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लाइफस्टाइल न्यूज़

Coronavirus: भारत में कोरोना का एक और साइड इफेक्ट आया सामने, रीढ़ की हड्डी में फैल रहा है इंफेक्‍शन

कोरोना का साइड इफेक्ट
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एक तरफ कोरोना वायरस का नया रूप सामने आने से चिंता बढ़ गई है, वहीं अब इसके नए-नए साइड इफेक्ट भी सामने आने लगे हैं. ठीक होने के बाद भी कई लोगों के शरीर में कोरोना का असर काफी दिनों तक रह रहा है जिसकी वजह से उन्हें नई तरह की परेशानियां हो रहीं हैं. मुंबई के डॉक्‍टर्स कोरोना वायरस के कुछ बुजुर्ग मरीजों में एक नया इंफेक्शन देख रहे हैं. ये इंफेक्शन कोरोना की वजह से रीढ़ की हड्डी में हो रहा है.
 

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टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, जुहू स्थित नानावती अस्पताल में वायरल बुखार होने पर 6 बुजुर्गों को भर्ती किया गया था. ये सभी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे. इस दौरान, इन लोगों की रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन पाया गया. चार हफ्ते तक इन लोगों का इलाज किया गया. 
 

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अस्‍पताल के स्‍पाइन सर्जन डॉक्टर मिहिर बापट ने कहा, 'Covid-19 संक्रमण की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. इन मरीजों में संक्रमण इतना ज्यादा था कि इनमें से 5 लोगों की रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन कराना पड़ा. इन्हें साथ में एंटीबायोटिक भी दी गईं. उन्‍हें पूरी तरह से ठीक होने में 3 महीने लगेंगे.'
 

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रिपोर्ट के अनुसार, वसई के रहने वाले 68 साल के रीनोल्‍ड सिरवेल कोरोना वायरस की वजह से सितंबर से अस्‍पताल में भर्ती थे. उनके अब तक का बिल 15 लाख रुपये से भी अधिक आ चुका है. वो अब तक चार बार अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं, जिसमें एक बार उनकी रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन किया गया. एक नर्स दिन में तीन बार उन्‍हें एंटीबॉयोटिक दवा देने के लिए घर आती है. इन एंटीबायोटिक दवाओं का रोजाना खर्च 7000 हजार रुपये है.
 

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सिरवेल के बेटे विनीत का कहना है कि उनके पिता कभी बीमार नहीं पड़ते थे और कोरोना होने से पहले तक रोज 10 किमी पैदल तक चलते थे. कोरोना होने के बाद उन्हें दस दिनों के लिए अस्‍पताल में भर्ती कराया गया जहां रेमडेसिवीर दवा से उनका इलाज किया गया. घर लौटने के कुछ दिनों बाद उन्हें पीठ के निचले हिस्से में तेज दर्द होने लगा और उन्हें वापस अस्पताल लेकर जाना पड़ा. वो दो महीने से डॉक्टर के पास जा रहे हैं और उनका स्‍पाइन ट्यूबरक्लोसिस का इलाज चल रहा है.
 

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सिरवेल को डॉक्टर बापट के पास रेफर किया गया. वहां स्पाइनल बायोप्सी में रीनोल्‍ड के रीढ़ की हड्डी में बैक्टीरिया पाए गए. खास बात ये है कि ये बैक्टीरिया केवल अस्पताल के आईसीयू में पाए जाते हैं. 7 दिसंबर को नानावती अस्पताल में रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन कराने के बाद सिरवेल को डिस्चार्ज कर दिया गया लेकिन अभी उन्हें तीन हफ्तों तक एंटीबायोटिक दवाएं लेनी होंगी.
 

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हालांकि, डॉक्टर बापट का कहना है कि रीढ़ में हुआ संक्रमण कोरोना की वजह से नहीं है बल्कि कम इम्यूनिटी की वजह से हो रहा है. कोरोना के जिन मरीजों में इम्यूनिटी बहुत कम होती है, उनकी रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन हो सकता है. हिंदुजा अस्पताल के एक स्पाइन सर्जन डॉक्टर समीर दलवी ने कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की रीढ़ में इंफेक्शन के मामले देखे हैं. उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता को प्रभावित करता है.  
 

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एक अन्य डॉक्टर का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में संक्रमण केवल अस्पताल के आईसीयू में पाए गए सूक्ष्म जीवों के कारण होता है, इसका मतलब है कि कोरोना का इलाज करवाने के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों को यहां रहने के दौरान ही इंफेक्शन हो रहा है.
 

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डॉक्टरों का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में संक्रमण के बारे में जल्द बताने की जरूरत है. डॉक्टर बापट का कहना है कि अगर कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों को पीठ में दर्द रहता है और वो दो हफ्ते आराम करने के बाद भी ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए.
 

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