झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही 14 राज्यों की 48 विधानसभा सीटों और दो राज्यों की दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. जिन दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हुआ है, उनमें राहुल गांधी के इस्तीफे से रिक्त हुई केरल की वायनाड लोकसभा सीट भी है. वायनाड सीट से कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान भी कर दिया है. प्रियंका गांधी की वायनाड सीट से उम्मीदवारी के ऐलान के साथ ही चुनावी राजनीति में एंट्री के साथ ही अब बात इसे लेकर भी हो रही है कि गांधी फैमिली को साउथ कार्ड कितना रास आता है?
साउथ के चुनावी रण में गांधी परिवार से चौथी सदस्य
प्रियंका गांधी साउथ से चुनाव मैदान में उतरने वाली गांधी परिवार की चौथी सदस्य हैं. प्रियंका गांधी से पहले नेहरू-गांधी परिवार के तीन अन्य सदस्य साउथ के रास्ते संसद का सफर तय कर चुके हैं. प्रियंका गांधी की ही तरह उनकी मां सोनिया गांधी ने भी पहला चुनाव साउथ की सीट से लड़ा था. सोनिया गांधी 1999 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की बेल्लारी सीट से निर्वाचित हुई थीं. हालांकि, तब वह दो सीटों से चुनी गई थीं. सोनिया गांधी ने कर्नाटक की बेल्लारी और यूपी की अमेठी, दोनों ही सीटों से चुनाव जीता था और बाद में साउथ की सीट छोड़ दी थी. चुनावी राजनीति में साउथ के रास्ते एंट्री करने वाली प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के बाद गांधी परिवार की दूसरी ही सदस्य हैं.
इंदिरा और राहुल गांधी के लिए सेफ पैसेज रहा साउथ
साउथ ने गांधी परिवार के लिए सेफ पैसेज का रोल भी निभाया है. आपातकाल के बाद हुए आम चुनाव में जब इंदिरा गांधी को अपने गढ़ रायबरेली में शिकस्त का सामना करना पड़ा, तब उन्होंने संसद पहुंचने के लिए साउथ की ओर ही रुख किया. इंदिरा गांधी ने 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से उपचुनाव लड़ा था और सांसद निर्वाचित हुई थीं. उस चुनाव में इंदिरा गांधी के चुनावी कैंपेन के लिए पार्टी के अध्यक्ष रह चुके देवराज उर्स ने नारा गढ़ा था- 'एक शेरनी, सौ लंगूर... चिकमंगलूर... चिकमंगलूर.'
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साल 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने केरल का रुख किया था. राहुल गांधी ने यूपी की अमेठी सीट के साथ ही केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था. तब राहुल को अमेठी में बीजेपी की स्मृति ईरानी से शिकस्त खानी पड़ी थी लेकिन वायनाड की जनता ने उन्हें लोकसभा में भेजा. 2024 के आम चुनाव में राहुल वायनाड के साथ ही यूपी की रायबरेली सीट से भी चुनाव मैदान में उतरे थे. राहुल दोनों सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे. बाद में उन्होंने वायनाड सीट छोड़ दी थी और इसके तुरंत बाद ही कांग्रेस ने ऐलान कर दिया था कि यहां से प्रियंका गांधी पार्टी की उम्मीदवार होंगी.
कर्नाटक छोड़ नई पीढ़ी ने केरल को बनाया केंद्र
इंदिरा गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक, गांधी परिवार की दो पीढ़ियों ने जब भी साउथ का रुख किया तब उनकी तलाश कर्नाटक पहुंचकर पूरी हुई लेकिन नई पीढ़ी ने केरल को केंद्र बना लिया है. राहुल गांधी के बाद अब प्रियंका गांधी को संसद भेजने के लिए पार्टी ने केरल को चुना. गांधी परिवार का सेफ पैसेज कर्नाटक से केरल शिफ्ट हो गया है तो उसके पीछे कर्नाटक में बीजेपी के मजबूत उभार को वजह बताया जाता रहा है. कर्नाटक में कांग्रेस और बीजेपी की फाइट रहती है. हालिया लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने कर्नाट में अच्छा प्रदर्शन किया था, वह भी तब जब सूबे में कांग्रेस की सरकार है.
साउथ ने गांधी परिवार को कभी नहीं किया निराश
गांधी परिवार की सियासत का सेंटर नॉर्थ ही रहा है लेकिन जब भी परिवार के किसी सदस्य ने साउथ की किसी सीट का रुख किया, उसे सफलता ही मिली. हर चुनाव में यह नैरेटिव गढ़ने की कोशिशें भी हुईं कि ये फिर से नॉर्थ चले जाएंगे, नॉर्थ से जीते तो साउथ की सीट छोड़ जाएंगे लेकिन इन तमाम धारणाओं को परे रखते हुए साउथ के मतदाताओं ने गांधी परिवार को कभी निराश नहीं किया. वायनाड की जनता प्रियंका को संसद भेजकर गांधी परिवार के विजय रथ को आगे बढ़ाएगी या रोक देगी, ये उपचुनाव के नतीजे बताएंगे.