तमिलनाडु में एक ओर जहां मेडिकल कॉलेजों में सरकारी छात्रों के लिए आरक्षण को लेकर गरमा गरमी चल रही है इसी बीच डीएमके के महासचिव दुरई मुरुगन ने मेडिकल छात्रों को लेकर विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर छात्र मेडिकल कॉलेज की फीस के रूप में 40,000 रुपये का भुगतान नहीं कर सकते हैं, तो वो डॉक्टर कैसे बन सकते हैं?
जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में डीएमके ने घोषणा की थी कि सरकारी स्कूल के छात्र जो प्राइवेट में शामिल होंगे पार्टी उनकी फीस का कुछ भार 7.5% आरक्षण श्रेणी के तहत सरकार उठाएगी. हालांकि, जब एक रिपोर्टर ने दुरई मुरुगन से पूछा कि क्या डीएमके सरकार मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए 40,000 रुपये का भुगतान करेगा, तो उन्होंने कहा कि अगर वे इतना पैसा नहीं दे सकते हैं, तो वे मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर बनने के लिए कैसे अध्ययन करेंगे.
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेजों में सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए 7.5 फीसदी आरक्षण को लेकर तमिलनाडु में घमासान जारी है. राज्यपाल से इस विधेयक को मंजूरी देने की लगातार मांग की जा रही है. फिलहाल, ये सत्तारूढ़ एआईएडीएमके (AIADMK) और विपक्षी दल डीएमके के बीच मुद्दा बना हुआ है.
जानकारी के लिए बता दें कि ये विधेयक 15 सितंबर को विधानसभा में पारित किया गया था. लेकिन, राज्यपाल ने आरक्षण से जुड़े सभी कानूनी पहलू पर विचार करने के लिए तीन से चार हफ्तों का समय मांगा था. वहीं स्टालिन ने कहा है कि मंजूरी में देरी के कारण नीट परीक्षा पास करने वाले सरकारी स्कूल के छात्रों जो अलग-अलग पाठ्यक्रमों में एडमिशन लेना चाहते हैं उनके भविष्य पर बात आ जाएगी.