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रूट डायवर्जन, एक्स्ट्रा टाइम और आर्थिक बोझ... PAK का हवाई क्षेत्र बंद होने से भारतीय उड़ानों के लिए क्या दिक्कतें

पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण भारतीय एयरलाइंस को अपने फ्लाइ वे को पूरी तरह बदलना पड़ रहा है. फ्लाइट ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म्स के विमानन डेटा से पता चलता है कि फ्लाइट डायवर्जन, फ्लाइट कैंसिलेशन, और ईंधन भरने के लिए अतिरिक्त स्टॉपेज के कारण फ्लाइट में भारी समस्या हो रही है.

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पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र बंद होने से हो रही समस्याएं
पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र बंद होने से हो रही समस्याएं

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को पूरी तरह बंद कर दिया है. इसका परिणाम यह हुआ है कि दिल्ली से न्यूयॉर्क जैसे लंबे हवाई सफर, जो पहले से ही 14 घंटे के होते हैं, अब चार घंटे और लंबे हो गए हैं. यह स्थिति यात्रियों के लिए न केवल समय की बर्बादी है, बल्कि एयरलाइंस के लिए भी आर्थिक और लॉजिस्टिक चुनौतियां लेकर आई है.

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फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली से न्यूयॉर्क के जॉन एफ. कैनेडी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए एयर इंडिया की उड़ान को वियना में ईंधन भरने के लिए रुकना पड़ा, जिसके कारण उड़ान में लगभग चार घंटे की देरी हुई. इसी तरह, दिल्ली से बाकू की उड़ान, जो सामान्य रूप से 3.5 घंटे लेती है, अब 4.5 घंटे से अधिक समय ले रही है. दिल्ली से त्बिलिसी (जॉर्जिया) की उड़ान का समय तो लगभग दोगुना हो गया है. ये आंकड़े इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र बंद होने का असर भारतीय उड़ानों पर कितना गहरा पड़ रहा है.

पाकिस्तान ने भारतीय पंजीकृत, स्वामित्व वाली, संचालित या किराए की सभी विमानों, जिसमें सैन्य विमान भी शामिल हैं, के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने का फैसला किया है. स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी एक नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) के अनुसार, यह प्रतिबंध 24 मई, 2025 तक लागू रहेगा. इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय उड़ान संचालन को बुरी तरह प्रभावित किया है, खासकर उन मार्गों को जो उत्तरी भारतीय शहरों से यूरोप, उत्तरी अमेरिका, मध्य पूर्व, मध्य एशिया और काकेशस क्षेत्र के गंतव्यों तक जाते हैं.

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Flight Time

उड़ान मार्गों में बदलाव और बढ़ता समय
पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण भारतीय एयरलाइंस को अपने फ्लाइ वे को पूरी तरह बदलना पड़ रहा है. फ्लाइट ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म्स के विमानन डेटा से पता चलता है कि फ्लाइट डायवर्जन, फ्लाइट कैंसिलेशन, और ईंधन भरने के लिए अतिरिक्त स्टॉपेज के कारण फ्लाइट में भारी समस्या हो रही है. मिडिल ईस्ट के गंतव्यों जैसे दुबई, दोहा और रियाद के लिए फ्लाइट टाइम में 20 मिनट तक की वृद्धि देखी गई है. कुछ पश्चिमी एशियाई मार्गों, जैसे तुर्की, के लिए यह समय 40 मिनट तक बढ़ गया है. मध्य एशियाई शहरों जैसे बाकू और ताशकंद के लिए उड़ान समय में एक घंटे से अधिक की वृद्धि हुई है. यूरोपीय गंतव्यों जैसे पेरिस, फ्रैंकफर्ट और वियना के लिए यह समय लगभग दो घंटे बढ़ गया है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए उड़ानों में चार घंटे तक की वृद्धि दर्ज की गई है.

उदाहरण के लिए, एयर इंडिया की फ्लाइट AI101, जो दिल्ली से न्यूयॉर्क जाती है, को अरब सागर के ऊपर से डायवर्जन के कारण दो घंटे का अतिरिक्त समय लगा. वहीं, फ्लाइट AI193 को वियना में ईंधन भरने के लिए रुकने के कारण शुक्रवार को चार घंटे की देरी का सामना करना पड़ा. इसी तरह, फ्रैंकफर्ट के लिए एयर इंडिया की फ्लाइट AI2025 का ट्रैवल टाइम 1 घंटे 50 मिनट बढ़ गया. गैर-भारतीय वाहक, जैसे यूनाइटेड एयरलाइंस, जो अभी भी पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उपयोग कर सकते हैं, इस स्थिति से बड़े पैमाने पर अप्रभावित हैं. इससे उन्हें भारतीय एयरलाइंस की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल रहा है.

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एयरलाइंस पर आर्थिक और लॉजिस्टिक बोझ
यह व्यवधान भारतीय एयरलाइंस के लिए कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार यह अतिरिक्त लागत और लॉजिस्टिक समस्याओं के साथ आया है. एक सीनियर ट्रेवल इंडस्ट्री से जुड़े अफसर ने PTI को बताया कि पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण भारतीय वाहकों पर अंतरराष्ट्रीय हवाई किराए में 8-12% की वृद्धि हो सकती है. फ्लाइट टाइम बढ़ने के कारण एयरलाइंस को अधिक ईंधन ले जाना पड़ रहा है, जिससे पेलोड समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. इसका एक समाधान यह हो सकता है कि एयरलाइंस यात्रियों और सामान की संख्या को कम करें. हालांकि, कम यात्री होने से राजस्व में कमी आएगी, जिससे एयरलाइंस के लिए वित्तीय कठिनाइयां और बढ़ेंगी.

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पाकिस्तान के फैसले का व्यापक असर
पाकिस्तान का यह फैसला न केवल भारतीय एयरलाइंस के लिए, बल्कि उन सभी यात्रियों के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है जो भारत से पश्चिमी देशों की यात्रा करते हैं. उत्तरी भारतीय शहरों से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और मध्य पूर्व के लिए उड़ानें सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं. फ्लाइट ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है कि कई उड़ानों को रद्द करना पड़ा है, जबकि कुछ को नए मार्गों के कारण अतिरिक्त ठहराव के लिए मजबूर होना पड़ा है. उदाहरण के लिए, दिल्ली से दुबई की उड़ानें, जो सामान्य रूप से सीधे मार्ग से संचालित होती थीं, अब लंबे रास्ते अपना रही हैं, जिससे उनका समय और लागत दोनों बढ़ गए हैं.

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यात्रियों पर पड़ रहा असर
यात्रियों के लिए यह स्थिति बेहद कष्टकारी साबित हो रही है. एक ओर जहां उड़ान समय में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर हवाई किराए में भी बढ़ोतरी की संभावना है. लंबी उड़ानों में अतिरिक्त समय और ठहराव के कारण यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. उदाहरण के लिए, दिल्ली से न्यूयॉर्क की उड़ान, जो पहले से ही लंबी थी, अब और अधिक थकाऊ हो गई है. यात्रियों को न केवल समय की हानि हो रही है, बल्कि उनकी यात्रा की योजना भी प्रभावित हो रही है.

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भारत-पाकिस्तान तनाव का असर
भारत और पाकिस्तान के बीच यह तनाव नया नहीं है, लेकिन इस बार इसके परिणामस्वरूप हवाई यात्रा पर इतना बड़ा प्रभाव पड़ा है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और तनावपूर्ण हो गए हैं, और पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र बंद करना इसी तनाव का एक हिस्सा है. यह स्थिति तब तक बनी रहेगी, जब तक कि दोनों देशों के बीच कोई नया समझौता नहीं हो जाता या पाकिस्तान अपने हवाई क्षेत्र को फिर से खोलने का फैसला नहीं करता.

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