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टिकट के लिए कांग्रेस नेताओं को फोन, गहलोत बोले- पीके की भ्रष्टाचारी टीम का काम

प्रशांत किशोर ने 2016 में कांग्रेस का हाथ थामा था और पार्टी के लिए खास तौर पर यूपी विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार की थी. हाल ही में प्रशांत ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया है कि यूपी में समाजवादी पार्टी से गठबंधन का फैसला सर्जिकल स्ट्राइक के बाद लिया गया था.

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कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत (फोटो- ट्विटर)
कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत (फोटो- ट्विटर)

2014 में भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी कैंपेन का जिम्मा संभालने वाले प्रशांत किशोर बड़े रणनीतिकार के तौर पर जाने जाते हैं. बीजेपी के बाद वो 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए भी काम कर चुके हैं. इसके अलावा 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का हाथ मजबूत करने की जिम्मेदारी भी उन्हें मिली, लेकिन नतीजे काफी निराशाजनक रहे और कांग्रेस ने पीके से अपना दामन छुड़ा लिया. लेकिन राहुल गांधी की टीम का अहम हिस्सा समझे जाने वाले प्रशांत किशोर पर अब कांग्रेस की तरफ से गंभीर इल्जाम लगाए गए हैं.

गहलोत ने आरोप लगाया है कि पीके की टीम भ्रष्टाचार का अड्डा थी और अच्छा हुआ कि उनसे कांग्रेस का पीछा छूट गया. दरअसल, गहलोत का बयान उस विवाद पर आया है जिसके तहत कांग्रेस नेताओं को टिकट पक्का होने के फोन कॉल आ रहे हैं. राजस्थान में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और पार्टी में फिलहाल टिकटों को लेकर मंथन चल रहा है. ऐसे में इस बात का खुलासा हुआ है कि दावेदारी पेश कर रहे कुछ नेताओं के पास फोन कॉल्स आ रहे हैं और उनसे कहा जा रहा है कि टिकट के लिए सर्वे में आपका नाम आ गया है.'

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इस पर गहलोत ने दावा किया है कि ठगी के लिए नेताओं के पास जो फोन आ रहे हैं वो पीके की टीम के नाम से आ रहे हैं. अशोक गहलोत ने दावा किया कि ऐसे फोन कॉल कर कई लोगों से पैसों की मांग भी की गई है. उन्होंने बताया कि ऐसे कॉल आने के बाद कुछ पदाधिकारी दिल्ली तक पहुंच गए और वहां जाकर इस बात का खुलासा हुआ.

'भ्रष्टाचार का अड्डा थी पीके की टीम'

प्रशांत किशोर (पीके) की जो टीम यूपी में कांग्रेस की जीत के लिए विपक्षियों को चोट करने वाले '27 साल यूपी बेहाल' जैसे नारे तैयार करती थी, उसी पर अशोक गहलोत ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पीके की टीम का नाम लेकर फोन किया जा रहा है जो कि अब कांग्रेस के पास नहीं है. आप सब लोग जानते हैं कि वह कहां चले गए हैं. पीके की टीम में पहले भी इस तरह की शिकायतें आई थीं. सर्वे के नाम पर पैसे लेने की बात आई थी. पीके की टीम भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई थी.

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