अरावली पर्वतमाला की परिभाषा को लेकर मचे बवाल से कांग्रेस को एक बड़ा जन मुद्दा हाथ आ गया है. मोदी सरकार अरावली के मुद्दे से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं, लेकिन कांग्रेस अरावली को लेकर सड़क पर उतर चुकी है. यही नहीं महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को समाप्त करने के मुद्दे पर जनसमर्थन हासिल करने लिए बड़े आंदोलन खड़ा करने की प्लानिंग भी कर ली है.
अरावली को बचाने और मनरेगा को बहाल करने की मांग को लेकर कांग्रेस सड़क पर उतरने का फैसला किया. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिरार्जुन खड़गे ने कहा कि मनरेगा खत्म किए जाने के खिलाफ देशव्यापी अभियान की जरूरत है.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में तय किया गया कि 5 जनवरी से मनरेगा बचाओ अभियान की शुरुआत की जाएगी. वहीं, कांग्रेस राजस्थान में अरावली को बचाने की मांग को लेकर पहले ही सड़क पर उतर चुकी है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि अरावली और मनरेगा के मुद्दे से कांग्रेस के लिए सियासी संजीवनी साबित होगा?
अरावली पर सोनिया से गहलोत तक आक्रामक
अरावली के मुद्दे पर राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत सबसे ज्यादा मुखर दिख रहे हैं तो सचिन पायलट भी सड़क पर उतरकर बीजेपी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. पिछले दिनों कांग्रेस के मीडिया व प्रचार विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन खेड़ा की जयपुर में अशोक गहलोत के साथ लंबी बैठक की.
बताया जा रहा है कि इस बैठक में अरावली और मनरेगा को लेकर जन आंदोलन की रूपरेखा पर चर्चा हुई है. साथ ही आंदोलन किसी यात्रा या सभाओं के माध्यम से करवाने पर चर्चा हुई. कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने अरावली को बचाने को लेकर सरकार को पत्र और अखबारों में लेख लिखा था.
सोनिया गांधी ने अरावली पहाड़ियों के संरक्षण को लेकर सरकार को आगाह करते हुए अरावली के नीचे की 100 मीटर की पहाड़ियों को खनन से छूट देने के फैसले को 'डेथ वारंट' बताया था. इसी के बाद से कांग्रेस आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं.
राजस्थान भर में कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन
राजस्थान के विभिन्न जिलों में कांग्रेस अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए जोरदार अभियान चला रही है. इस अभियान के तहत पैदल मार्च निकाले गए और सरकार की नीतियों का विरोध किया गया. कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण की मांग उठाई और कहा कि अरावली केवल पहाड़ नहीं बल्कि जीवन की रक्षा करने वाली महत्वपूर्ण श्रृंखला है. केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार पर खनन माफियाओं के साथ मिलकर इसे नष्ट करने के आरोप लगाए गए.
अरावली बचाने का आंदोलन पूरे राजस्थान प्रदेश में फैल चुका है और हजारों लोग इसमें शामिल हो रहे हैं. कांग्रेस ने इसे जनभावनाओं से जोड़ रही है. कांग्रेस ने कहा कि नई परिभाषा से खनन गतिविधियां तेज होंगी जिससे जल स्तर गिरेगा और भविष्य की पीढ़ियां प्रभावित होंगी. उन्होंने अरावली को क्षेत्र की जीवन रेखा बताया और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की अपील की. इसके अलावा कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर खनन माफियाओं से सांठगांठ का आरोप लगा रही है.
मनरेगा पर कांग्रेस का 5 जनवरी से आंदोलन
किसान आंदोलन के तर्ज पर कांग्रेस मनरेगा को बहाल कराने की मांग को लेकर जन आंदोलन करने का फैसला किया है. कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को खत्म किए जाने के खिलाफ देशव्यापी अभियान की जरूरत है. खड़गे ने मोदी सरकार द्वारा मनरेगा को समाप्त करने के फैसले को गरीबों पर ‘क्रूर वार’ बताया है.
खड़गे ने कहा कि यह लोकतंत्र, संविधान और नागरिक अधिकारों पर गंभीर संकट है. ऐसे में कांग्रेस ने 5 जनवरी से मनरेगा बचाओ अभियान की शुरुआत करने की प्लानिंग की है. सोनिया गांधी ने कहा कि MGNREGA को समाप्त करना, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान है. अब पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है कि हम एकजुट हों और उन अधिकारों की रक्षा करें जो हम सभी की रक्षा करते हैं.
कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार को गरीबों की चिंता नहीं, बल्कि चंद बड़े पूंजीपतियों के मुनाफे की ही चिंता है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने बिना किसी अध्ययन, मूल्यांकन या राज्यों और राजनीतिक दलों से परामर्श किए इस कानून को निरस्त कर दिया. खडगे ने तीन कृषि कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे विरोध के बाद सरकार को उन्हें वापस लेना पड़ा था. आज ऐसे ही विरोध की जरूरत है. इस योजना ने ग्रामीण भारत का चेहरा बदला है.
अरावली और मनरेगा बनेगी कांग्रेस की संजीवनी
कांग्रेस अब तक गांधी परिवार को इडी, सीबीआई में फंसाने जैसे मुद्दों पर आंदोलन कर रही थी. इस मुद्दे पर कांग्रेस के लिए लोगों का जन समर्थन हासिल करना मुश्किल रहा है. ऐसे में अरावली पर्वतमाला पर छिड़ी बहस से केन्द्र सरकार बुरी तरह घिरी हुई दिख रही है. साथ ही इस मुद्दे पर राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में घर-घर में चर्चा देखने को मिल रही है. कांग्रेस के रणनीतिकारों को अब इसमें सियासी संजीवनी दिख रही है.
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अरावली के मुद्दे को सबसे पहले उठाया. राजस्थान में कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेता इस मुद्दे पर प्रतिदिन कुछ न कुछ बयान या प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस अरावली के मुद्दे पर बड़ा आंदोलन करने की रणनीति पर काम कर रही है. इसके साथ ही मनरेगा को भी कांग्रेस ने जोड़ लिया है.
अरावली को लेकर तीन राज्यों में असर दिख रहा
अरावली की पहाड़ी दिल्ली और हरियाणा से लेकर राजस्थान व गुजरात तक फैली हुई हैं. इन चारो राज्यों में फिलहाल बीजेपी की सरकार है. ऐसे में कांग्रेस गुजरात में वापसी के लिए भरसक कोशिश में जुटी हुई है, जहां 2027 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. फिलहाल गुजरात में संगठन सृजन कार्यक्रम पूरा किया गया है. अब कांग्रेस प्रदेश और जिला इकाइयों को मोबीलाइज करने के लिए राहुल गांधी के कार्यक्रम बना रही.
ऐसे में अरावली का मुद्दा कांग्रेस को सियासी संजीवनी की तरफ नजर आ रहा है. यही वजह है कि अशोक गहलोत से लेकर सचिन पायलट सहित पार्टी के कई बड़े नेता सरकार के खिलाफ सख्त तेवर अफना रखा है. राजस्थान से लेकर गुजरात तक कांग्रेस ने अरावली बचाओ के साथ मनरेगा के नाम बदलने का भी विरोध किया. पैदल मार्च में बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए.
कांग्रेस नेता प्रह्लाद गुंजल ने कहा कि अरावली हमारे जीवन पर्यावरण और संस्कृति का हिस्सा है. इसे बचाना राजनीति से ऊपर नैतिक दायित्व है. उन्होंने सनातन परंपरा की बात की और कहा कि असली सनातनी बनने के लिए प्रकृति की रक्षा जरूरी है न कि सिर्फ नारे लगाने से. अरावली को
हरियाणा, गुजरात और राजस्थान की जीवनरेखा माना जाता है. ऐसे में कांग्रेस को मोदी सरकार और बीजेपी के खिलाफ सियासी माहौल बनाने का एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है. इसीलिए कांग्रेस अरावली और मनरेगा के बहाने जन आंदोलन खड़े करने की कवायद में है.