कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल डील का मुद्दा लगातार चर्चा में बनाए रखना चाहते हैं. इसी के तहत राहुल गांधी रोजाना इसे लेकर ट्वीट कर रहे हैं. अब राहुल ने ट्वीट किया है कि '36 राफेल स्कैम के लिए भारतीय करदाताओं को अलगे 50 साल तक 1 लाख करोड़ रुपए मिस्टर 56 इंच के दोस्त के जॉइंट वेंचर को देना होगा.'
राहुल गांधी ने निजी कंपनी से संबंधित कुछ दस्तावेज शेयर करते हुए कहा, 'रक्षा मंत्री (निर्मला सीतारमण) हमेशा की तरह संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करेंगी और इससे इनकार करेंगी. लेकिन मैं जो दस्तावेज प्रस्तुत कर रहा हूं उसमें तथ्य मौजूद हैं.'
Over the next 50 years, Indian Tax Payers will pay Mr 56’s friend’s JV, 100,000 Cr to maintain 36 #RafaleScam jets, India is buying🤭
Raksha Mantri will address a Press CON to deny this, as usual🤥
But the truth is in the presentation I’m attaching😊 pic.twitter.com/a90XNet7dU
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 28, 2018
इससे पहले भी राहुल ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर तंज कसा था. उन्होंने कहा था, 10 दिन पुरानी कंपनी को विमान बनाने का काम दिलाने के पीछे पीएम का विशेष प्रेम है. दरअसल लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे को लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि तत्कालीन यूपीए सरकार की डील रद्द कर फ्रांस के साथ नई डील करने के पीछे मकसद एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाना था.
वहीं, कांग्रेस ने इसी मामले में प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे रखा है. पार्टी का आरोप है कि राफेल विमानों की कीमत बताने के संदर्भ में मोदी और सीतारमण ने सदन को गुमराह किया है.
बता दें, यूपीए सरकार ने जब राफेल सौदा किया था, तब अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस का कोई नामोनिशान नहीं था. इस कंपनी का गठन मार्च 2015 में हुआ और इसके करीब डेढ़ साल बाद सितंबर 2016 में मोदी सरकार ने फ्रांस के साथ राफेल विमान के लिए नया सौदा किया.
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिसंबर, 2017 में मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को नजरअंदाज कर अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड के पक्ष में फैसला लिया, जिसे हवाई जहाज बनाने का इससे पहले का कोई अनुभव नहीं है.
नए समझौते के मुताबिक भारत में राफेल विमानों के निर्माण का काम रिलायंस डिफेंस के द्वारा ही किया जाएगा. 28 मार्च, 2015 को अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने रक्षा क्षेत्र में कदम रखते हुए रिलायंस डिफेंस नामक कंपनी का गठन किया गया. इसके बाद 23 सितंबर, 2016 को एनडीए सरकार ने फ्रांस के साथ राफेल विमानों की खरीद का समझौता किया. इसके ढाई महीने बाद ही 16 दिसंबर, 2016 को रिलायंस ने राफेल के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम रिलायंस राफेल स्थापित किया.
रोचक यह है कि पीएम मोदी ने रिलायंस डिफेंस की भारत में स्थापना के 13 दिन बाद ही फ्रांस के अपने दौरे पर 10 अप्रैल, 2015 को रफाल सौदे की घोषणा की.
इंडिया टुडे-आजतक के पास उस लेटर की कॉपी है, जो अनिल अंबानी ने राहुल गांधी को लिखी है. इस लेटर में उन्होंने तर्क दिया है कि रिलायंस को यह सौदा इसलिए मिला क्योंकि उसके पास डिफेंस शिप बनाने का अनुभव था. यह लेटर 12 दिसंबर, 2017 का है.
इस लेटर में अनिल अंबानी ने लिखा था, 'मुझे यह जानकर व्यक्तिगत रूप से काफी दुख हुआ है कि कांग्रेस के कुछ नेता मेरे और मेरे समूह के बारे में दुर्भाग्यपूर्ण बयान दे रहे हैं. साथ ही दसॉ के साथ हमारे जेवी के बारे में भी तमाम तरह की टिप्पणियां की गई हैं. कांग्रेस के आपके कई सहयोगियों ने कहा है कि रिलायंस को डिफेंस सेक्टर का कोई अनुभव नहीं है. आपको यह जानकर खुशी होगी कि रिलायंस डिफेंस के पास गुजरात के पिपावाव में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा शिपयार्ड है.'