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पूर्व PM चंद्रशेखर के सलाहकार, नीतीश के करीबी, जानिए कौन हैं हरिवंश?

बाढ़ से अभिशप्त सिताब दियारा गांव से निकल कर राज्यसभा उपसभापति तक का हरिवंश का सफर बेहद साधारण और सादा रहा है.

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नवनिर्वाचित राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह
नवनिर्वाचित राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह

राज्यसभा उपसभापति के तौर पर हरिवंश नारायण सिंह का चुनाव हो चुका है. NDA उम्मीदवार हरिवंश के पक्ष में राज्यसभा में 125 सदस्यों ने वोट दिया. आइए आपको बताते हैं, कौन हैं हरिवंश?

कहां से आते हैं हरिवंश?

हरिवंश एक साधारण किसान परिवार से आते हैं. हरिवंश लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताब दियारा के रहने वाले हैं जहां उनके परिवार ने अपनी खेती की जमीन गंगा नदी के कटान की वजह से खो दी थी.  

सरकारी नौकरी छोड़कर पत्रकारिता की

हरिवंश नें अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री अर्थशास्त्र में हासिल की और 80 के दशक में अपनी आजीविका एक हिंदी अखबार धर्मयुग से पत्रकार के तौर पर शुरू की. जिसके बाद हरिवंश बैंक ऑफ इण्डिया में सरकारी अधिकारी के तौर पर नियुक्त हुए. लेकिन परिवार के न चाहने के बावजूद सरकारी नौकरी छोड़कर फिर से पत्रकारिता शुरू की. साल 1989 में हरिवंश ने रांची से छपने वाले प्रभात खबर के साथ नौकरी की और बाद में इसी अखबार में संपादक के तौर पर भी भूमिका निभाई. साल 2014 में जेडीयू से राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद प्रभात खबर के संपादक के पद से हरिवंश ने इस्तीफा दे दिया.

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पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के थे सलाहकार

राज्यसभा का सदस्य बनने से पहले हरिवंश ने एकमात्र राजनीतिक पारी पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के राजनीतिक सलाहकार के तौर पर खेली. चंद्रशेखर के सलाहकार का पद ग्रहण करने की खातिर हरिवंश ने प्रभात खबर से इस्तीफा दिया लेकिन चंद्रशेखर सरकार से कांग्रेस के समर्थन वापसी के बाद फिर से अखबार लौट गए.

नीतीश कुमार के बेहद करीबी

सादा जीवन जीने वाले हरिवंश बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं लेकिन उन्होंने ने इस रिश्ते को अपने सार्वजनिक जीवन में कभी जाहिर नहीं होने दिया. कहा जाता है कि बिहार में नीतीश कुमार की छवि बनाने में हरिवंश ने बड़ी भूमिका अदा की. उच्च सदन में उपसभापति के तौर पर हरिवंश की जीत को जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों में गर्माहट के तौर पर देखा जा रहा है. हरिवंश, जेडीयू से संबंध रखने वाले ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिसे बीजेपी ने दोनों दलों के लंबे समय से चल रहे रिश्तों में खटास के बाद केंद्र में एनडीए का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना. 

हरिवंश के चुनाव से बीजेपी-जेडीयू के रिश्ते और बेहतर होंगे जब यह कयास लगाए जा रहे थें कि नीतीश लोकसभा चुनाव से पहले फिर से महागंठबंधन का दामन थाम सकते है.

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बतौर सांसद क्या किया?

राज्यसभा सांसद बनने के बाद जब प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत एक गांव को गोद लेना था तब हरिवंश ने तय किया वह एक ऐसे गांव को गोद लेंगे जिसका उनके किसी भी संबंधी से दूर दूर का रिश्ता न हो और वो गांव राजनीतिक रूप से कोई महत्व न रखता हो. हरिवंश ने अंत में बिहार के रोहतास जिले के बहुआरा गांव को चुना.

हरिवंश ने अपनी सांसद निधि का बड़ा हिस्सा बिहार के आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के नदियों पर अध्ययन व शोध करने वाले सेंटर और आईआईटी पटना में लुप्त होती भाषाओं पर शोध करने वाले सेंटर को विकसित करने में खर्च किया. 

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