
दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन कितनी विडंबना है कि उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में योग के जनक महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि पर कोई दीपक जलाने वाला तक नहीं है. वजीरगंज ब्लॉक के कोंडर गांव में मूलभूत सुविधाओं तक की कमी है.
महर्षि की जन्मभूमि पूरे तरीके से उपेक्षित कर दी गई है. केवल कुछ स्थानीय लोग व पुजारी ही यहां पर हर साल योग करके महर्षि पतंजलि को याद करते हैं. महर्षि की जन्मभूमि पर केवल एक तस्वीर रखी है और चबूतरे पर लिखा है- महर्षि पतंजलि जन्मभूमि. यहां स्थानीय लोग फूल चढ़ाकर महर्षि को नमन करते हैं.
पूरे इलाके में विकास नाम की कोई चीज दिखाई नहीं देती है. विशालकाय कोंडर झील भी अपने हाल पर आंसू बहा रही है. सड़कें तो हैं, लेकिन बहुत जर्जर है. लगभग 3000 की आबादी वाले इस गांव में केवल प्राथमिक स्कूल व पूर्व माध्यमिक स्कूल ही हैं. यहां न तो इंटर कॉलेज है और न ही डिग्री कॉलेज. साथ ही, इलाज कराने के लिए कोई अस्पताल भी नहीं है.

गांव के एक सामाजिक कार्यकर्ता महेश ओझा ने बताया, ''बड़े दुख की बात है कि जिसके नाम पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, वहां कोई दीपक जलाने नहीं आता.'' पुजारी पवन दास ने कहा कि कल यदि महर्षि जी की कृपा होगी तो कुछ-न-कुछ जरूर किया जाएगा. वहीं, गांव के प्रधान प्रतिनिधि विपिन सिंह का कहना है कि यह गर्व की बात है कि हम महर्षि पतंजलि के जन्मभूमि के निवासी हैं, लेकिन बड़े दुख की बात है कि पीएम और सीएम लखनऊ, भोपाल, दिल्ली में योग करते हैं, लेकिन यहां नहीं आते.
उन्होंने कहा कि हम लोग चाहते हैं कि पीएम-सीएम और बाबा रामदेव जन्मभूमि पर आएं और दीपक जलाएं ताकि अंतरराष्ट्रीय पटल पर पतंजलि की जन्मभूमि का नाम हो सके. उन्होंने मांग की कि यहां पर अंतरराष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय हो, कोंडर झील का सुंदरीकरण किया जाए और पतंजलि जी के नाम पर अस्पताल और कॉलेज बनाया जाए. यहां रहने वाले कई लोग आधुनिक योगगुरुओं से भी नाराजगी जाहिर करते हैं.

उधर, मंदिर के पुजारी का कहना है, ''महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि कोंडर गांव में है और हम सब जो कुछ यहां उनके लिए कर पाते हैं, वह करते हैं और यहां कोई आता-जाता नहीं है. हम यहां चाहते हैं कि यहां का विकास किया जाए. महर्षि पतंजलि का मंदिर विशाल रूप से बन जाए और आश्रम की बाउंड्री बनवा दी जाए.''

गोंडा जिले में अयोध्या से 22 किमी की दूरी पर वजीरगंज ब्लॉक में स्थित कोंडर गांव है, जहां एक विशालकाय कोंडर झील है. यहीं पर महर्षि पतंजलि का जन्मस्थान है. पतंजलि के नाम पर यहां एक चबूतरा बना है और उसके ऊपर महर्षि पतंजलि जी की तस्वीर लगी है, यहां पुजारी इस तस्वीर पर फूल माला चढ़ाकर महर्षि को नमन करते हैं. इसी प्रांगण में बने एक मंदिर में राम-सीता और लक्ष्मण की मूर्ति स्थापित है. 21 जून को स्थानीय निवासी व पुजारी कोरोना वायरस को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए योग करेंगे.