मोहन भागवत, संघ के सरसंघचालक
मोहन मधुकर भागवत (Mohan Madhukar Bhagwat) एक राष्ट्रवादी नेता हैं. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के छठे सरसंघचालक के रूप में मार्च 2009 से कार्यरत हैं (Mohan Bhagwat 6th Sarsanghchalak of RSS). वह के. एस सुदर्शन (K S Sudarshan) के उत्तराधिकारी बने और गुरु गोलवलकर (Guru Golwalkar) और डॉ के.बी. हेडगेवार (K B Hedgewar) के बाद सबसे कम उम्र के आरएसएस प्रमुख बने. भागवत के सरसंघचालक बनने के बाद भाजपा (BJP) को कई चुनावों में भारी सफलता मिली. उन्होनें 2019 में सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में भी स्थान पाया.
भागवत का जन्म 11 सितंबर 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर (Chandrapu, Maharashtra) में हुआ था (Mohan Bhagwat Age). वह मधुकर राव भागवत और मालती भागवत के पुत्र हैं (Mohan Bhagwat Parents). वह चार भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं और अविवाहित है (Mohan Bhagwat Unmarried).
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गृहनगर लोकमान्य तिलक विद्यालय से पूरी की. नागपुर के जनता कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की. उन्होंने नागपुर में ही सरकारी पशु चिकित्सा कॉलेज में अपना नामांकन कराया (Mohan Bhagwat Education).
उन्होनें अपनी प्रारंभिक जीवन आरएसएस को समर्पित किया और 1975 में एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में संगठन में शामिल हो गए. उन्हें 1977 में महाराष्ट्र में अकोला का प्रचारक बनाया गया और 1991 से 1999 तक अखिल भारतीय शारिक प्रमुख (शारीरिक प्रशिक्षण के प्रभारी) के रूप में कार्य किया. बाद में उन्हें भारत के लिए पूर्णकालिक रूप से काम करने वाले आरएसएस स्वयंसेवकों के प्रभारी के रूप में पदोन्नत किया गया था (Mohan Bhagwat Early Life).
2000 में उन्हें आरएसएस के महासचिव के रूप में चुना गया था और 21 मार्च 2009 को मुख्य कार्यकारी के रूप में नियुक्त किया गया (Mohan Bhagwat, General Secretary RSS). भारत सरकार द्वारा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश देने के बाद 2015 में भागवत को Z+ VVIP सुरक्षा कवर दिया गया था.
2017 में वह भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति भवन में आधिकारिक रूप से आमंत्रित होने वाले पहले आरएसएस प्रमुख बने (First RSS Chief to get invitation from Rashtrapati Bhawan).
बिहार में मिली अपार सफलता के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यूपी को अगला प्रयोगशाला बनाने जा रहा है. बिहार के मुस्लिम आबादी के प्रभाव वाले इलाकों में भी संघ ने कोशिश की कि सुशासन और विकास के नाम पर लोग वोट डालें, और कामयाब रहा. संघ अब वैसे ही उपाय यूपी में आजमाने जा रहा है.
नागपुर में राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि महात्मा गांधी ने 'हिंद स्वराज' में लिखा था कि ब्रिटिशों ने भारत की एकता को लेकर झूठा नैरेटिव गढ़ा था. उन्होंने कहा कि भारत का 'राष्ट्र' अवधारणा प्राचीन, सांस्कृतिक और पश्चिमी नेशन मॉडल से बिल्कुल अलग है, और विविधता में एकता ही इसकी असली ताकत है.
मोहन भागवत ने कहा कि आज दुनिया भारत के प्रधानमंत्री की बात इसलिए ध्यान से सुनती है क्योंकि भारत की शक्ति अब स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आ चुकी है. अपने संबोधन में उन्होंने हनुमान प्रसंग का उदाहरण देते हुए विनम्रता और कृतज्ञता का संदेश दिया.
अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण कार्य छह सौ सत्तर दिनों के बाद पूरा हुआ और प्रधानमंत्री मोदी तथा मोहन भागवत ने मंदिर के शिखर पर केसरिया ध्वज फहराया. इस महत्वपूर्ण अवसर पर दोनों ने पूजा अर्चना की और मंदिर के महत्व को बताया. पीएम मोदी ने धर्म, कर्म और समाज में शांति की संदेश देकर देशवासियों को एकजुट होने का आह्वान किया. राम मंदिर के निर्माण में अनेक लोगों ने योगदान दिया है तथा यह मंदिर भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतीकों का प्रतीक है.
राम मंदिर का निर्माण कार्य संपूर्ण होने के बाद मंदिर के मुख्य शिखर पर सूर्यवंश की पताका यानि धर्मध्वजा फहराने की. लगभग 500 साल बाद लाखों लोगों की ये आस पूरी हुई. और प्रधानमंत्री मोदी इस 'अविस्मरणीय' क्षण के गवाह बने. आज आपको प्रधानमंत्री मोदी का वो संबोधन भी सुनवाएंगे, जिसमें उन्होंने अंग्रेज अफसर मैकाले का भी ज़िक्र किया और ये कहा कि मैकाले ने भारत को मानसिक रूप से गुलाम बनाया और लोगों के दिमाग में ये बिठाया कि पश्चिमी संस्कृति और पश्चिमी देशों की पढ़ाई भारत की पारंपरिक शिक्षा नीति से बहुत आगे है.
प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण किया. सुबह 11.50 बजे अभिजीत मुहूर्त में बटन दबाते ही भगवा धर्म ध्वजा 161 फीट ऊंचे शिखर पर फहराने लगी. सुबह रामायण की नगरी अयोध्या के बाद शाम को गीता की नगरी कुरक्षेत्र प्रधानमंत्री पहुंचे. जहां श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस पर नमन किया.
अयोध्या का राम मंदिर आज संपूर्ण हो गया. प्राण प्रतिष्ठा के 673 दिनों बाद PM मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण किया. सुबह 11:50 बजे अभिजीत मुहूर्त में बटन दबाते ही 2 किलो की केसरिया ध्वजा 161 फीट ऊंचे शिखर पर फहराने लगी. PM भावविभोर हो गए. उन्होंने धर्मध्वजा को हाथ जोड़कर प्रणाम किया. ध्वजारोहण से पहले PM मोदी ने मोहन भागवत के साथ मंदिर की पहली मंजिल पर बने रामदरबार में पूजा और आरती की.
अयोध्या का राम मंदिर आज संपूर्ण हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंदिर पर प्रभु श्री राम की धर्मध्वजा फहरा दी. प्रधानमंत्री ने इस धर्मध्वजा को भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक कहा. अयोध्या में हुआ ये विशेष ध्वजारोहण एक बार फिर अयोध्या की राजनीति को उभार दे गया है. खुद को नहीं बुलाए जाने पर अयोध्या के समाजवादी पार्टी सांसद अवधेश प्रसाद सवाल उठा रहे हैं, तो कांग्रेस के कुछ नेता और AIMIM प्रधानमंत्री द्वारा धर्मध्वजा के आरोहण पर सेक्युलरिज्म की दुहाई दे रही है.
अयोध्या में आज श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण सम्पन्न हो गया. पीएम मोदी, सीएम योगी और संघ प्रमुख की मौजूदगी में 22 फीट लंबा ध्वज श्रीराम मंदिर के शिखर पर स्थापित कर दिया गया. इस मौके को पीएम मोदी ने राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना का उत्कर्ष काल कहा. पीएम मोदी ने कहा कि सदियों की वेदना आज विराम पा रही है और अब राम से राष्ट्र की ओर विकसित भारत के लक्ष्य के साथ चलना है.
RSS चीफ मोहन भागवत ने अयोध्या में ध्वजोत्सव के अवसर पर वहां लोगों को संबोधित किया. उन्होनें कहा कि भगवा रंग को धर्म का प्रतीक माना जाता है जो धर्म ध्वज का रंग होता है. यह रंग धार्मिक महत्व और प्रतीकात्मकता को दर्शाता है. भगवा रंग न केवल एक रंग है बल्कि धर्म की पहचान और उसकी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है.
RSS चीफ मोहन भागवत ने अयोध्या में ध्वजोत्सव के अवसर पर लोगों को संबोधित किया. उन्होनें कहा कि 'ध्वज हमेशा से प्रतीक माना गया है और इसे ऊंचा चढ़ाने में काफी समय लगता है. आपने कभी सोचा है कि इतना ऊंचा ध्वज चढ़ाने में कितना समय लगा होगा. अगर पांच सौ साल को छोड़ दिया जाए तो भी तीस साल का समय लगता है.'
RSS चीफ मोहन भागवत आज अयोध्या के ध्वजोत्सव कार्यक्रम से जमकर ललकारें. उन्होनें कहा कि 'वो ध्वज जो कभी अयोध्या में फहराता था, अपने प्रकाश और शांति का संदेश पूरे विश्व में फैलाता था. आज फिर से वो ध्वज हमें उसी उन्नत रूप में देखने को मिला. नीचे से ऊपर उठता हुआ. यह हमारे लिए गर्व और सम्मान का क्षण है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अयोध्या के राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज फहरा दिया है. इस मौके पर पीएम मोदी के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे. इससे पहले पीएम मोदी सप्त मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद राम मंदिर पहुंचे और गर्भगृह के साथ ही मंदिर के प्रथम तल पर निर्मित राम दरबार में भी पूजा-अर्चना की.
Ayodhya Ram Mandir Flag Hoisting: अयोध्या के राम मंदिर में ध्वजारोहण कार्यक्रम संपन्न हो गया है. राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा लहराने लगी है. पीएम नरेंद्र मोदी ने ध्वजारोहण किया. उनके साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी शामिल रहीं.
RSS चीफ मोहन भागवत ने भारत पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. मोहन भागवत ने कहा कि 'हमारा देश सदियों पहले पूरी दुनिया का विश्वगुरु था जहां अनेक राजाओं के राज्य थे और कवि, चक्रवर्ती सम्राट भी होते थे. भारतवर्ष उस समय एक बहुत बड़ा संबल था. अब समय आ गया है जब राम मंदिर पर झंडा फहराने की खुशी मनाई जा रही है.'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भगवद् गीता नैतिक भ्रम, संघर्ष और शांति की कमी से जूझ रहे विश्व के लिए शाश्वत मार्गदर्शन प्रदान करती है. उन्होंने कहा, 'भारत कभी विश्वगुरु था. इसने सदियों तक आक्रमणों को सहन किया और अब भी कायम है, फिर से उठ खड़े होने के लिए.'
मणिपुर के इम्फाल में आयोजित कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया. उन्होंने कहा कि यदि हिंदू समाज का अस्तित्व खत्म हो जाता है तो पूरी दुनिया का अस्तित्व भी खतरे में होगा. उन्होंने इतिहास के उदाहरण देते हुए कहा कि यूनान, मिस्र और रोम जैसी महान सभ्यताएं समाप्त हो गईं लेकिन भारत की सभ्यता अमर है और यह हर परिस्थिति में बनी रही है.
मोहन भागवत ने कहा कि परिस्थितियों का प्रभाव हर देश पर पड़ता है. समय के साथ विभिन्न परिस्थितियाँ आती हैं और चली जाती हैं. इतिहास में कई देश जैसे यूनान, मिस्र और रोमा विभिन्न परिस्थितियों के कारण समाप्त हो गए हैं. यह दिखाता है कि परिस्थिति को समझना और उस अनुसार निर्णय लेना कितना जरूरी है.
मोहन भागवत ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में पूरी दुनिया का राजनीतिक ढांचा बदल गया था. पॉलिटिकल स्वार्थों की वजह से लोगों की भाषा और राजनीति में बदलाव आए. इस समय के नेताओं का यह मानना था कि भारत की अखंडता सबसे महत्वपूर्ण है और भारत एक ही है.
मोहन भागवत ने कहा कि भारत की भौगोलिक सीमाएं मणिपुर ब्रह्मदेश से लेकर अफगानिस्तान तक विस्तृत हैं, जहाँ विभिन्न प्रदेशों और राजाओं का उल्लेख मिलता है. इन राज्यों के राजा और उनकी प्रजा का गहरा संबंध था, और यहाँ तीर्थ स्थलों का भी विशेष स्थान था.
मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष की संधार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता प्राचीन ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है. रामायण में भारतवर्ष का उल्लेख मिलना इस भूमि की प्राचीनता को दर्शाता है. महाभारत में भारतवर्ष की विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है जो उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी उजागर करती है.