नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मंच साझा करते हुए जब सरदार पटेल को लेकर कांग्रेस और पंडित जवाहर लाल नेहरू पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि हर भारतीय के मन में आज तक इस बात की कसक है कि देश के पहले प्रधानमंत्री सरदार पटेल नहीं बने, तब कांग्रेस के किसी नेता ने ऐसा नहीं सोचा होगा कि यह कसक उसकी पार्टी के लिए दुखती रग बन जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरदार पटेल के नाम को उठाना और इसके लिए कांग्रेस को कोसने की रणनीति खुद मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए फायदेमंद रही. नरेंद्र मोदी की जीत में सरदार पटेल का अहम योगदान रहा है. पटेल के नाम पर राष्ट्रवाद के मुद्दे को मोदी ने लगभग हिट करा दिया, लेकिन कांग्रेस से उनको छीन लिया.
सरदार पटेल
कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे पटेल
महान स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले पूर्व उपप्रधानमंत्री सरदार पटेल आजीवन कांग्रेसी रहे, लेकिन उनकी मौत के करीब 7 दशक बाद वह अपनी ही पार्टी से दूर होते जा रहे हैं. बतौर वकील सरदार बेहद कामयाब रहे थे लेकिन बाद में वह महात्मा गांधी से प्रेरित होकर आजादी के आंदोलन में कूद गए. 1918 में सरदार पटेल खेड़ा आंदोलन के जरिए चर्चा में आए. इस आंदोलन के जरिए उन्होंने सूखे की चपेट आए खेड़ा क्षेत्र के किसानों के लिए कर में छूट देने की मांग की.
सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्ररित किया. बाद में अंग्रेज सरकार को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत दे दी गई. पटेल को बारदोली सत्याग्रह से सरदार की उपाधि मिली और गांधी के साथ लगातार स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़े रहे. पटेल 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए.
आजादी के बाद वह प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में थे, लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने. वह कई विवादों के बाद भी कांग्रेस से जुड़े रहे.
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ सरदार पटेल (GettyImages)
कांग्रेस की स्थिति दयनीय
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जहां एक ओर अपने स्वर्णिम दौर में चल रही है तो कांग्रेस अपने सबसे खराब दौर में है. कांग्रेस की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है. कई राज्यों में कांग्रेस की स्थिति ऐसी बन गई है कि उनके पास बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतारने के लिए योग्य उम्मीदवार तक नहीं मिल रहे हैं.
नरेंद्र मोदी आजादी के बाद भारत के एकीकरण का श्रेय सरदार पटेल को देते रहे हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले 2013 में सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर कहा था कि दल कोई भी हो, दिल देश का होना चाहिए. तब उन्होंने कहा था कि देश को सरदार पटेल वाला सेक्युलरिज्म चाहिए. सोमनाथ का मंदिर बनाते हुए उनका सेक्युलरिज्म आड़े नहीं आया था.
बेटी मणिबेन और जेबी कृपलानी के साथ सरदार पटेल (GettyImages)
क्या अब कांग्रेस में लौट पाएंगे पटेल?
मोदी ने जिस तरह से सरदार पटेल को राष्ट्रीय स्तर पर पुर्नजीवित किया है और उनके नाम पर कांग्रेस को लगातार कोसते रहे हैं, उससे देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है. 2014 के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की आक्रामक छवि, सरदार पटेल, राष्ट्रवाद समेत कई मुद्दों के दम पर बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली तो कांग्रेस की ऐतिहासिक गिरावट देखी गई.
आज कांग्रेस की वापसी की राह आसान नहीं दिख रही. 1984 के चुनाव में 533 लोकसभा सीट में से 415 सीट जीतने वाली कांग्रेस ने 2014 में सबसे खराब प्रदर्शन किया और वह महज 44 सीटों पर ही सिमट गई. जबकि 2019 के चुनाव में भी उसकी स्थिति में खास बदलाव नहीं हुआ और 52 सीट ही हासिल कर सकी.
सरदार पटेल के नाम को मोदी ने जिस आक्रामकता से उठाया और उसे कांग्रेस से दूर किया, उससे ऐसा लगता है कि आजीवन कांग्रेस से जुड़े रहने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल अब इस पार्टी से कोसों दूर चले गए हैं और वहां से कांग्रेस के लिए उनकी वापसी करा पाना असंभव है.