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गुजरात की जीत केजरीवाल के लिए खाक से उठाकर फलक पर बैठाने जैसी ही है

दिल्ली चुनाव में मिली हार अरविंद केजरीवाल के लिए बहुत बड़ा झटका थी. आम आदमी पार्टी न सिर्फ सत्ता से बाहर हो गई, बल्कि खुद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे दिग्गज नेता भी अपनी-अपनी सीटें नहीं बचा सके. ऐसे में विसावदर की जीत, जख्मों पर मरहम ही नहीं, बीजेपी से बदले का मौका भी है.

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विवासदर उपचुनाव की जीत ने अरविंद केजरीवाल को गुजरात में बीजेपी को चैलेंज करने का हौसला दिया है.
विवासदर उपचुनाव की जीत ने अरविंद केजरीवाल को गुजरात में बीजेपी को चैलेंज करने का हौसला दिया है.

अरविंद केजरीवाल के लिए उपचुनाव में दो सीटें जीत लेना वास्तव में जोश हाई करने वाला है. ये जीत दिल्ली की हार की भरपाई तो नहीं कर सकती, लेकिन काफी अहमियत रखती है.  दोनों जीत का महत्व भी अलग अलग है. लुधियाना वेस्ट की जीत अलग महत्व रखती है, और विसावदर की जीत बिल्कुल अलग.  

विसावदर गुजरात की वो विधानसभा सीट है जिसे जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने तमाम हथकंडे अपनाये लेकिन फेल रही. अरविंद केजरीवाल ने विसावदर में बीजेपी की कमजोर नस पकड़ ली, और ऐसा वार किया कि काम हो गया. बहुत ज्यादा न सही, लेकिन विसावदर की जीत ने अरविंद केजरीवाल को गुजरात के लोगों का मूड समझने का मौका तो दे ही दिया है. 

गोपाल इटालिया के नामांकन के समय अरविंद केजरीवाल ने उनको अपना हीरो बताया था, और जीत के बाद दिल्ली पहुंचने पर स्वागत भी वैसे ही किया. गोपाल इटालिया की जीत को सेमी फाइनल बताते हुए, अरविंद केजरीवाल ने उनसे अब फाइनल की तैयारी में जुट जाने की सलाह दी है. गुजरात में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन पंजाब में उससे पहले ही चुनाव हो जाएंगे.

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गुजरात चुनाव की तैयारी शुरू

गोपाल इटालिया और संजीव अरोड़ा के स्वागत के लिए आयोजित कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल ने कहा, गुजरात की ये जीत... 2027 के चुनाव की तरफ इशारा है. ये दिखाता है कि गुजरात की जनता के पास आज तक विकल्प नहीं था... अब AAP विकल्प की तरह आई है... लोग आप में उम्मीद की तरह देखते हैं.

ऐसे मौकों पर अरविंद केजरीवाल कोई न कोई किस्सा जरूर सुनाते हैं. दिल्ली के इस कार्यक्रम में केजरीवाल बोले, गुजरात की जनता त्रस्त हो गई है... गुजरात सरकार के एक मंत्री मुझे मिले... मुझे बताया कि बीजेपी के 30 साल के शासन से यहां की जनता त्रस्त है... हराना चाहती है, लेकिन बीजेपी का प्रशासन पर ऐसी पकड़ है कि पता नहीं हो पाएगा या नहीं हो पाएगा.

फिर अरविंद केजरीवाल ने बताया, मैंने कहा कि ये जनतंत्र है... जिस दिन जनता खड़ी हो जाएगी... बड़े-बड़े सिहासन हिल जाएंगे.

अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में कांग्रेस की स्थिति के बारे में भी बात की. बोले, कांग्रेस विकल्प नहीं है... कांग्रेस, बीजेपी के गोद में जाकर बैठी है... जेब में है. पिछले चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें मिलीं... 17 में 5 विधायक बीजेपी में चले गए... हमें 5 सीटें मिली, एक विधायक बीजेपी में चला गया.

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अब अरविंद केजरीवाल विसावदर में आजमाये नुस्खों का आने वाले विधानसभा चुनाव में भी इस्तेमाल करना चाहते हैं. केजरीवाल का ज्यादा वक्त तो लुधियाना में बीता, लेकिन विसावदर पर भी पूरा जोर था. गोपाल इटालिया ने भी वहीं डेरा डाल रखा था, जबकि वो गुजरात के बोटाद जिले से आते हैं. 2022 का चुनाव भी गोपाल इटालिया ने कतरगाम सीट से लड़ा था, लेकिन हार गये थे. 

विसावदर की जीत का बड़ा महत्व है

विसावदर गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का गढ़ रहा है. 1995 और 1998 में केशुभाई पटेल बीजेपी के टिकट पर ही विधानसभा पहुंचे थे. बाद में भी 2007 तक इस सीट पर बीजेपी को ही जीत मिली थी. लेकिन, 2012 केशुभाई पटेल ने अपनी गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाई, और ये सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई. 

केशुभाई पटेल के इस्तीफे के बाद 2014 में उपचुनाव हुआ तो विसावदर कांग्रेस ने जीत लिया, और 2017 में भी बरकरार रखा. 2022 में ये सीट आम आदमी पार्टी के हिस्से में आ गई, और बीजेपी मन मसोसकर रह गई. बीजेपी ने 2017 में कांग्रेस विधायक रहे हर्षद रिबडिया और 2022 में आम आदमी पार्टी के भूपतभाई भायानी को अपने पाले में ले लिया, लेकिन फिर भी बात नहीं बनी. 

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अरविंद केजरीवाल ने इसी बात को पकड़ लिया और बीजेपी पर टूट पड़े. अरविंद केजरीवाल ने लोगों से कहा कि गुजरात में बीजेपी की सरकार है लेकिन बीजेपी 18 साल से विसावदर की सीट नहीं जीत सकी है. केजरीवाल ने लोगों को समझाया कि कैसे बीजेपी कभी कांग्रेस तो कभी उनके विधायक को तोड़ लेती है, लेकिन चुनाव हार जाती है. 

और लगे हाथ चैलेंज किया कि इस बार आम आदमी पार्टी ने अपने हीरो को उतारा है, और अगर बीजेपी ने गोपाल इटालिया को ले लिया, तो वो राजनीति छोड़ देंगे. ऐसा लगता है, विसावदर के लोग भी बीजेपी के हथकंडे से नाराज थे, और गोपाल इटालिया को सपोर्ट कर दिया. 

दिल्ली चुनाव की हार अरविंद केजरीवाल के लिए बहुत बड़ा झटका थी. आम आदमी पार्टी ने सत्ता तो गंवाया ही, खुद अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे नेता भी अपनी सीट हार गये. ऐसे में लुधियाना के साथ साथ विसावदर की जीत अरविंद केजरीवाल की जीत के लिए बहुत मायने रखती है. 

जाहिर है, अरविंद केजरीवाल पंजाब को ही तरजीह देंगे ताकि सत्ता में वापसी हो सके, लेकिन गुजरात पर भी काफी जोर रहने वाला है, क्योंकि वहां वो कांग्रेस की जगह आम आदमी पार्टी को बीजेपी के विकल्प के तौर पर पेश करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. 
 

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