scorecardresearch
 

साहित्य आजतक: 'लेखन से रोजी-रोटी नहीं चलती, कमाई दिवाली बोनस जितनी'

साहित्य आजतक के मंच पर चर्चा इस बात पर भी हुई कि हिंदी का नया पाठक क्या पढ़ना चाहता है. इस चर्चा में अदिति माहेश्वरी और भगवंत अनमोल शामिल हुए.

Advertisement
X
साहित्य आजतक, 2018
साहित्य आजतक, 2018

साहित्य आजतक 2018 के तीसरे दिन कई मुद्दों पर चर्चा हुई. यहां हल्ला बोल मंच पर 'हिंदी में क्या बिकता है' सत्र के दौरान ये जानने की कोशिश की आखिर हिंदी के पाठक को क्या चाहिए. इस सत्र में अदिति माहेश्वरी, और भगवंत अनमोलशामिल हुए. वाणी प्रकाशन की प्रमुख अदिति माहेश्वरी ने कहा कि हिंदी देश का सबसे बड़ा बाजार है, इसमें सबकुछ बिकता है. हिंदी में जो लिखेगा-बिकेगा-टिकेगा, जो अच्छा लिखेगा वही बिकेगा.

उन्होंने कहा कि प्रकाशक एक दशानन होता है, उसके भी कई चेहरे और विचार होते हैं, जिसे बहुत कुछ देखना होता है. प्रकाशक के एडिटोरियल बोर्ड का भी महत्व है, उन्हें किताब और कंटेट का एक्सपीरियंस होता है. किताब को मांझने के लिए ये बोर्ड जरूरी होता है.

साहित्य आजतक LIVE कवरेज

अदिति ने कहा कि सोशल मीडिया के जमाने लोगों में बेचैनी आई है. अब लोग तुरंत रिजल्ट चाहते हैं, जो लेखकों के लिए नुकसानदेह होता है. लिखने से पहले बहुत रिसर्च की जरूरत है, उसके लिए फेसबुक-ट्विटर से बाहर निकल किताबों में आना पड़ेगा.

Advertisement

युवा लेखक भगवंत अनमोल ने कहा कि कुछ समय पहले तक ये माना जाता है कि लेखक वही होता है जिसके सफेद दाढ़ी होती है, पिछले पांच साल में चीजें बदली हैं कि अब काली दाढ़ी वाला भी लेखक माना जाना जाता है.

उन्होंने कहा कि जब मैं 21 साल का था तो पहली किताब छपवाने पहुंचा, तो किसी प्रकाशक ने मुझे लेखक नहीं माना था. उन्होंने कहा कि लेखन से रोजी-रोटी नहीं चल सकती है, लेखन से उतना पैसा मिलता है जितना दिवाली पर बोनस मिलता है.

To License Sahitya Aaj Tak Images & Videos visit www.indiacontent.in or contact syndicationsteam@intoday.com

Advertisement
Advertisement