केंद्र की एनडीए कैबिनेट ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा 21 साल पहले लागू किए गए न्यू पेंशन स्कीम में रिफॉर्म को मंजूरी दी है. इसके समानांतर केंद्र ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाने का ऐलान किया है. बीते दिन, शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई और अगले साल 1 अप्रैल से इसे लागू करने का प्लान है.
मसलन, अब तक जहां कर्मचारी को ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम में एक का चुनाव करने का मौका मिलता था, वहां अब न्यू पेंशन स्कीम और यूनिफाइड पेंशन स्कीम को चुनने का अवसर मिलेगा, जिसके तहत कर्मचारियों को आखिरी बेसिक सैलरी के 50 फीसदी के बराबर आजीवन पेंशन देने का प्रावधान किया गया है.
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क्या यूपीएस, एनपीएस और ओपीएस में अंतर?
केंद्र सरकार द्वारा संभावित रूप से लागू किए जाने वाले यूनिफाइड पेंशन स्कीम से कर्मचारियों को कई फायदे होंगे, जैसे कि महंगाई बढ़ने के हिसाब से डियरनेस रिलीफ में हाइक मिलेगी, कर्मचारी की मृत्यु पर परिवार वालों को पेंशन का 60 फीसदी तुरंत देने की गारंटी और साथ ही ग्रेच्युटी के साथ एकमुश्त सुपरएनुएशन का भी प्रावधान किया गया है.
अगर आप केंद्र सरकार के तहत नौकरी कर रहे हैं और आपने दस साल की नौकरी पूरी कर ली है तो आपको प्रति महीने कम से कम दस हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलेंगे. मसलन, देश में पेंशन को लेकर अब तक दो योजनाएं थीं - ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS), न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और अब तीसरी होगा यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS). आइए समझते हैं, OPS, NPS और यूपीएस में अंतर और इनके और प्रावधान.
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)
यूनिफाइड पेंशन स्कीम या यूपीएस, केंद्र की एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गई एक नई पहल है. यह ओल्ड पेंशन स्कीम की ही तरह काम करेगा और साथ ही इसमें न्यू पेंशन स्कीम से भी कुछ जरूरी बेनिफिट्स शामिल किए गए हैं.
यूपीएस क्यों अलग होगा?
पेंशन की राशि: रिटायर्ड लोगों को रिटायरमेंट से पहले नौकरी के आखिरी 12 महीनों में मिलने वाली उनकी बेसिक सैलरी का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर मिलेगा. आमतौर पर इसका पूरा फायदा उन्हें ही मिलेगा जिन्होंने 25 साल की नौकरी पूरी कर ली है. इससे कम, जैसे कि अगर किसी आपने 10-25 साल के बीच अपनी नौकरी पूरी की है, तो आपका पेंशन उसी हिसाब से एडजस्ट कर दिया जाएगा.
फैमिली पेंशन: अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो इस हालात में उनके परिवार को पेंशन का 60 फीसदी हिस्सा. यह रकम कर्मचारी की मृत्यु के तुरंत बाद परिवार को दिया जाएगा.
मिनिमम या न्यूनतम पेंशन: अगर किसी कर्मचारी ने कम से कम 10 साल की नौकरी भी पूरी की है तो उन्हें भी प्रति महीने कम से कम 10 हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलेंगे.
योगदान कितना देना होगा: सरकारी कर्मचारी अपने वेतन का 10% यूपीएस में योगदान देंगे. अब जिस तरह से ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकार का कंट्रीब्यूशन 14 फीसदी होता था, इसे बढ़ाकर अब यूपीएस के तहत 18.5 फीसदी किया जाएगा.
यूपीएस लागू कब होगा: यूपीएस 1 अप्रैल, 2025 से लागू होने वाला है, जिसके बारे में केंद्र सरकार का कहना है कि, इससे कर्मचारियों को और भी ज्यादा फाइनेंशियली सिक्योरिटी मिलेगी.
| स्कीम | कर्मचारी का योगदान | सरकार का योगदान | प्रमुख प्रावधान |
|---|---|---|---|
| ओपीएस | कोई नहीं (पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित) | कोई नहीं (क्योंकि यह पूरी तरह सरकार द्वारा वित्तपोषित है | आखिरी वेतन के 50% की गारंटी; टैक्स-फ्री पेंशन |
| एनपीएस | मूल वेतन और डीए का 10% | मूल वेतन और डीए का 14% | रिटायरमेंट के दौरान 60% टैक्स फ्री विड्रॉल |
| यूपीएस | मूल वेतन का 10% | मूल वेतन का 18.5% | 25 वर्षों के बाद औसत मूल वेतन का 50%; न्यूनतम ₹10,000 पेंशन |
न्यू पेंशन स्कीम (NPS)
न्यू पेंशन स्कीम 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लॉन्च की थी. इसे ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह लागू करने का प्लान था लेकिन इसका विरोध हुआ और लंबे समय से इसका विरोध हो रहा था.
मसलन, एनपीएस के तहत कर्मचारियों से भी पेंशन में कंट्रीब्यूशन लिया जाने लगा. इसमें और भी कुछ प्रावधान किए गए, जैसे कि पेंशन की 60 फीसदी रकम आप निकाल सकते थे और 40 फीसदी रकम पर संबंधित कर्मचारी के सैलरी ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स लगता था.
एनपीएस में खास: न्यू पेंशन स्कीम के तहत मिलने वाला पेंशन कर्मचारी के नौकरी के दरमियान किए गए कंट्रीब्यूशन पर निर्भर करता है, और मार्केट परफोर्मेंस के आधार पर देने का प्रावधान है.
एनपीएस में योगदान: सरकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन और DA का 10% योगदान करते हैं. सरकार इसमें 14 फीसदी का योगदान करती है. एनपीएस में कोई भी कर्मचारी अकाउंट खोल सकता है, जिसमें वे न्यूनतम 500 रुपये का योगदान कर सकते हैं.
NPS में दो प्रकार के अकाउंट होते हैं
टियर I: यह एक मैंडेटरी अकाउंट है, जिसमें रिटायरेंट पर टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं.
टियर II: यह एक ऑप्शनल कंट्रीब्यूशन अकाउंट है, जिससे किसी भी समय कर्मचारी अपने पेंशन की रकम निकाल सकते हैं, लेकिन इससे कुछ टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता.
निकासी: कर्मचारी रिटायरमेंट पर एकमुश्त एक्यूमुलेटेड कॉर्पस के तौर पर पेंशन की 60 फीसदी रकम निकाल सकते हैं, बाकी रकम का इस्तेमाल रेगुलर पेंशन के भुगतान के लिए एन्यूटी खरीदने में किया जा सकता है.
टैक्स बेनिफिट्स: अगर आपका अकउंट एनपीएस के तहत आता है, और आप अगर एकमुश्त 60 फीसदी रकम निकालते हैं तो इसपर कोई टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन बाकी 40 फीसदी रकम पर आपकी सैलरी ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स लगेगा.
ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS)
ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत, सरकारी कर्मचारियों को सरकार की तरफ से उनकी आखिरी सैलरी के आधार पर मासिक पेंशन देने का प्रावधान है. मसलन, इस योजना के तहत कर्मचारियों को पेंशन में कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था.
हालांकि, इसी की जगह 2004 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम लॉन्च की थी, जिसका खूब विरोध भी हुआ. अब तक के चुनावों में ओपीएस को दोबारा से लागू किए जाने के वादे किए जाते रहे हैं.
ओपीएस की खास बात
रिटायरमेंट के दौरान कर्मचारी को उनकी आखिरी सैलरी के 50 फीसदी के बराबर पेंशन दिए जाने का प्रावधान था.
कंट्रीब्यूशन: पेंशन की पूरी लागत केंद्र सरकार वहन करती थी. इसका मतलब ये कि ओपीएस के तहत कर्मचारियों को पेंशन में अपना कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था.
पात्रता: OPS सिर्फ उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होता है जो 1 जनवरी, 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए हैं.
अडजस्टमेंट: पेंशन को महंगाई भत्ते (DA) में होने वाले बदलावों के मुताबिक, समय-समय पर अडजस्ट किया जाता है, जो महंगाई से जुड़ा होता है.
टैक्स: OPS के तहत मिलने वाली पेंशन पर कोई टैक्स नहीं देना होता था. हालांकि, एनपीएस और यूपीएस में टैक्स का प्रावधान किया गया है.