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मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए योगी सरकार की नई पहल

केंद्र सरकार लगातार आत्मनिर्भर अभियान के तहत स्वदेशी पर जोर दे रही है. इसी अभियान के तहत योगी सरकार ने फैसला लिया है कि वह दीपावली पर कारीगरों को हुनर दिखाने का मौका देगी.

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योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो- PTI)
योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो- PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मोदी सरकार लगातार दे रही है आत्मनिर्भर भारत अभियान पर जोर
  • योगी सरकार इस अभियान के तहत करेगी नई पहल की शुरुआत
  • कारीगरों को मजबूत करने और चीन को मात देने की कोशिश

मोदी सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नई पहल की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल के जरिए चीन को मात देने की तैयारी भी की जा रही है. 

इस अभियान के तहत 'माटी कला बोर्ड' का गठन किया गया है. इस बार की दीपावली पर 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के जरिए स्वदेशी सामान को लोकप्रिय बनाने की कोशिश की जाएगी. इसके लिए 'माटी कला बोर्ड' कोलकाता से प्लास्टर ऑफ पैरिस (पीओपी) के सांचे मंगाकर मूर्ति बनाने वाले कारीगरों में वितरित कर रहा है.

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बता दें कि उत्तर और मध्य भारत में दीपावली के मौके पर गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां खरीदी जाती हैं. उत्तर प्रदेश में बनाई गईं गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों को चीन से आने वाली मूर्तियों खबसूरत बनाने की कोशिश हो रही है. इसके लिए अपने हुनर से मिट्टी में जान डालने वाले 25 हुनरमंदों का चयन किया गया है. अपर मुख्य सचिव 'खादी एवं खादी ग्रामोद्योग' और 'माटी कला बोर्ड' के महाप्रबंधक नवनीत सहगल कोलकाता से मूर्तियों के प्लास्टर ऑफ पैरिस (पीओपी) के सांचे मंगाकर दे रहे हैं. 

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योगी सरकार का मानना है कि भले ही यह पहल देखने में छोटी लगे, पर इसका संदेश बड़ा है. पहले चरण में स्वतंत्रता दिवस पर लखनऊ के 25 मूर्तिकारों को ये सांचे दिये गए थे. अब गोरखपुर और वाराणसी के मूर्तिकारों को ऐसे ही सांचे दिए जाएंगे.

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सांचा बनाने के पहले इनमें किस तरह की मूर्तियां बनेंगी, इसके लिए जाने-माने मूर्तिकारों और 'उप्र इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन' के विशेषज्ञों से सलाह भी ले ली गई है. इन सबकी पहल पर मूर्तिकारों ने जो मूर्तियां बनाईं उनमें से सबसे अच्छी कुछ मूर्तियों का चयन किया गया है. इन मूर्तियों के लिए कोलकाता से सांचा बनवाया गया. सांचा आठ और 12 इंच के दो स्टैंडर्ड साइज में है.

दीपावली पर बिकने वाली लक्ष्मी-गणेश की इसी साइज की मूर्तियों की सर्वाधिक मांग भी रहती है. इन सांचों से आटोमैटिक मशीनों द्वारा कैसे बेहतरीन फिनिशिंग वाली मूर्तियां तैयार हों, इसके लिए जहां जरूरत होगी वहां बोर्ड की ओर से कारीगरों के लिए प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी चलेगा.

 

 

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