, उन्होंने तीन कामों पर फोकस किया: लोकतंत्र को बहाल करना, स्थिरता बनाए रखना और बांग्लादेश सेना के प्रोफेशनल स्टैंडर्डस को बनाए रखना. जनरल के इन कामों ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में बेहतरीन योगदान करने वाला बना दिया है.
जनरल वकार को पद से हटाना चाहते हैं यूनुस!
जनरल के हालिया बयान से साफ है कि वो समय से पहले चुनाव कराने की कोशिश कर रहे हैं. वो सेना को वापस बैरकों में ले जाना चाहते हैं ताकि वो लोगों के रक्षक की भूमिका निभाए न किसी हड़पने वाले की. लेकिन उनकी ये कोशिश यूनुस के साथ उनके विवाद की वजह भी बनती जा रही है जो एक ओर तो चुनावों में धांधली के लिए हसीना की आलोचना करते हैं, लेकिन दूसरी ओर बिना जनादेश के शासन करना चाहते हैं.
घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों का कहना है जनरल वकार को यह भी शक है कि यूनुस बाहरी ताकतों के साथ मिलकर देश में उनके खिलाफ प्रदर्शन करा उन्हें पद से हटाना चाहते हैं. इसलिए, मंगलवार को उन्होंने कड़े शब्दों में यूनुस को संबोधित किया गया. इस दौरान वायु सेना और नौसेना प्रमुख उनके साथ थे.
वकार का तीनों सेना के साथ मिलकर शक्ति प्रदर्शन का मकसद तीन अहम संदेश देना था कि सेना प्रमुख के पीछे सेना एकजुट है, सेना सुरक्षा और रक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मामलों में "अंधेरे में रखा जाना" बर्दाश्त नहीं करेगी और सेना अब अराजकता और अव्यवस्था बर्दाश्त नहीं करेगी (इस्लामी भीड़ का सड़क पर आंदोलन करना जो यूनुस ब्रिगेड की एक पसंदीदा रणनीति है).
अमेरिका को खुश करने के लिए रखाइन कॉरिडोर बनाना चाहते हैं यूनुस
इस दौरान जनरल वकार ने चटगांव से रखाइन कॉरिडोर तक का मुद्दा उठाया जिसे यूनुस म्यांमार में मानवीय आपूर्ति पहुंचाने के लिए बनाना चाहते थे. लेकिन माना जा रहा है कि रखाइन कॉरिडोर का इस्तेमाल अमेरिका म्यांमार के विद्रोही समूहों को सैन्य आपूर्ति भेजने के लिए कर सकता है. सेना इसके सख्त खिलाफ है.
जनरल वकार ने इसे "खूनी गलियारा" कहकर साफ कर दिया कि वो बांग्लादेश को म्यांमार के गृहयुद्ध में घसीटने के सख्त खिलाफ हैं. इस गलियारे के लिए पैरवी कर रहे वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिकों ने इस सप्ताह जनरल से मुलाकात की, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना विचार नहीं बदला है.
यूनुस अमेरिका को खुश करने के लिए कॉरिडोर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा करना उन्हें बिना निर्वाचित हुए देश चलाने में मदद कर सकता है. बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों, अवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, साथ ही वामपंथी पार्टियों ने भी रखाइन कॉरिडोर का विरोध किया है.
जनरल वकार और मोहम्मद यूनुस के बीच विवाद का एक और मुद्दा पूर्व राजनयिक और अब अमेरिकी नागरिक खलीलुर रहमान की बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्ति रहा है. यह पद यूनुस ने शायद सुरक्षा मामलों पर सेना के नियंत्रण को संतुलित करने के लिए बनाया था. कॉरिडोर के विचार के पीछे रहमान को माना जाता है, लेकिन बुधवार को सेना दरबार के बाद उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कॉरिडोर में उनका कोई हाथ नहीं है.
रहमान की नियुक्ति के बाद ऐसी अफवाहें फैली कि यूनुस प्रधानमंत्री कार्यालय में सशस्त्र बल प्रभाग के प्रधान स्टाफ अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन पदोन्नत कर रहे हैं जिससे वो जनरल वकार की जगह ले सकें.
हसीना के हटने के बाद कोई प्रधानमंत्री नहीं होने के कारण हसन अंतरिम प्रधानमंत्री युनुस को रिपोर्ट करते हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण विदेश यात्राएं की हैं जिसमें पाकिस्तान की यात्रा शामिल है. बांग्लादेश के सैन्य सूत्रों का कहना है कि जनरल संभवतः यूनुस पर हसन और कुछ अन्य अधिकारियों को हटाने के लिए दबाव डालेंगे, जिनके बारे में उनका मानना है कि वे उनके प्रति वफादार नहीं हैं.
सेना प्रमुख से मंजूरी लिए बिना पिछले सप्ताह कमरुल हसन ने वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिकों के साथ बैठक की थी जिससे उनकी वफादारी पर शक और गहराता जा रहा है.
सेना प्रमुख को पद से हटाकर सत्ता में बने रहने की यूनुस की चाल
हाल ही में यूनुस के छात्र युवा ब्रिगेड ने मांग की थी कि "जुलाई डिक्लेरेशन" को अंतिम रूप दिया जाए और 'जुलाई-अगस्त क्रांति' की भावना को ध्यान में रखते हुए देश चलाया जाए. इस मांग से भी शक जताया जा रहा है जनरल वकार को पद से हटाने की कोशिश की जा सकती है. हाल ही में बनी नेशनल सिटिजन्स पार्टी पहले से ही सड़कों पर है जो मांग कर रही है कि 1972 के धर्मनिरपेक्ष संविधान को निष्प्रभावी कर दिया जाए. उनकी मांगें ऐसी हैं जो यूनुस को बिना चुनाव कराए देश चलाने में मदद करेगी.
इसका मतलब निश्चित रूप से मौजूदा राष्ट्रपति पद का अंत होगा. और राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन चुप्पू का पद से हटना सैन्य रैंकों में बड़े पैमाने पर फेरबदल के साथ होगा. इसके साथ ही जनरल वकार सहित तीनों सेना प्रमुखों के पद से हटाने की कोशिश होगी.
यह रोडमैप इस्लामी कट्टरपंथी समूहों को तो स्वीकार्य है, लेकिन देश के प्रमुख राजनीतिक दलों को नहीं. बुधवार को दरबार में सैन्य अधिकारियों ने "1971 के मुक्ति संग्राम" के लिए एक मजबूत वकालत की और कहा कि इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
बुधवार को सेना मुख्यालय में दरबार का उद्देश्य स्पष्ट संदेश देना था: अगर यूनुस अपने चालाकी भरे खेल बंद नहीं करते, तो सेना कार्रवाई करेगी. इसके लिए बस राष्ट्रपति से आपातकाल घोषित करवाना है, अंतरिम सरकार को बर्खास्त करवाना है, जिसके लिए संविधान में कोई प्रावधान नहीं है, और चुनाव करवाने हैं.