
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने आंध्र प्रदेश के दौरे पर हैं. यहां उन्होंने तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन (BVS) के उद्घाटन सत्र में भाग लिया. उन्होंने इस अवसर पर भारत में अंधविश्वास से मुक्ति, क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञान के प्रचार और संतुलित विकास की जरूरत पर बल दिया. इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी उपस्थित थे.
भागवत ने अपने संबोधन में कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग पुराने अंधविश्वासों से बाहर निकलें, और यह नए अंधविश्वासों पर भी लागू होता है. हमारे प्राचीन मंदिरों की आर्किटेक्चर ऐसी है कि वे कई नेचुरल डिजास्टर के बावजूद आज भी सुरक्षित हैं. हमने पिछले 10,000 सालों से पारंपरिक कृषि तकनीक को फॉलो किया है, जिससे भूमि समृद्ध और सुरक्षित रही."
उन्होंने साफ किया कि भारत को केवल एक सुपरपावर बनना ही लक्ष्य नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे विश्व गुरु की भूमिका भी निभानी चाहिए. भागवत ने कहा, "अब उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता ने पंजाब से जयपुर तक 'कैंसर ट्रेन' का मार्ग बना दिया है. भारत के विकास की दिशा में यह ज़रूरी है कि हम संतुलित रूप से बढ़ें."

शिक्षा और वैज्ञानिक जागरूकता के महत्व पर उन्होंने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ज्ञान सभी तक पहुंचे. मातृभाषा में शिक्षा लेने से यह ज्यादा प्रभावकारी होता है. विज्ञान का ज्ञान भारत की विभिन्न भाषाओं में आम जनता तक पहुंचाना आवश्यक है."
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू की विकास की दिशा में की गई बातों की प्रशंसा करते हुए मोहन भागवत ने कहा, "सीएम ने जिस बात से कहा है वह महत्वपूर्ण है कि विकास ऐसा होना चाहिए जो समाज में दो अलग-अलग वर्ग न बनाए."