जिस मैनपुरी से समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव सात बार संसद तक पहुंच चुके हैं वहां के युवाओं के लिए अब वह नायक नहीं रह गए हैं. भोनगांव स्थित प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका नाजिया परवीन (25) कहती हैं, 'मुलायम यकीनन हमारे लिए नायक नहीं हैं.' विडंबना है कि युवाओं के बीच यादव की गिरती हुई छवि के लिए उनके अपने ही काम जिम्मेवार हैं.
1999 में राज्य की बीजेपी सरकार को अपने उस कानून की वजह से सत्ता से हाथ धोना पड़ा था, जिसने परीक्षा में नकल करने को एक गैर-जमानती अपराध बनाया था. साल 1993 में सत्ता में लौटे यादव ने उस कानून को हटा दिया था, जो 15 और 16 साल के विद्यार्थियों को जेल भजने का सबब बन गया था. अगले साल राज्य की बोर्ड परीक्षा में 10वीं पास प्रतिशत पिछले साल के 25.34 प्रतिशत से बढ़कर 38.12 प्रतिशत पहुंच गया. परीक्षा में वृहद स्तर पर होने वाली नकल ने जहां इस संख्या में वृद्धि सुनिश्चित की, वहीं पैसों के लिए अंक दिलाने वाले 'नकल माफिया' ने राज्य में अपनी जड़ें मजबूत कर ली.
27 साल के डॉक्टर अजय यादव कहते हैं कि इन उपायों या युक्तियों ने युवाओं को 'बर्बाद' कर दिया. यादव ने अफसोस जताते हुए कहा, 'नकल इतनी बड़ी सामाजिक बुराई बन गई कि मैनुपरी के विद्यार्थियों का अन्य जिलों में मजाक उड़ाया जाने लगा. मैंने आगरा से स्नातक किया, वहां मुझसे अक्सर कहा जाता था कि मैनपुरी सिर्फ नकलचियों और अपराधियों के लिए जाना जाता है.' यादव ने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि उनकी जाति के लोगों को यादव की छत्रछाया में आराम है. उन्हें यह समझ तब आई जब पुलिस ने सिर्फ इसलिए उनकी रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार कर दिया क्योंकि वे अपने से अधिक रसूखदार यादव के खिलाफ खड़े थे.
एक सरकारी कॉलेज में रसायनशास्त्र पढ़ाने वाले सौरभ दुबे (28) ने कहा, "अगर पार्टी सच में युवाओं के कल्याण में दिलचस्पी लेती तो किसी उद्योग की स्थापना करती या जिले में कोई निवेश कराती.' हालांकि, मुलायम सिंह यादव के इस बारे में अपने ही कयास हैं कि युवा कैसे फायदेमंद हो सकते हैं. राज्य में 2012 विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के दौरान उन्होंने राज्य में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में भर्ती के लिए मेधा-आधारित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को खत्म करने का वादा किया था. तत्कालीन मायावती सरकार के तहत आयोजित वर्ष 2011 की परीक्षा की पहली किस्त में 72,825 सफल उम्मीदवारों की सूची बनाई गई थी. हालांकि, इन्हें अभी भी नियुक्त किया जाना बाकी है क्योंकि राज्य सरकार 10वीं, 12वीं, स्नातक स्तर की परीक्षा और टीईटी आधारित चयन प्रणाली के लिए लड़ाई लड़ रही है. परवीन का कहना है, 'हमारे सपने बदनाम शिक्षा प्रणाली की वजह से दम तोड़ गए. युवा पलटवार करेंगे.'