
शराब के शौकीन 'कॉकटेल' का मतलब जानते हैं. शराब फिर से चर्चा में आ गई है. लेकिन इस बार शराब की चर्चा की वजह दूसरी है. इस बार शराब, घोटाले और उस घोटाले में आरोपी दिल्ली सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के कारण चर्चा में है. शराब घोटाला मामले में आरोपी मनीष सिसोदिया को मैराथन पूछताछ के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रविवार देर शाम गिरफ्तार कर लिया.
ऐसे में सिसोदिया की गिरफ्तारी के साथ ही एक नई सियासी जंग, एक नई चर्चा शुरू हो गई है. आम आदमी पार्टी और उसके नेता जिस तरह से मनीष सिसोदिया के पीछे तनकर खड़े नजर आ रहे हैं, संकेत साफ हैं कि दिल्ली और पंजाब की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी इस बार आर या पार के मूड में है.
आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, बीजेपी मुख्यालय के बाहर, यूपी के हर जिले में और देशभर में प्रदर्शन का ऐलान कर दिया गया है, उससे साफ है कि दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी दिल्ली के घटनाक्रम को देशभर में कैश कराने का पुरजोर प्रयास करेगी.
वहीं अरविंद केजरीवाल की पार्टी को टीएमसी का भी साथ मिल गया है. विपक्षी नेताओं के खिलाफ सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते और केंद्र को घेरते रहे विपक्ष को सिसोदिया की गिरफ्तारी ने सरकार को घेरने का, बीजेपी पर हमला बोलने का एक और मौका दे दिया है और अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को और हवा भी.

शराब घोटाला मामले की सीबीआई जांच और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी में मानो आम आदमी पार्टी को नेशनल पॉलिटिक्स का कॉकटेल मिल गया हो. आम आदमी पार्टी ने सिसोदिया की गिरफ्तारी के तुरंत बाद केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला तो बोला ही, साथ ही विक्टिम कार्ड भी खेल दिया. अरविंद केजरीवाल ने सिसोदिया को ईमानदार और राष्ट्र भक्त बताते हुए गिरफ्तारी को गंदी राजनीति बताया. उन्होंने बैंकों का पैसा लूटने वालों को नोटिस तक नहीं दिए जाने का आरोप केंद्र सरकार पर लगाया तो राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने इस कार्रवाई को सरकार की तानाशाही बता डाला.
सिसोदिया पर एक्शन से बाहर आई राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा
अरविंद केजरीवाल हों, संजय सिंह हों या आम आदमी पार्टी का कोई और नेता, सबके निशाने पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार और बीजेपी ही रहे. सीबीआई की कार्रवाई के बाद अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जिस तरह से पीएम मोदी और केंद्र सरकार को निशाने पर रखा है, उसे पार्टी की पीएम मोदी के मुकाबले केजरीवाल को खड़ा करने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है. आम आदमी पार्टी पहले भी कह चुकी है कि पीएम मोदी को अरविंद केजरीवाल ही टक्कर दे सकते हैं.
देश में अगले ही साल लोकसभा चुनाव होने हैं जिसे लेकर तमाम सियासी दल चुनावी मोड में आ चुके हैं. कांग्रेस और टीएमसी जैसी पार्टियां विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ सीबीआई और ईडी को टूल की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगा केंद्र को घेरती रही हैं. अब मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने आम आदमी पार्टी को, विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका दे दिया है.

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान ने तस्वीर और क्लियर कर दी. भगवंत मान ने कहा कि आम आदमी पार्टी जिस तरह से अलग-अलग राज्यों में जाकर अच्छा प्रदर्शन कर रही है, उसे देखते हुए सरकार अब हमारी टीम को तोड़ने की कोशिश कर रही है. भगवंत मान का बयान भी आम आदमी पार्टी के मिशन नेशनल पॉलिटिक्स की ओर ही इशारा कर रहा है. पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के साथ आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी तो वहीं गुजरात चुनाव में भी पार्टी का वोट शेयर करीब 13 फीसदी रहा था.
जेल जाकर AAP की नैया पार लगा जाएंगे सिसोदिया!
दिल्ली शराब घोटाले की फांस में फंसे मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी पर क्या प्रभाव पड़ेगा, पार्टी की नेशनल पॉलिटिक्स वाली महत्वाकांक्षा का क्या होगा जैसे तमाम सवालों पर बहस शुरू हो गई है. कोई इसे भ्रष्टाचार के विरोध की बुनियाद पर खड़ी हुई आम आदमी पार्टी पर धब्बा बता रहा है तो किसी को इसमें दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी को सियासी लाभ होता नजर आ रहा है.

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की कार्रवाई से आम आदमी पार्टी को कितना सियासी लाभ होगा या नुकसान, ये तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे लेकिन जिस तरह से पार्टी ने उनके संदेश का पोस्टर जारी किया, देशभर में प्रदर्शन का ऐलान किया है. उससे साफ है कि आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और बीजेपी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
क्या 2024 के चुनाव पर पड़ेगा असर?
आम आदमी पार्टी सियासी गलियारों में विपक्षी दलों के भी निशाने पर रही है. आम आदमी पार्टी पर बीजेपी की बी टीम होने के आरोप लगते रहे हैं. गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी का खाता भले ही नहीं खुल पाया लेकिन पार्टी ने कई सीटों पर कांग्रेस का खेल खराब किया. सियासत के जानकारों की मानें तो सत्येंद्र जैन के बाद अब मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी को सहानुभूति मिल सकती है जो उसे मजबूत कर सकती है.
अगर आम आदमी पार्टी मजबूत होती है और विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशें नाकाम रहती हैं तो इसका नुकसान सीधे कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है. कांग्रेस पार्टी भी इसे बखूबी समझ रही है और शायद यही वजह है कि विपक्षी नेताओं के खिलाफ सीबीआई और ईडी के एक्शन को लेकर सरकार पर हमलावर रही कांग्रेस मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर मौन है. फिलहाल, मनीष सिसोदिया जेल में हैं. आम आदमी पार्टी सड़कों पर उतर देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान कर चुकी है. इसका आने वाले चुनावों पर कितना असर पड़ता है, आम आदमी पार्टी को चुनावी लाभ मिलता है या नुकसान उठाना पड़ेगा, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.