प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया. पीएम ने कहा कि अगले साल हम अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर जाएंगे. एक बहुत बड़ा पर्व हमारे सामने है. आजादी के जब 75 वर्ष पूरे होंगे तब उसे संकल्पों की मूर्ति के महापर्व के रूप में मनाएंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान देश के शहीदों को याद किया.
प्रधानमंत्री ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के भाषण की शुरुआत कोरोना वॉरियर्स के प्रति आभार जताते हुए की. पीएम मोदी ने इस दौरान कोरोना संकट के साथ साथ देश की सीमा के मसले पर बोला. पीएम के भाषण में सबसे ज्यादा आत्मनिर्भर और नागरिक शब्द छाए रहे. उसके बाद उनकी स्पीच में कोरोना, किसान, महिलाएं, मध्यम वर्ग, वैक्सीन, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य आईडी आदि शब्द शामिल रहे.
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प्रधानमंत्री मोदी ने 86 मिनट के अपने पूरे भाषण में आत्म निर्भर (32), नागरिक (32) कोरोना (25), स्वतंत्रता (24), किसान (22), महिला (21), विकास (18), मध्यम वर्ग (16), ग्रामीण/गरीब (15), बुनियादी ढांचा (14), ऑप्टिकल फाइबर (13), सीमा/LOC (11), सेना और संकल्प (10), शिक्षा, जल मिशन, श्रम (9), जम्मू और कश्मीर (7) बार इस्तेमाल किया.
वहीं पीएम मोदी की स्वतंत्रता दिवस की इस स्पीच में युवा (7), एक राष्ट्र (7), योजना, रक्षा, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, पर्यावरण, दलित/ओबीसी/बैकवर्ड (6), 75वीं वर्षगांठ, रोजगार, टेस्टिंग लैब/ टेस्टिंग, सुधार (5), टाइगर/ हाथी/शेर/ डॉफिन (6), कोरोना वैक्सीन (4), सेना (10) अर्थव्यवस्था, आयुष्मान भारत/स्वास्थ्य, वोकल फॉर लोकल (4), करने में आसानी, राम मंदिर, वैज्ञानिक, एफडीआई, ऑनलाइन कक्षाएं, डिजिटल लेनदेन, दक्षिण एशिया (3), सेनेटरी पैड/शादी की उम्र (2) का इस्तेमाल किया गया. पीएम मोदी ने अपने इस भाषण पर पाकिस्तान और चीन भले ही निशाना साधा, लेकिन उनका एक बार भी नाम नहीं लिया.

चीन पर साधा निशाना
पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी का कोई कालखंड ऐसा नहीं था, जब हिंदुस्तान में किसी कोने में आजादी के लिए प्रयास नहीं हुआ हो, प्राण अर्पण नहीं हुआ हो. आज जो हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं उसके पीछे मां भारती के लाखों बेटे-बेटियों का त्याग बलिदान और मां भारती को आजाद कराने का समर्पण है. आज ऐसे सभी स्वतंत्रता सेनानियों को, वीर शहीदों को नमन करने का ये पर्व है. चीन का नाम लिए बिना उस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि विस्तारवाद की सोच ने सिर्फ कुछ देशों को गुलाम बनाकर ही नहीं छोड़ा, भीषण युद्धों और भयानकता के बीच भी भारत ने आजादी की जंग में कमी और नमी नहीं आने दी.