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केरल के पारंपरिक नृत्य को मिली यूनेस्को की मान्यता

केरल के प्राचीन मुडियेट्टू नृत्य के महत्व को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने इसे ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ करार दिया है.

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केरल के प्राचीन मुडियेट्टू नृत्य के महत्व को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने इसे ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ करार दिया है.

देवी काली के आधारित यह मुडियेट्टू केरल से दूसरा ऐसा नृत्य है, जो संयुक्त राष्ट्र की संरक्षण सूची में शामिल किया गया है. इससे पहले शास्त्रीय थियेटर कुडियाट्टम को कुछ साल पहले संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल किया गया था.

मुडियेट्टू नृत्य केरल के कुछ मंदिरों में होता है और इसका जन्म नौवीं या 10वीं शताब्दी में हुआ था. यह नृत्य फसल कटने के बाद गांववालों की खुशहाली के लिये भद्र काली मंदिर में अयोजित किया जाता है. यह नृत्य देवी काली और राक्षस दरिका के बीच युद्ध पर आधारित है.

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