जून से लेकर जुलाई महीने तक उच्च सदन यानी राज्यसभा में आठ सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने जा रहा है. चुनाव आयोग ने इन आठ सीटों के लिए चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर दिया है. राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 2 जून को जारी की जाएगी और नामांकन पत्र 9 जून तक दाखिल किए जा सकेंगे. राज्यसभा की इन सीटों के लिए मतदान और मतगणना 19 जून को होगी. पूर्वोत्तर से दक्षिण के राज्यों तक, राज्यसभा की रिक्त हो रही इन सीटों में से दो असम और छह तमिलनाडु की हैं.
तमिलनाडु की छह सीटों का गणित क्या
तमिलनाडु की रिक्त हो रही छह सीटों की बात करें तो इनमें से तीन सीटें फिलहाल डीएमके के पास हैं. तमिलनाडु विधानसभा के समीकरणों की बात करें तो कुल 235 सदस्यों वाले सदन में 234 निर्वाचित सदस्य हैं. सत्ताधारी गठबंधन की अगुवाई कर रही डीएमके के 133 सदस्य हैं. कांग्रेस के 17, वीसीके के चार और लेफ्ट पार्टियों के चार विधायकों का समर्थन भी डीएमके के पास है. गठबंधन सहयोगियों को भी मिला लें, तो डीएमके की स्ट्रेंथ 158 पहुंचती है. विपक्षी एआईएडीएमके के 66 विधायक (ओ पन्नीरसेल्वम और उनके तीन विधायकों समेत) हैं. एआईएडीएमके की गठबंधन सहयोगी बीजेपी के चार विधायक हैं.
अब चुनावी समीकरणों की बात करें तो एक उम्मीदवार की जीत के लिए 34 वोट की जरूरत होगी. डीएमके गठबंधन का संख्याबल 158 है, जो चार सीटें जीतने के लिए जरूरी 156 से दो अधिक है. वहीं, एआईएडीएमके की एक सीट पर जीत तय है और उसे दूसरी सीट जीतने के लिए अपने विधायकों के साथ ही बीजेपी के चार विधायकों का भी समर्थन चाहिए होगा. ऐसे में अब यह मांग भी जोर पकड़ रही है कि बीजेपी एक सीट के लिए दावेदारी करे और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई को राज्यसभा भेजे.
यह भी पढ़ें: असम में 'पाक समर्थकों' पर कार्रवाई तेज, अब तक 76 गिरफ्तारियां, विपक्षी विधायक भी गए जेल
अन्नामलाई की जगह नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के समय भी चर्चा इसी बात की थी कि पार्टी उन्हें दिल्ली लाकर कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है. हालांकि, इन सबको लेकर बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था. एआईएडीएमके के साथ अन्नामलाई के तल्ख रिश्तों को देखते हुए भी उनकी तमिलनाडु से राज्यसभा पहुंचने की राह आसान नहीं होगी.
असम में टाइट राज्यसभा चुनाव की फाइट
अमस विधानसभा की स्ट्रेंथ 126 है. दो सीटों के लिए हो रहे राज्यसभा चुनाव में एक सीट के लिए 43 वोट की जरूरत होगी. सूबे की सत्ताधारी बीजेपी के 64 विधायक हैं और असम गण परिषद के नौ, यूपीपीएल के सात विधायकों को भी जोड़े लें तो गठबंधन का संख्याबल 80 पहुंचता है. दो सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी गठबंधन को 86 वोट चाहिए.
यह भी पढ़ें: 'हमें धमकाने वाले पहले अपना नक्शा देखें...' बांग्लादेश की चिकन नेक धमकी पर असम CM हिमंता का पलटवार
बीजेपी गठबंधन को दूसरी सीट पर भी जीत सुनिश्चित करने के लिए छह वोट और चाहिए होंगे. दूसरी तरफ विपक्षी कांग्रेस के 26 विधायक हैं. सीपीआई के इकलौते विधायक के साथ ही एआईयूडीएफ के 15 और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के तीन विधायकों को भी जोड़ लें तो कांग्रेस का संख्याबल 45 पहुंचता है. अगर कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट रख इन पार्टियों के वोट पाने में भी सफल रहती है, तो एक सीट पार्टी जीत सकती है.
राज्यसभा चुनाव में वोट का फॉर्मूला क्या
राज्यसभा चुनाव में राज्य की विधानसभा के सदस्य यानी विधायक वोट डालते हैं. वोटिंग का फॉर्मूला ये है कि राज्य में जितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें 1 जोड़ा जाता है. विधानसभा सीटों के कुल संख्याबल में रिक्त सीटों की संख्या में एक जोड़कर उससे भाग दिया जाता है. अब जो नतीजा आता है, उसमें भी एक जोड़ते हैं और अब जो नंबर हमें प्राप्त होता है, वही एक सीट जीतने के लिए जरूरी संख्याबल होता है. उदाहरण के लिए तमिलनाडु विधानसभा की विधानसभा की स्ट्रेंथ 234 है और सूबे की छह राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं.
यह भी पढ़ें: दरभंगा: बीजेपी विधायक भेजे गए जेल, 2019 के मारपीट मामले में अदालत का आदेश
तमिलनाडु की रिक्त छह सीटों में एक जोड़ने पर हमें सात प्राप्त होता है. अब 234 में हम सात से भाग दें तो नतीजा 33.42, जिसे 33 माना जाएगा. अब इसमें एक जोड़ दिया तो संख्या आई 34. यानी, तमिलनाडु की छह सीटों के चुनाव में एक सीट जीतने के लिए 34 विधायकों के वोट की जरूरत होगी. राज्यसभा चुनाव में एक विधायक एक ही बार वोट कर सकता है और विधायक को यह भी बताना पड़ता है कि पहली और दूसरी पसंद कौन है.
समाप्त हो रहा इन सदस्यों का कार्यकाल
तमिलनाडु से राज्यसभा के छह सदस्यों का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. जिन सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है, उनमें पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के अंबुमणि रामदास, एमडीएमके के वाइको, एआईएडीएमके के एन चंद्रशेखरन और डीएमके के पी विल्सन, एमएम अब्दुल्ला और एन शनमुगम शामिल हैं. असम की जो दो सीटें रिक्त हो रही हैं, उनमें एक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और दूसरी बीजेपी की गठबंधन सहयोगी असम गण परिषद की है. बीजेपी के मिशन रंजन दास और असम गण परिषद के बिरेंद्र प्रसाद बैश्य का कार्यकाल 14 जून को समाप्त हो रहा है.