द्वितीय विश्व युद्ध के मुश्किल समय में ब्रिटेन को जीत दिलाने वाले तत्कालीन ब्रिटिश पीएम विंस्टन चर्चिल को कई सर्वे-सर्वेक्षणों में दुनिया का सबसे महान राजनीतिज्ञ करार दिया जाता है. विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अपने नेतृत्व कौशल, शातिर चालों और दृढ़ निश्चय से अंग्रेजों को जीत दिलाई. लेकिन भारत को लेकर विंस्टन चर्चिल की राय बेहद निचले दर्जे की थी.
विंस्टन चर्चिल का मानना था कि भारतीयों में शासन करने की योग्यता नहीं है. और अगर भारत को स्वतंत्र भी कर दिया जाए तो भारत पर शासन नहीं कर पाएंगे और ये देश बिखर जाएगा. चर्चिल का कहना था कि आजादी के बाद से ही भारत की सत्ता दुष्टों, बदमाशों और लुटेरों के हाथों में चली जाएगी. लेकिन भारत की आजादी के 75 साल बाद इस देश ने न सिर्फ चर्चिल के पूर्वाग्रहों को ध्वस्त कर दिया बल्कि इसी भारतवंशी का एक संतान आज ब्रिटेन के सर्वोच्च ऑफिस पर आसीन होने जा रहा है. विंस्टन चर्चिल की अनर्गल भविष्यवाणियों के 75-80 सालों के बाद ऋषि सुनक द ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब ब्रिटिश संसद में भारत की आजादी पर चर्चा होती तो चर्चिल बिना किसी संकोच के अपनी राय रखते, "मैं ब्रिटेन का प्रधानमंत्री इसलिए नहीं बना हूं कि भारत को स्वाधीनता देकर ब्रिटिश साम्राज्य का दिवाला निकाल दूं, भारत सदियों से ब्रिटेन का गुलाम रहा है, इसके निवासियों को आजादी के सपने देखने का कोई अधिकार नहीं है, ब्रिटिश साम्राज्य इतना शक्तिविहीन नहीं हो गया है कि वह भूखे, नंगे, भारतवासियों को कुचल न सके."
चर्चिल कहा करते थे कि भारतीयों की भाषा मीठी तो होगी लेकिन दिल बेवकूफियों से भरा होगा. वे सत्ता के लिए एक दूसरे से लड़ेंगे और इन राजनीतिक लड़ाइयों में भारत पूरी तरह से खत्म हो जाएगा.
आज 75 साल बाद इतिहास फुल सर्किल पर आ गया है. 1980 में ब्रिटेन में जन्मे एक भारतवंशी ऋषि सुनक मात्र 42 साल की उम्र में उस देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं जिस देश के नागरिकों ने भारत पर 200 साल राज किया. ऋषि सुनक की कहानी ये बताती है कि अगर स्वस्थ्य प्रतिस्पर्द्धा हो, मौका मिले तो चर्चिल की धारणा के विपरित भारतीय प्रतिभा अपना सर्वश्रेष्ठ देने में पीछे नहीं हटती है.
आज भारतीय मूल के लोग ब्रिटेन की आबादी का बड़ा हिस्सा हैं. अंग्रेजों के शासन के दौरान जितने अंग्रेज भारत में रहे उसका 10 गुना भारतीय आज ब्रिटेन में रहते हैं. अंग्रेजों द्वारा 1941 में की गई जनगणना के मुताबिक उस वक्त भारत में 1.44 लाख के करीब ब्रिटिश रहते थे. आज ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों की जनसंख्या 16 लाख से ज्यादा है. निश्चित रूप से भारतीयों ने न सिर्फ ब्रिटेन के परिवेश में खुद का ढाला है बल्कि वे वहां की राजनीति, अर्थव्यवस्था और बिजनेस में अग्रणी बने हुए हैं.
बता दें कि ऋषि सुनक के दादा-दादी का जन्म पंजाब प्रांत (ब्रिटिश इंडिया) में हुआ था, जबकि ऋषि सुनक के पिता का जन्म केन्या तो उनकी मां का जन्म तंजानिया में हुआ था. ब्रिटेन से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद सुनक ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. पढ़ाई पूरी करने के बाद ऋषि सुनक ने गोल्डमैन सैश के साथ काम किया और बाद में हेज फंड फर्म्स में पार्टनर बन गए.
राजनीति में आने के बाद ऋषि सुनक 2014 में पहली बार रिचमंड से कंजरवेटिव पार्टी के नेता चुने गए. 2015 के आम चुनाव में ऋषि सुनक इस सीट से 19550 वोटों से जीते. यहां से शुरू हुई उनकी राजनीतिक यात्रा अब 10 डाउनिंग स्ट्रीट के लक्ष्य तक पहुंच गई है.