पिछले 15 दिनों का सियासी सस्पेंस आज खत्म होने वाला है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार मिलने वाली है. लगभग तय हो गया है कि दिल्ली में 'आप' सरकार का गठन करेगी. अरविंद केजरीवाल आज उपराज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले हैं.
केजरीवाल की माने तो खुली सभाओं, एसएमएस या दूसरे माध्यमों से इकट्ठा की गई जनता की राय में 80 फीसदी लोगों का यही फरमान है कि आम आदमी पार्टी ही दिल्ली की नई हुक्मरान बने.
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी को बहुमत से 8 सीटें कम यानी 28 सीटें ही मिली है. लेकिन सियासत के भंवरजाल ने ऐसा ताना बाना तैयार किया कि हां-ना, हां-ना करते-करते आखिरकार दिल्ली में आप की सरकार बनने तक बात पहुंच ही गई.
25 या 26 दिसंबर को शपथ ले सकते है 'आप' के सीएम
आज ही अरविंद केजरीवाल दिल्ली के उपराज्यपाल से मिलेंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे. सूत्रों की माने तो 25 या 26 दिसंबर को दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री शपथ ले सकते हैं. दावा ये भी है कि दिल्ली में आप की सरकार बनने के 15 दिनों के भीतर दिल्ली विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया जाएगा. और आम आदमी पार्टी अपने सबसे बड़े चुनावी वादे जनलोकपाल बिल को पास कराने की कोशिश करेगी.
15 दिनों के सस्पेंस और जनमत संग्रह के सियासी ड्रामे के बाद दिल्ली में वो पार्टी सरकार बनाने की दहलीज पर है, जिसकी उम्र महज 1 साल, जिसने पहली बार चुनाव लड़ा, जिसने दशकों से सियासत करने वाली देश की सबसे बड़ी पार्टियों को मात दी.
कौन बनेगा सीएम
दिल्ली में आप की सरकार बनेगी लेकिन कौन बनेंगे मुख्यमंत्री, कैसा होगा मंत्रिमंडल? सबसे बड़ा सवाल ये कि सत्ता में बदलाव के बाद क्या राजनीति की सूरत भी बदलेगी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी?
हिन्दुस्तान की नजर न सिर्फ ये जानने के लिए बेचैन है कि दिल्ली में कब सरकार बनने का सस्पेंस खत्म होगा, बल्कि ये जानने के लिए भी बैचेन है कि दिल्ली की नई सरकार का ढांचा, स्वरूप और रंग ढंग कैसा होगा. राजनीति के नौसिखिये मंत्री बनेंगे तो वो क्या और कैसे करिश्मा करेंगे? विपक्ष में बैठने जा रहे धुरंधर विधायकों से राजनीति का कहकहरा भी न सीख पाए आप के विधायक कैसे निबटेंगे?
केजरीवाल बदलेंगे दिल्ली की सियासत का चेहरा
आम आदमी पार्टी ने पहले ही ऐलान कर दिया है उनकी सरकार में वीआईपी कल्चर नहीं चलेगा. मसलन आप की सरकार के मंत्री न लाल बत्ती गाड़ी लेंगे, न सरकारी बंगला आप के मंत्री और विधायक भारी सुरक्षा के तामझाम से भी दूर रहेंगे
सीएम से लेकर मंत्री और विधायक तक सभी राजनीति में सादगी के नए पैरोकार होंगे. मसलन पहली ही जंग में दिल्ली का मैदान मारने वाले केजरीवाल दिल्ली की सियासत का चेहरा बदलेंगे तो सरकार के कामकाज का तरीका भी.
अब जनता ने ही केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को राजनीति में बदलाव के मोहरे के तौर पर आजमाया है और इस मोहरे पर भरोसा जताया है तो केजरीवाल एंड टीम भी पीछे क्यों हटे. तो तैयार हो जाएं राजनीति के नए नए रंग देखने के लिए. बदलाव की सिसायत का नया चेहरा देखने के लिए.
क्या जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे केजरीवाल
जितना भरोसा दिल्ली ने आप पर जताया है, आप को भी उसी तरह उम्मीदों पर खरा उतरना होगा. सस्ती बिजली, मुफ्त पानी, 15 दिन में जन लोकपाल बिल जैसे बड़े बड़े दावे कैसे पूरा करेंगे अरविंद केजरीवाल? अरविंद केजरीवाल ने जनता को जितने सब्जबाग दिखाएं हैं, दिल्ली में आप की सरकार बनी तो उन वादों को पूरा भी करना होगा. आज की तारीख में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या दिल्ली की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे केजरीवाल. कहीं केजरीवाल के बड़े-बड़े वादे दूसरी पार्टियों की तरह ही चुनावी वादे ही तो नहीं रह जाएंगे? ये अविश्वास इसलिए क्योंकि केजरीवाल ने चुनावी बाजी जीतने के किए वादे भी आसमान से तारे तोड़ लाने वाले कर दिए-
- 4 महीने के अंदर बिजली बिल 50 फीसदी घटाने का वादा कैसे पूरा करेगी आप की सरकार?
- हर रोज दिल्ली में हर परिवार को 700 लीटर पानी मुफ्त देने का वादा कैसे पूरा होगा?
जानकार तो कहते हैं कि 15 दिन में जन लोकपाल बिल पास करने का सबसे बड़ा चुनावी वादा पूरा करने में भी आम आदमी पार्टी के पसीने छूट जाएंगे. और अगर तमाम मशक्कत के बाद केजरीवाल जनलोकपाल बिल पास करने में कामयाब भी रहे तो उसकी वैधता सवालों के घेरे में होगी.
ऐसा लगता है कि जिन वादों के दम पर केजरीवाल ने चुनावी बाजी जीती, सच ये है कि उन्हीं वादों के भंवरजाल में केजरीवाल बुरी तरह घिरने वाले हैं. दिल्ली में आप की सरकार बन भी गई तो वो कांटों का ही ताज साबित होगी.