भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक अपने दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 को लगातार पृथ्वी की कक्षा से आगे बढ़ा रहे हैं. 22 जुलाई को लॉन्च के बाद इसे पेरिजी (पृथ्वी से कम दूरी) 170 किमी और एपोजी (पृथ्वी से ज्यादा दूरी) 45,475 किमी पर स्थापित किया गया था.
आज यानी 2 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 27 मिनट पर चंद्रयान-2 की कक्षा में सफलतापूर्वक चौथी बार बदलाव किया गया. अब इसकी पेरिजी 277 किमी और एपोजी 89,472 किमी कर दी गई है. अभी 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रयान-2 के ऑर्बिट को बदला जाएगा.
Fourth earth bound orbit raising maneuver for #Chandrayaan2 spacecraft has been performed today (August 2, 2019) at 1527 hrs (IST) as planned.
More details please see https://t.co/lbI3ic8ADk
A view from Control Centre at ISTRAC, Bengaluru pic.twitter.com/R6S8utY7Mw
— ISRO (@isro) August 2, 2019Advertisement
22 जुलाई को लॉन्च के बाद से ही चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो चुकी है. लॉन्चिंग के 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 170 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा था. इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के लॉन्च को लेकर काफी बदलाव किए थे.
Today marks the successful completion of the fourth orbit raising maneuver. The last Earth bound maneuver is planned on August 6, 2019#ISRO pic.twitter.com/45jy83UCrP
— ISRO (@isro) August 2, 2019
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चंद्रयान-2 के 48 दिन की यात्रा के विभिन्न पड़ाव
चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद 14 अगस्त से 20 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा. 20 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा. इसके बाद 11 दिन यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा. 5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा.
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1. पृथ्वी के ऑर्बिट में जाने का समय करीब एक मिनट बढ़ा दिया गया है
22 जुलाईः चंद्रयान-2 अब 974.30 सेकंड (करीब 16.23 मिनट) में पृथ्वी से 181.65 किमी की ऊंचाई पर पहुंचेगा.
15 जुलाईः चंद्रयान-2 को तब 973.70 सेकंड (करीब 16.22 मिनट) में पृथ्वी से 181.61 किमी पर जाना था.
2. पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर में बदलाव, एपोजी में 60.4 किमी का अंतर
22 जुलाईः चंद्रयान-2 लॉन्चिंग के बाद पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा. इसकी पेरिजी (पृथ्वी से कम दूरी) 170 किमी और एपोजी (पृथ्वी से ज्यादा दूरी) 39120 किमी होगी.
15 जुलाईः चंद्रयान-2 अगर लॉन्च होता तो इसकी पेरिजी 170.06 किमी और एपोजी 39059.60 किमी होती. यानी एपोजी में 60.4 किमी का अंतर लाया गया है. यानी पृथ्वी के चारों तरफ लगने वाला चक्कर कम किया जाएगा.
3. चंद्रयान-2 की चांद पर जाने के समय में की गई 6 दिन की कटौती
अगर 15 जुलाई को चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च होता तो वह 6 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करता. लेकिन 22 जुलाई की लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-2 को चांद पर पहुंचने में 48 दिन ही लगेंगे. यानी चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को ही पहुंचेगा. इसके लिए चंद्रयान-2 को पृथ्वी के चारों तरफ लगने वाले चक्कर में कटौती होगी. संभवतः अब चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 चक्कर ही लगाए.
4. चंद्रयान-2 की वेलोसिटी में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया
चंद्रयान 22 जुलाई को लॉन्च होने के बाद अब चांद की ओर ज्यादा तेजी से जाएगा. अब अंतरिक्ष में इसकी गति 10305.78 मीटर प्रति सेकंड होगी. जबकि, 15 जुलाई को लॉन्च होता तो यह 10,304.66 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की तरफ जाता. यानी इसकी गति में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया है.