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क्या है कश्मीर के महादेव पहाड़ का धार्मिक महत्व, जहां हुआ पहलगाम में रक्त बहाने वाले 'राक्षसों' का वध

कश्मीरी इतिहासकार पीर हसन शाह बताते हैं कि हिंदुओं के लिए यह जगह पवित्र है. चोटी पर एक प्राचीन ग्लेशियर है जो साल भर जमा रहता है. लोग वहां से बर्फ लाते थे और श्रीनगर की सड़कों पर बेचते थे. सावन पूर्णिमा पर पंडित इस स्थल पर तीर्थयात्रा करते थे.

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Rising over 13,000 feet above sea level, Mahadev Peak is the highest point in Srinagar and a revered landmark in Kashmiri tradition. (Image for representation/PTI)
Rising over 13,000 feet above sea level, Mahadev Peak is the highest point in Srinagar and a revered landmark in Kashmiri tradition. (Image for representation/PTI)

कश्मीर के महादेव पहाड़ के पास हुई एक बड़ी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकियों को ढेर कर दिया. इस पव‍ित्र चोटी में हुए ऑपरेशन का नाम 'ऑपरेशन महादेव' रखा गया. ये पहाड़ सिर्फ एक प्राकृतिक चोटी नहीं बल्कि प्राचीन ग्रंथों और कश्मीरी लोककथाओं में दर्ज एक पवित्र स्थल है. आइए जानते हैं महादेव चोटी की वो कहानी, जिसकी बर्फ को कभी श्रीनगर की गलियों में बेचा जाता था.  

क्या है महादेव पहाड़ की अहमियत?

13,000 फीट से ऊंची इस चोटी को श्रीनगर का सबसे ऊंचा बिंदु माना जाता है और कश्मीरी परंपरा में ये बेहद पूजनीय है. पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सुलैमान शाह उर्फ मूसा फौजी समेत तीन आतंकी इसी चोटी के पास मुठभेड़ में ढेर हुए. इन आतंकियों ने 22 अप्रैल को 26 आम लोगों की हत्या की थी जिन्हें धर्म के आधार पर अलग किया गया था. बता दें कि ऑपरेशन महादेव का समय भी खास है. यह सावन पूर्णिमा से ठीक पहले हुआ, जो हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का खास महीना होता है. इतिहासकारों के मुताबिक, कश्मीरी पंडित इस पवित्र चोटी पर सालाना तीर्थयात्रा किया करते थे.  

क्या है पावन कथा 

कश्मीरी इतिहासकार पीर हसन शाह बताते हैं कि हिंदुओं के लिए यह जगह पवित्र है. चोटी पर एक प्राचीन ग्लेशियर है जो साल भर जमा रहता है. लोग वहां से बर्फ लाते थे और श्रीनगर की सड़कों पर बेचते थे. सावन पूर्णिमा पर पंडित इस स्थल पर तीर्थयात्रा करते थे. महादेव चोटी जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में Zabbarwan रेंज का हिस्सा है. इसे स्थानीय भाषा में 'महादेव गली' कहा जाता है और कश्मीरी पंडित इसे भगवान शिव का निवास मानते हैं. 

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लोककथाओं के मुताबिक भगवान श‍िव अमरनाथ गुफा तक जाते वक्त इसी रास्ते से गुजरे थे, जहां उन्होंने पार्वती को अमर कथा सुनाई थी.  

प्राचीन ग्रंथों में भी दर्ज है इसका महात्म्य 

प्राचीन ग्रंथ 'नीलमता पुराण' और 12वीं सदी के 'राजतरंगिणी' में महादेवगिरी का जिक्र मिलता है. नीलमता पुराण में लिखा है कि महादेव पर्वत को देखने और महुरी में डुबकी लगाने से रुद्र लोक में सम्मान मिलता है. राजतरंगिणी में इसकी भव्यता का वर्णन है और इसे श्रीनगर के पास 13,000 फीट ऊंची चोटी के रूप में वर्णित किया गया है.  

आतंक और तीर्थयात्रा का अंत

एक समय सावन पूर्णिमा पर सैकड़ों पंडित इस चोटी पर तीर्थयात्रा करते थे लेकिन आतंकवाद और उग्रवाद के कारण यह परंपरा रुक गई. अब ये जगह साहसिक पर्यटन या आम पर्यटकों के लिए सिमट गई है. 'डेली एक्सेलसियर' की रिपोर्ट के मुताबिक इसकी गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक अहमियत आज लोगों के लिए भुला दी गई है.  

ऑपरेशन महादेव की कहानी

'ऑपरेशन महादेव' श्रीनगर के लिदवास इलाके में सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई थी. खुफिया जानकारी के बाद आतंकियों का पता चला और मुठभेड़ में तीनों को मार गिराया गया. ये आतंकी पाकिस्तान आधारित ग्रुप 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) के थे, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मोहरा है.  गौरतलब है कि ये मुठभेड़ ऐसी जगह हुई जो महज एक जगह नहीं बल्कि कश्मीरी हिंदू समुदाय की आस्था का प्रतीक स्थान है. पहलगाम हमले के आरोपियों को इसी पवित्र चोटी के पास ढेर करना एक संयोग नहीं बल्कि आस्था और न्याय का मिलन है. 

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