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UP: 2 साल से सड़क पर पढ़ रहे हैं 120 बच्चे, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

दो साल से श्रावस्ती के हरिहरपुररानी शिक्षा क्षेत्र के बरंगा गांव में 120 बच्चे पिछले दो सालों से सड़क किनारे पढ़ाई कर रहे हैं. 2017 में आई बाढ़ की वजह से स्कूल का भवन टूट गया था. ग्रामीणों ने झांड़ियां काटकर एक स्थान पर बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था की. मगर, वहां भी राप्ती नदी का पानी आया आ गया.

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सड़क पर पढ़ने के लिए मजबूर गांव के 120 बच्चे (फोटो-आजतक)
सड़क पर पढ़ने के लिए मजबूर गांव के 120 बच्चे (फोटो-आजतक)

उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती से हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां पिछले दो सालों से एक सरकारी स्कूल सड़क पर चल रहा है. इसमें गांव के करीब 120 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, साल 2017 में हरिहरपुररानी शिक्षा क्षेत्र के बरंगा गांव में बाढ़ आई थी. इसमें स्कूल का भवन बाढ़ में बह गया गया था.

ग्रामीणों ने झांड़ियां काटकर एक स्थान पर बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था की. कुछ दिन बाद यहां भी राप्ती नदी का पानी आया आ गया. तब से बच्चे पड़ोसी गांव सलारू पुरवा में करीब 2 सालों से सड़क किनारे बानी झोपड़ी में पढ़ाई कर रहे हैं. 

ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई को देखते हुए एक साल पहले गांव के किशोरी लाल ने 16 बिस्वा जमीन स्कूल के लिए दान दी थी. मगर, अब तक स्कूल की बिल्डिंग तैयार नहीं हुई है. आंगनबाड़ी के एक छोटे से कमरे में कभी-कभी बच्चों को बैठा दिया जाता है.

यहां पर एक सहायक अध्यापक और  शिक्षामित्र बच्चों को शिक्षा देते हैं. पिछले हफ्ते हुई बारिश की वजह झोपड़ी में भी पानी भर गया. इसकी वजह से से बच्चों को पढ़ाई का काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है. वहीं, इस मामले पर शिक्षा विभाग के कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है.

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बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक नरेश चंद्र और शिक्षामित्र मेहरून्निसा का कहना है, "बच्चों के पढ़ने की समस्या को जल्द से जल्द सुधारने की जरूरत है. गर्मियों में बच्चों को एक कमरे में बिठाया जाता है, जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बिजली की सुविधा न होने से यह समस्या काफी बढ़ जाती है." 

बता दें कि श्रावस्ती जिल से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत 'स्कूल चलो अभियान' की शुरुआत की थी. सीएम के सर्व शिक्षा अभियान के शुरुआत के बाद श्रावस्ती के एक स्कूल में बच्चे तो अधिक पहुंचे. मगर, यहां स्कूल ही नहीं है. यहां के बच्चे पीडब्ल्यूडी की सड़क पर खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. 

(रिपोर्ट- पंकज वर्मा)

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