मध्य प्रदेश के खुजराहो में दिसंबर के दौरान आदिवासी नृत्य महोत्सव आयोजित किया जाता है. चार-पांच दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव को लोकरंजन के नाम से जाना जाता है.
इस महोत्सव को आदिवासी लोक कला अकादमी द्वारा ही आयोजित किया जाता है. यह उत्सव मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के साथ आदिवासी लोक कला अकादमी द्वारा आयोजित किया जाता है. भारतीय संस्कृति और कला को जिस तरह से आज तक मध्य प्रदेश सरकार ने संजोकर रखा है इसका एक नमूना लोकरंजन महोत्सव में देखने को मिलता है.
खुजराहो अपनी शिल्प कलाओं के लिए पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है. यही कारण है कि खुजराहो की इन्ही खूबियों को देखते हुए युनेस्को ने इसे विश्व की धरोहर का खिताब दिया है. खुजराहो भारत के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है. यहां हिंदुओं के साथ-साथ जैन मंदिर भी है. ये सभी अपनी मूर्तिकला के कारण विश्वभर में पहचान बनाए हुए हैं.
लोकरंजन महोत्सव में आयोजित होने वाले कार्यक्रम
लोकरंजन महोत्सव के दौरान एक ही मंच से अलग-अलग तरह के नृत्यों को पेश किया जाता है. अलग-अलग प्रांतों के कलाकार यहां आकर अपनी कला और हुनर को दिखाते हैं. ये कलाकार अपनी कला के माध्यम से ना केवल भारतीय कला संस्कृति को बचाए रखने का काम करते हैं बल्कि लोगों लोगों को इस भारतीय संस्कृति के बारे में जागरुक भी करते हैं.
लोकरंजन महोत्सव एक पारंपरिक महोत्सव है. हर साल दिसंबर में यह महोत्सव आयोजित किया जाता है. इस महोत्सव में भारतीय कला और संस्कृति की अनोखी छटा देखने को मिलती है. विभिन्न राज्यों के नामी-गिरामी कलाकार यहां अपनी प्रस्तुति देखकर लोगों को मंत्र मुग्ध कर देते हैं. इन कार्यक्रमों को देखकर एक बारगी तो ऐसा लगता है मानो हम लघु भारत में प्रवेश कर चुके हैं.
कैसे पहुंचे
मध्य भारत में स्थित होने के कारण खुजराहो पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होती है. इसके अलावा खुजराहो देश के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक होने के कारण भी यहां पहुंचना आसान है. हवाई यात्रा से यहां पहुंचना हो तो देश के प्रमुख शहरों से खुजराहो के लिए सीधे विमान सेवाएं उपलब्ध हैं. अगर रेल से यहां आना हो तो खुजराहो से निकटतम रेलवे स्टेशन माहोबा, हरपालपुर, झांसी और सतना हैं. हां अगर विचार बस से यहां आने का हो तो माहोबा, हरपालपुर, सतना, झांसी, ग्वालियर, आगरा, जबलपुर और भोपाल से सीधे बस ली जा सकती है.