भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने अपने दूसरे मून मिशन Chandrayaan-2 को पृथ्वी की कक्षा में आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है. 22 जुलाई को लॉन्च के बाद इसे पेरिजी (पृथ्वी से कम दूरी) 170 किमी और एपोजी (पृथ्वी से ज्यादा दूरी) 45,475 किमी पर स्थापित किया गया था. आज यानी 29 जुलाई को दोपहर 2.30 से 3.30 के बीच चंद्रयान-2 की कक्षा में सफलतापूर्वक तीसरी बार बदलाव किया गया. अब इसकी पेरिजी 276 किमी और एपोजी 71,792 किमी कर दी गई है. चंद्रयान-2 को सीधे चांद पर भी भेज सकते थे, लेकिन इसमें काफी ईंधन, मेहनत और तकनीक की जरुरत पड़ती. इसलिए वैज्ञानिक इस इंतजार में है कि चांद पृथ्वी से नजदीक आ जाए. तब चंद्रयान-2 को चांद पर उतारें.
इससे पहले इसकी कक्षा में 25 और 26 जुलाई की दरम्यानी रात 1.08 बजे सफलतापूर्वक बदलाव किया गया. तब इसकी पेरिजी 251 किमी और एपोजी 54,829 किमी कर दी गई थी. इससे पहले चंद्रयान-2 की कक्षा में 24 जुलाई की दोपहर 2.52 बजे सफलतापूर्वक बदलाव किया गया था. तब इसकी पेरिजी 230 किमी और एपोजी 45,163 किमी की गई थी. अभी 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रयान-2 के ऑर्बिट को बदला जाएगा.
Third earth bound orbit raising maneuver for #Chandrayaan2 spacecraft has been performed today (July 29, 2019) at 1512 hrs (IST) as planned.
For details please check https://t.co/kkJTmtXxW8
Here's the view of Control Centre at ISTRAC, Bengaluru pic.twitter.com/GEZdErLSKF
— ISRO (@isro) July 29, 2019
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22 जुलाई को लॉन्च के बाद से ही चांद के दक्षिणी ध्रुव तक पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो चुकी है. लॉन्चिंग के 16.23 मिनट बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी से करीब 170 किमी की ऊंचाई पर जीएसएलवी-एमके3 रॉकेट से अलग होकर पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा था. इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के लॉन्च को लेकर काफी बदलाव किए थे.
सीधे चांद पर भेज सकते थे चंद्रयान-2 को, तो इतना घुमा क्यों रहे हैं वैज्ञानिक
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अमेरिका, रूस और चीन की तरह भारत भी चंद्रयान-2 को सीधे चांद पर भेज सकता है. लेकिन इसके लिए ज्यादा ताकतवर रॉकेट की जरूरत पड़ेगी. साथ ही चंद्रयान-2 में ज्यादा ईंधन की जरूरत पड़ती. इसके लिए उसके आकार को बढ़ाना पड़ता. लेकिन, इसरो वैज्ञानिक चांद को पृथ्वी के चारों तरफ इसलिए घुमा रहे ताकि चांद पृथ्वी के नजदीक आ जाए. पृथ्वी के चारों तरफ पांच चक्कर लगाने के दौरान चंद्रयान-2 चांद के बेहद नजदीक पहुंच जाएगा. उसके बाद चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से वह चांद की तरफ खिंचेगा. तब इसरो वैज्ञानिक इसकी गति को नियंत्रित कर इसे चांद पर लैंड कराएंगे.
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चंद्रयान-2 के 48 दिन की यात्रा के विभिन्न पड़ाव
चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 22 जुलाई से लेकर 6 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इसके बाद 14 अगस्त से 20 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा. 20 अगस्त को ही यह चांद की कक्षा में पहुंचेगा. इसके बाद 11 दिन यानी 31 अगस्त तक वह चांद के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा. 5 दिन की यात्रा के बाद 6 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. लैंडिंग के करीब 4 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलकर चांद की सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए उतरेगा.
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1. पृथ्वी के ऑर्बिट में जाने का समय करीब एक मिनट बढ़ा दिया गया है
22 जुलाईः चंद्रयान-2 अब 974.30 सेकंड (करीब 16.23 मिनट) में पृथ्वी से 181.65 किमी की ऊंचाई पर पहुंचेगा.
15 जुलाईः चंद्रयान-2 को तब 973.70 सेकंड (करीब 16.22 मिनट) में पृथ्वी से 181.61 किमी पर जाना था.
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2. पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर में बदलाव, एपोजी में 60.4 किमी का अंतर
22 जुलाईः चंद्रयान-2 लॉन्चिंग के बाद पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा. इसकी पेरिजी (पृथ्वी से कम दूरी) 170 किमी और एपोजी (पृथ्वी से ज्यादा दूरी) 39120 किमी होगी.
15 जुलाईः चंद्रयान-2 अगर लॉन्च होता तो इसकी पेरिजी 170.06 किमी और एपोजी 39059.60 किमी होती. यानी एपोजी में 60.4 किमी का अंतर लाया गया है. यानी पृथ्वी के चारों तरफ लगने वाला चक्कर कम किया जाएगा.
3. चंद्रयान-2 की चांद पर जाने के समय में की गई 6 दिन की कटौती
अगर 15 जुलाई को चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लॉन्च होता तो वह 6 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करता. लेकिन आज की लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-2 को चांद पर पहुंचने में 48 दिन ही लगेंगे. यानी चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को ही पहुंचेगा. इसरो वैज्ञानिक इसके लिए चंद्रयान-2 को पृथ्वी के चारों तरफ लगने वाले चक्कर में कटौती होगी. संभवतः अब चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 चक्कर ही लगाए.
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4. चंद्रयान-2 की वेलोसिटी में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया
चंद्रयान-2 आज यानी 22 जुलाई को लॉन्च होने के बाद अब चांद की ओर ज्यादा तेजी से जाएगा. अब अंतरिक्ष में इसकी गति 10305.78 मीटर प्रति सेकंड होगी. जबकि, 15 जुलाई को लॉन्च होता तो यह 10,304.66 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की तरफ जाता. यानी इसकी गति में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया है.